Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि सेवाकाल के दौरान वेतन के रूप में अधिक भुगतान करने के एवज में रिटायरमेंट के बाद रिकवरी नहीं होगी। इसका मतलब है कि शासकीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अपने वेतन से कोई रिकवरी नहीं करनी होगी। यह फैसला शासकीय कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।
हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें मृत पुलिस अधिकारी की पत्नी से की गई दो लाख रुपये की रिकवरी को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने एसपी जांजगीर चांम्पा को आदेश दिया है कि वे तत्काल यह राशि याचिकाकर्ता को लौटाएं। यह फैसला एक मामले की सुनवाई के बाद आया है, जिसमें मृत पुलिस अधिकारी की पत्नी से रिकवरी की गई थी।
निरीक्षक की सेवाकाल के दौरान हो गई थी मौत
जांजगीर-चांपा जिले में पुलिस विभाग में निरीक्षक के पद पर पदस्थ मालिकराम रात्रे की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने उनकी विधवा धनेश्वरी रात्रे को उनके सेवाकाल में गलत वेतन और नियतन के कारण अधिक भुगतान करने का आदेश दिया, जिसके अनुसार दो लाख रुपये की वसूली की गई। यह वसूली उनके सेवानिवृत्ति देयक से की गई।
धनेश्वरी रात्रे ने अपने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और देवांशी चक्रवर्ती के माध्यम से हाई कोर्ट बिलासपुर में रिट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने एसपी द्वारा जारी वसूली आदेश को चुनौती दी। यह वसूली आदेश उनके पति मालिकराम रात्रे की सेवाकाल के दौरान गलत वेतन और नियतन के कारण अधिक भुगतान करने के लिए जारी किया गया था। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के सिंगल बेंच में हुई।
अधिवक्ता ने SC के कई फैसलों का दिया हवाला
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने याचिककर्ता की ओर से पैरवी करते हुए कोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला दिया, जिनमें स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह (2015), थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला (2022) और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध लाभाराम ध्रुव के मामले में सुनाए गए फैसले शामिल हैं। इन फैसलों का उल्लेख करते हुए, अधिवक्ता पाण्डेय ने कोर्ट को समझाया कि कैसे ये फैसले याचिककर्ता के मामले में लागू होते हैं।
इन कर्मचारी से नहीं की जा सकेगी वसूली
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) और सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में स्पष्ट किया है कि किसी भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी, रिटायर कर्मचारी या तृतीय श्रेणी एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी के परिवार के किसी सदस्य के विरूद्ध वसूली आदेश जारी नहीं किया जा सकता है, अगर वह वसूली सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान के कारण होती है।
यह फैसला विधवाओं के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि अब उनसे उनके पति के सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान के कारण वसूली नहीं की जा सकती है।
हाईकोर्ट ने एसपी जांजगीर चांपा को दिया निर्देश
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के मामले की सुनवाई के बाद रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है और एसपी जांजगीर चांपा को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ता से वसूली गई दो लाख रुपये की राशि को तत्काल लौटाएं। यह फैसला याचिकाकर्ता के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि अब उन्हें वसूली गई राशि वापस मिलेगी।
यह भी पढ़ें: रायपुर में चंद्रशेखर आजाद की चेतावनी: बलौदाबाजार हिंसा मामले पर कहा- जेल में बंद भाइयों की रिहाई नहीं हुई तो…