हाइलाइट्स
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एडिशनल एजी ने सरकार की तरफ से पेश की दलील
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रामलला दर्शन योजना को प्रदेश के सभी वर्गों के लिए बताया
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याचिकाकर्ता ने इसे बताया था धर्म निरपेक्षता के खिलाफ
Ramlala Darshan Yojna को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को बिलासपुर हाईकोर्ट (CG High Court) ने खारिज कर दी है.
याचिकाकर्ता ने इस योजना को धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था और रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एडिशनल एजी यशवंत सिंह ठाकुर ने सरकार की तरफ से दलील पेश की.
उन्होंने कहा कि रामलला दर्शन योजना प्रदेश के सभी वर्गो के लिए है. यह धर्म निरपेक्षता के खिलाफ नहीं है. सभी धर्म के लोग रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं.
हाईकोर्ट (High Court) ने सरकार के इस दलील को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी.
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता लखन सुबोध ने इसे (Ramlala Darshan Yojna) संविधान के खिलाफ बताते हुए योजना को बंद करने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और यह योजना संविधान में निहित प्रावधानों और शर्तों के खिलाफ है.
याचिकाकर्ता ने धर्मनिरपेक्षता का जिक्र करते हुए योजना को बंद करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित करने का निवेदन किया था.
योजना धर्म या जाति के आधार पर फर्क भी नहीं करती: सरकार
इस मामले में राज्य सरकार ने कहा था कि रामलला दर्शन योजना धर्म या जाति के आधार पर फर्क भी नहीं करती है.
योजना किसी धर्म या जाति के आधार पर नहीं की गई है. योजना (Ramlala Darshan Scheme) प्रदेशवासियों के भ्रमण के लिए है.
जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जो धार्मिक यात्रा पर नहीं जा पाते हैं. यह सरकार का नीतिगत फैसला है, जिस पर हाईकोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
रामलला दर्शन योजना राज्य सरकार के कैबिनेट का निर्णय
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए इस योजना की शुरुआत की है. जिसमें लोगों को अयोध्या में रामलला के दर्शन कराकर वापस लाया जाता है.
रामलला दर्शन योजना राज्य सरकार के कैबिनेट का निर्णय है. कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.