हाइलाइट्स
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ईसाई धर्म मानने के साथ प्रचार करता है परिवार
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गांव में पिता के शव को दफनाने से किया मना
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हाईकोर्ट ने अंतिम सस्कार की दी अनुमति
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण केस की सुनवाई अवकाश वाले दिन की गई। इस महत्वपूर्ण केस में एक पुत्र ने अपने पिता के शव को दफनाने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगने याचिका दायर की थी।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने पुत्र को पिता के शव को धार्मिक मान्यता के अनुसार दफनाने की अनुमति दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एसपी बस्तर को इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम करने के भी आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने अवकाश के दिन बेटे की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई में पुत्र के मृत पिता के शव को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दफनाने की अनुमति भी दी है।
इसके साथ ही एसपी बस्तर को हिंदू बहुल गांव में सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश जारी किए हैं, ताकि गांव में अंतिम संस्कार के दौरान कोई अप्रिय घटना होने की स्थिति निर्मित न हो।
थाना प्रभारी ने किया मना
जानकारी मिली है कि याचिकाकर्ता सार्तिक कोर्राम के पिता ईश्वर कोर्राम को सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे 25 अप्रैल को बस्तर जिले के डिमरपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई।
जानकारी मिली है कि याचिकाकर्ता (Bilaspur High Court) पुत्र और उसका परिवार ईसाई धर्म को मानने वाले हैं, साथ ही ईसाई धर्म का प्रचार भी करते हैं।
पिता की मौत के बाद जब वे शव ग्राम छिंदबहार ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कर रहे थे, तभी थाना प्रभारी परपा ने उन्हें छिंदबहार में शव नहीं दफनाने की बात कही और उन्हें शव को गांव में ले जाने से भी रोका।
अधिकारियों ने नहीं सुनी
थाना प्रभारी ने युवक से कहा था कि छिंदबहार गांव हिंदू बहुल है, जहां ईसाई धर्म के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए अलग से कोई स्थान उपलब्ध नहीं है, इसलिए वह अपने पिता के शव को कहीं अन्य जगह ले जाकर दफनाए।
इसके बाद याचिकाकर्ता (Bilaspur High Court) ने एसएचओ, पीएस से पिता के शव को अपने गांव छिंदबहार ले जाने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
अवकाश के दिन शाम को सुनवाई
पुत्र ने अपने पिता के शव को गांव में दफनाने के लिए बस्तर कलेक्टर और एसपी को भी आवेदन दिया, आवेदन 26 अप्रैल को दिया गया, लेकिन इस आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस बीच शव मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल जगदलपुर की मर्चुरी में पड़ा रहा। कहीं सुनवाई नहीं होने के बाद पुत्र ने हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में अर्जेंट सुनवाई की अनुमति मांगी।
जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच ने शनिवार शाम 6.30 बजे सुनवाई की।
संविधान में ये अधिकार
याचिकाकर्ता (Bilaspur High Court) के वकील प्रवीन तुलस्यान ने जानकारी दी कि अपने पिता के शव को दफनाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पुत्र और याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार है।
पुत्र और उनका परिवार ईसाई धर्म को मानता है, इसलिए थाना प्रभारी ने उनके पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में दफनाने से रोका, जबकि परिवार गांव में अपनी जमीन पर ही शव को दफनाने की बात कह रहे हैं।
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आज सुरक्षा के बीच दफनाया शव
सुनवाई के बाद जस्टिस (Bilaspur High Court) राकेश मोहन पांडेय ने मेडिकल कॉलेज जगदलपुर को मृतक ईश्वर कोर्राम का शव याचिकाकर्ता को सौंपने का आदेश दिया।
साथ ही याचिकाकर्ता (Bilaspur High Court) पुत्र को अपने पिता के शव को ग्राम छिंदबहार में अपनी भूमि पर दफनाने की अनुमति दी। एसपी बस्तर को निर्देशित किया कि याचिकाकर्ता को उचित पुलिस सुरक्षा दी जाए।
ताकि वे शव को शालीनता से दफना सकें। याचिकाकर्ता के द्वारा पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच आज यानी 28 अप्रैल को अपने पिता का शव दफनाने की अनुमति दी गई, पुत्र ने आज अपने पिता का अंतिम संस्कार किया।