Bilaspur Bribery Case: बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक में एक शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके वेतन और अन्य स्वत्वों को निकालने के लिए बीईओ और क्लर्क ने 1.34 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। शिक्षक की पत्नी ने कलेक्टर को शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई।
जांच में आरोप सही पाए जाने पर बीईओ को पद से हटाकर विभागीय जांच के आदेश दिए गए और क्लर्क को निलंबित कर दिया गया। यह मामला शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है।
शिकायत और जांच की शुरुआत
कोटा ब्लॉक की शिक्षिका नीलम भारद्वाज ने कलेक्टर अवनीश शरण को जनदर्शन में शिकायत की कि उनके शिक्षक पति की मृत्यु के बाद उनके वेतन और अन्य स्वत्वों को निकालने के लिए बीईओ विजय टांडे और क्लर्क एकादशी पोर्ते ने 1.34 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को जांच के निर्देश दिए।
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जांच में आरोप सही पाए गए
जांच टीम ने पाया कि बीईओ और क्लर्क ने मिलकर शिक्षिका को परेशान किया और बिना रिश्वत लिए उनके स्वत्वों का भुगतान नहीं किया। जानबूझकर काम में देरी की गई और शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई की।
क्या हुई कार्रवाई?
कलेक्टर अवनीश शरण ने बीईओ विजय टांडे को पद से हटाकर खुरदुर कोटा में प्राचार्य पद पर तबादला कर दिया। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए। वहीं, क्लर्क एकादशी पोर्ते को निलंबित कर दिया गया और उन्हें रतनपुर हायर सेकेंडरी स्कूल में मुख्यालय नियुक्त किया गया। निलंबन अवधि के दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर सवाल
यह मामला शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। एक शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके परिवार को रिश्वत देने के लिए मजबूर करना नैतिकता और कानून दोनों के खिलाफ है। इस घटना के बाद विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग उठने की संभावना है।
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