इंदौर। चोरी गई बाइक चार साल के बाद आपको मिल जाए और इसके बाद पुलिस बोले कि यह बाइक नीलाम हो चुकी है। बाइक चाहिए तो इसके लिए आपको कोर्ट में जाना होगा कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगी उसके बाद ही आपको यह बाइक मिल पाएगी अन्यथा आप इसे नहीं ले पाएंगे। बाइक पर मालिकाना हक किसी और का है। यह एक मामला इंदौर का है। 2017 में अपनी चोरी गई बाइक का पता लगाने शहर के गोपाल मोरे ने बहुत कोशिश की। दोस्तों का सहारा भी लिया थाने के भी चक्कर काटे लेकिन बाइक नहीं मिली। फिर अचानक बाइक मोरे के घर पहुंच जाती है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन अगले ही पल उन्हें पता चला कि यह बाइक नीलाम हो चुकी है, इस पर मालिकाना हक किसी और का है तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। खुशी गम में बदल गई और बाइक उन्हें नहीं मिल सकी क्योंकि पुलिस बाइक को नीलाम कर चुकी है। 2017 को मोरे की बाइक इंदौर के विजय नगर मंगल सिटी से चोरी हो गई थी। बाइक चोरी की रिपोर्ट भी मोरे ने विजय नगर थाने में दर्ज कराई थी।
क्या है पूरा मामला
मोरे की बाइक 2017 में चोरी हो गई थी, विजयनगर थाने में इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन पुलिस ने गोपाल के हस्ताक्षर के बिना शिकायत में खात्मा लगा दिया और बाइक नीलाम कर दी। अब गोपाल को बाइक पाने के कोर्ट जाने का रास्ता बचा है। गोपाल की बाइक को एक युवक लेकर उनके घर पहुंचा और बोला कि वो गलती से उनकी बाइक ले आए हैं। दोनों की बाइक एक जैसी दिखती थी। युवक बोला कि वो गलती से बाइक घर ले गया था लेकिन जब पता चला कि यह बाइक उसकी नहीं है तो युवक ने परिवहन विभाग की वेबसाइट पर गाड़ी के मालिक का पता किया और फिर गोपाल का घर ढूढते हुए पहुंचा। गोपाल से बातचीत पर पता चला कि बाइक तो 2017 में चोरी हो गई थी। मामले में उलझन को लेकर दोनों हीरा नगर थाने पहुंचे। लेकिन कहानी में एक अलग ही किरदार आ गया। गोपाल और युवक के बीच उस बाइक को लेने सुखलिया के रहने वाले निर्मल पाल पहुंच गए। निर्मल ने बताया कि ये बाइक डेढ़ साल पहले उनके चचेरे भाई धीरज पाल ने एमआईजी थाने से नीलामी में खरीदी है। हीरा नगर पुलिस ने जब नीलामी के कागज देखे तो उन्होंने बाइक को निर्मल के सुपर्द कर दिया।
कोर्ट आदेश के बाद पुलिस कार्रवाई करेगी
जो व्यक्ति बाइक लेकर गोपाल के घर पहुंचा उसने परिवहन विभाग की वेबसाइट से उनका पता निकाला था। पुलिस ने चोरी की बाइक तो नीलाम कर दी, लेकिन आरटीओ में अब भी गोपाल का ही नाम है। पुलिस का कहना है कि गोपाल को अपनी बाइक वापस लेने के लिए कोर्ट जाना होगा, कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। गोपाल जब विजय नगर थाने पहुंचे तो थाने से जानकारी मिली की बाइक नहीं मिलने के एक साल बाद ही उसका कानूनी रूप से खात्मा कर दिया गया था।अब पुलिस पर ही सवाल उठ रहे हैं कि हस्ताक्षर के बिना खात्मा कैसे किया गया। गोपाल ने खात्मे के बारे में पूछा तो इस बारे में कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। अब पुलिस ने एसडीएम की तरफ से कार्रवाई और जाहिर सूचना का हवाला देते हुए कलेक्ट्रेट जाने की बात कही।
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