Bijapur News: बीजापुर जिले के उसूर और बासागुड़ा एकीकृत महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना के अंतर्गत इसमें कार्यरत 300 महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बिना नोटिस दिए उनके मई और जून के तनख्वाह में विभाग ने कटौती की है। जिसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं में विभाग के प्रति नाराजगी साफ नजर आ रही है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम अंदरूनी और संवेदनशील इलाकों में जाकर महतारी वंदन योजना, मातृ वंदन योजना, रेडी टू इट और भी शासन के अन्य योजनाओं का लाभ अंदरूनी इलाकों के बच्चे और गर्भवती माताओं तक पहुंचाते हैं. विभाग ने हमें बिना सूचना दिए हमारे महीने के तनख्वाह से रुपयों की कटौती की, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है।
बिना नोटिस दिए तनख्वाह काटना उचित नहीं: रेहाना खान
वहीं, मामले (Bijapur News) को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका महासंघ की जिला अध्यक्ष रेहाना खान ने कहा कि मुझे उसूर परियोजना के कार्यकर्त्ताओं से शिकायत मिली है कि बिना नोटिस दिए परियोजना अधिकारी बालेन्दू देवांगन ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का तनख्वाह काटा है। जो उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विषम परिस्थितियों अपनी जान को जोखिम में डालकर भी अंदरूनी इलाकों में जाकर अपना दायित्व का निर्वहन करती हैं। ऐसे में विभाग के द्वारा इस तरह छोटे कर्मचारियों का तनख्वाह काटना ठीक नहीं है। इस संबध में जिला अधिकारी से जाकर शिकायत करूंगी।
क्या कह रहे अधिकारी ?
वहीं इस संबध में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी लुपेंद्र महीनाग का कहना है कि परियोजना अधिकारी से मैंने इस विषय पर जानकारी ली है। उनका कहना है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पोषण ट्रेकर एप में जानकारी नहीं डाली है, बस उन्हीं के तनख्वाह में कटौती की गई है।
उन्होंने कहा कि पोषक ट्रेकर एप जो है वो केंद्र सरकार का एप है, इसमें हर कार्यकर्त्ता को अपने आंगनबाड़ी केंद्रों की जानकारी डालना अनिवार्य है। जैसे ही वो जानकारी इस एप में डाल देंगे तो जो उनकी तनख्वाह में कटौती हुई है वो रुपये उन्हें वापस मिल जाएंगे।
10 हजार की तनख्वाह में 500 से 3000 तक कटे
बता दें कि आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को महीने में 10 हजार की तनख्वाह मिलती है। जिसमें राज्य सरकार की और से 5500 और केंद्र सरकार की और से 4500 रुपये मिलता है। लेकिन इस तनख्वाह में 500 से लेकर 3000 तक की कटौती विभाग ने की है।