रायपुर: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हुए घातक हमले के बाद नक्सली एक बार फिर चर्चा में हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब नक्सली जंगल में रहते हैं तो इनके पास आधुनिक हथियार और इतने सुविधाजनक सामान कहां से आ रहे हैं। कुल मिलाकर कहें तो वो जानना चाहते हैं कि इनकी फंडिंग कहां से हो रही है?
उद्योगों से जबरन वसूली करते हैं
हालांकि ये तो स्पष्ट नहीं है कि इनकी फंडिंग कहां से होती है। लेकिन कुछ ऐसे पहलू हैं कि जिनके माध्यम से जाना जा सकता है कि इनके पास इतने फंड कहां से आते है और इनका खर्च ये लोग कहां करते हैं। नक्सलियों के फंडिंग का मुख्य स्रोत है जबरन वसूली। ये लोग कुछ उद्योगों से जबरन वसूली करते हैं। पिछले कुछ दशकों में पकड़ाए नक्सलियों के बयान को देखें तो उन्होंने बताया है कि माओवाद प्रभावित इलाकों में जो लोग कॉर्पोर्ट बिजनेस करते हैं, उनसे नक्सली जबरन वसूली करते है्ं। खासकर बिहार और झारखंड में तो नक्सली इस सोर्स से ही फंडिंग इक्कठा करते हैं।
माइनिंग में लगे कंपनियों से लेते हैं टैक्स
इसके अलावा माइनिंग क्षेत्र में लगे कंपनियों से नक्सली टैक्स लेते हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में तो यह कारोबार उन्हें बिना टैक्स दिए चलता ही नहीं। खासकर अगर कोई कंपनी अवैध उत्खनन कर रही है तो इसमें उनकी बड़ी दखलंदाजी होती है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाकों में अवैध उत्खनन की संख्या काफी ज्यादा है।
पाकिस्तान से भी इनतक पहुंचता है पैसा
इसके अलावा एक बार NIA ने खुलासा करते हुए बताया था कि छोटे और मझोले किस्म के नक्सली नेता अपने इलाकों में लोगों से जबरन वसूली करते हैं। साथ ही नक्सली को ऑपरेटिव सोसाइटी और म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश करते हैं। इतना ही नहीं इनका एक सोर्स पाकिस्तान भी है जो हवाला के जरिए इनतक पैसे पहुंचाता है। साथ ही इनका फंडिंग के लिए एक सोर्स ब्लैकमेलिंग और रॉबरी भी है। नक्सली इन्हीं पैसों के बदौलत हथियारों की खरीदारी करते हैं और कथित रूप से अपने आंदोलन को बढ़ाने का काम करते हैं।