Health Department Promotion Scam: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला हुआ है। सीएमएचओ ने ड्राइवर, चपरासी और स्वीपर को प्रमोशन दे दिया।
यह भी तब जब इसको लेकर काई ओदश भी राज्य सरकारी की ओर से जारी नहीं किया गया था। इन कर्मचारियों को रातों-रात प्रमोशन देकर बाबू बनाने वाले मामले में तीन साल बाद फिर जांच शुरू हुई है।
राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department Promotion Scam) के इस प्रमोशन घोटाले की बारीकी से जांच करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि नवंबर 2020 में जिले के सीएमएचओ ने हेल्थ विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नति दी थी। 2023 में इस पदोन्नति आदेश में अनियमितता की शिकायत मिली थी।
विभागीय जांच की अनुशंसा की थी
पदोन्नति आदेश में अनियमितता (Health Department Promotion Scam) पाए जाने पर तत्कालीन कलेक्टर रजत बंस ने एक समिति गठित की थी। इस जांच समिति ने तत्कालीन सीएमएचओ आरके चतुर्वेदी और स्थापना लिपिक डीके देवांगन को इस मामले में दोषी पाया।
इस जांच के बाद तत्काल ही कलेक्टर ने पदोन्नति में गड़बड़ी के मामले में विभागीय जांच की अनुशंसा संचालक स्वास्थ्य सेवाओं से अनुशंसा की थी। इसके बाद इस मामले की जांच अटक गई।
तीन साल से अटकी थी जांच
इस मामले के उजागर होने के 15 दिन बाद ही कर्मचारियों के प्रमोशन के आदेश को रद्द (Health Department Promotion Scam) कर दिया गया था। इस दौरान लिपिक पर भी कार्रवाई की गई थी।
हालांकि सीएमएचओ के खिलाफ विभागीय जांच अटकी हुई थी। इस मामले में सीएमएचओ के खिलाफ जांच होगी। इसके चलते यह पूरी जांच रायपुर से ही की जा रही है। इस जांच की निगरानी हेल्थ विभाग के कमिश्नर करेंगे। जानकारी मिली है कि इस जांच के लिए सीएमएचओ को रायपुर आना होगा।
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दो साल तक किसी को नहीं थी जानकारी
तत्कालीन सीएमएचओ आरके चतुर्वेदी के द्वारा 15 कर्मचारियों को प्रमोशन (Health Department Promotion Scam) दिया। वर्ष 2020 में सभी 15 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को तृतीय वर्ग में प्रमोशन दिया और उन्हें दो साल तक वेतन भी दिया गया।
इसके बाद इस पदोन्नति मामले की शिकायत की गई। शिकायत की जांच में पता चला कि प्रमोशन नियम के विरुद्ध है। राज्य सरकार ने इसको लेकर कोई आदेश नहीं दिया। इस जांच में प्रमोशन घोटाला उजागर हुआ। तीन साल बाद फिर से इस मामले में सीएमएचओ पर विभागीय जांच होगी।