Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव नगर निगम, बेमेतरा, कुम्हारी और तखतपुर नगर पालिका में होने वाले परिसीमन पर रोक लगा दी है. कोर्ट में परिसीमन के खिलाफ लगी 3 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. जिसके बाद जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने स्थगन का आदेश दिया है.
कोर्ट (Bilaspur High Court) ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2011 की जनगणना के आधार पर सरकार अभी परिसीमन क्यों कर रही है. इधर कानून के जानकारों का कहना है कि अब दूसरे नगरीय निकायों में भी परिसीमन को चुनौती दी जा सकती है.
तीनों याचिकाओं पर एक साथ चल रही सुनवाई
बता दें कि राजनांदगांव नगर निगम, बेमेतरा नगर पालिका और कुम्हारी नगर पालिका में वार्डों के परिसीमन को चुनौती दी गई है. तीनों याचिकाओं पर हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई चल रही है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है, उसमें साल 2011 की जनगणना को आधार माना है.
अपने सर्कुलर में भी परिसीमन के लिए राज्य सरकार ने अंतिम जनगणना को आधार माना है. वकीलों का कहना था कि सरकार ने इसके पहले साल 2014 और 2019 में भी साल 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का काम किया है. कहा कि जब आधार एक ही है तो इस बार परिसीमन का काम क्यों किया जा रहा है.
कोर्ट ने सरकारी वकीलों के जवाब पर जताई असहमति
कोर्ट (Bilaspur High Court) में सरकारी वकीलों ने जवाब में कहा कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है. परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र और नक्शा बदल जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने इस पर असहमति जताई. कोर्ट ने पूछा कि साल 2011 की जनगणना को वर्तमान परिदृश्य में आदर्श कैसे मानेंगे. जब दो बार परिसीमन किया गया है तो तीसरी बार क्यों किया जा रहा है. कोर्ट ने आपत्तियों के निराकरण और अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी है.
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ महाधिवक्ता और पूर्व एजी सतीशचंद्र वर्मा, अमृतो दास, राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दास और विनय पांडेय, नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की.
राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया जा रहा परिसीमन
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश में नई सरकार बनी है. परिसीमन नगरीय निकाय चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया जा रहा है. यह भी कहा कि साल 2018 में क्षेत्र बदलने के आधार पर परिसीमन किया जा चुका है. नियम के मुताबिक क्षेत्र बदलने के आधार पर परिसीमन किया जा सकता है. लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हो रहा है.
एडवोकेट अमृतोदास ने कोर्ट को बताया कि पांच साल में किसी भी निकाय में परिसीमन करना जरूरी नहीं है. नगरीय निकाय का क्षेत्र बदलने के नाम पर राज्य सरकार ने दो बार परिसीमन किया था. लेकिन, पांच साल बाद फिर से परिसीमन के लिए अधिसूचना जारी कर दावा आपत्ति मंगाई गई है, जो अवैधानिक है. जनगणना के साथ ही वार्ड के क्षेत्रों में बदलाव भी परिसीमन के लिए जरूरी है.
वार्ड बदलने से होगी ये परेशानी
परिसीमन का खामियाजा क्षेत्र के निवासियों को भुगतना पड़ेगा. परिसीमन के बाद उनके राशन दुकान का एरिया बदल जाएगा. वार्ड बदलने से पता भी बदल जाएगा. जिससे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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