भोपाल। वैसे, देश में कई हत्याएं हुईं। जिसने देश को हिलाकर रख दिया। लेकिन भोपाल में हुए आकांक्षा हत्याकांड (Akansha Murder Case) ने लोगों को तोड़कर रख दिया था। उदयन दास (Udayan Das) के साथ लिव इन में रहने वाली आकांक्षा को उसी के पार्टनर ने मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं उदयन एक सीरियल किलर था। उसने अपने माता-पिता की भी हत्या कर दी थी और एक साथ कई जिंदगियां जीता था।
फेसबुक के जरिए माता-पिता और प्रेमिका को जीवित कर रखा था
उदयन ने अपने माता-पिता और प्रेमिका आकांक्षा को सोशल मीडिया के सहारे जीवित कर रखा था। उनके नाम के फेसबुक अकाउंट से खुद को ही- कैसे हो बेटा और जानू नाम से पोस्ट करता था। लेकिन कहते हैं न कि बूरे काम का अंत एक दिन जरूर होता है। दरअसल, फेसबुक के सहारे उसने अपने प्रेमिका को जरूर जिंदा कर रखा था। लेकिन जब आकांक्षा माता-पिता से फोन पर बात नहीं कर रही थी, तो उन्हें शक हुआ। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में बेटी की गुमशुदगी रिपोर्ट लिखाई। कोलकाता की बांकुरा पुलिस भोपाल आई। लेकिन उन्हें यहां कुछ हाथ नहीं लगा। लेकिन बाद में भोपाल पुलिस ने उदयन को पकड़ लिया।
नौकरी करने के नाम पर आकांक्षा आई थी भोपाल
बतादें कि पश्चिम बंगाल के बांकुरा में रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा की 28 साल की बेटी आकांक्षा उर्फ श्वेता की 2007 में उदयन नाम के लड़के से सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी। वो अक्सर उससे मिला करती थी। लेकिन जून 2016 में घर से नौकरी करने की बात कहकर आकांक्षा भोपाल आ गई और यहां वो उदयन के साथ साकेत नगर में रहने लगी। लड़की ने परिवारवालों को बताया कि मैं अमेरिका चली आई हूं और यहां नौकरी कर रही हूं। लेकिन इसी बीच जुलाई 2016 के बाद आकांक्षा के परिवारवालों से बात होनी बंद हो गई। भाई ने नंबर ट्रेस कराया तो लोकेशन भोपाल की निकली। परिवारवालों को पहले से ही शक था कि आकांक्षा उदयन के साथ रह रही है। ऐसे में उन्होंने दिसंबर 2016 में आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई और आकांक्षा को खोजते हुए कोलकता की बांकुरा पुलिस भोपाल आई। यहां उसे कुछ हाथ नहीं लगा। जिसके बाद भोपाल पुलिस की मदद से कोलकाता पुलिस ने उदयन को साकेत नगर में उसके घर इंद्राणी से गिरफ्तार कर लिया।
लाश को बक्से में रखकर चबूतरा बना दिया था
गिरफ्तार होने के बाद पहले तो उदयन ने अपने आप को बेकसूर माना। लेकिन जैसे ही पुलिस ने थोड़ी सख्ती बरती वो टूट गया और अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि पहले उसने आकांक्षा का मुंह तकिए से दबाया और उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी। शव को ठिकाने लगाने के लिए लाश को एक बॉक्स में बंद कर दिया। बक्से के अंदर सीमेंट भर दी और बक्से को एक चबूतरा बनाकर उसे भी सीमेंट से भरकर बंद कर दिया था। पुलिस को चबूतरा तोड़ने में ही करीब 7 से 8 घंटे लग गए थे।
2010 में माता-पिता की हत्या
पुलिस को लगा था कि उदयन ने सिर्फ आकांक्षा की ही हत्या की है, लेकिन जब उसके माता-पिता के बारे में पूछा गया तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाया। ऐसे में पुलिस को संदेह हुआ और फिर पूछताछ में उसने जो खुलासा किया उससे पुलिस के हाथ पैर फूल गए। उसने अपनी मां इंद्राणी और पिता वीके दास की 2010 में हत्या कर उनके शव रायपुर वाले मकान के गार्डन में दफना दिए थे। उसने पूछताछ में बताया था कि मां अमेरिका में रहती हैं, जबकि पापा की बीमारी से मौत हो चुकी है। जबकि उसने पहले मां और फिर पिता की हत्या की थी। रायपुर में उसने खुद ही माता-पिता के शव दफनाने वाली जगह पर निशान लगाकर बताया था।
आकांक्षा को उदयन के राज का पता चल गया था
पुलिस के अनुसार, आकांक्षा को उदयन के राज का पता चल गया था। इसलिए वह घर लौटना चाहती थी। उसने ट्रेन का टिकट भी बुक कराया था। उनके रिश्तों का करीब सात साल से चल रहा झूठ आकांक्षा को पता चल चुका था। इस बात पर दोनों के बीच बहस भी हुई थी। इसके बाद आकांक्षा ने 12 जुलाई को कोलकाता लौटने के लिए ट्रेन से टिकट भी बुक कर लिया था। उदयन ने उसे मना लिया था। 14 जुलाई 2016 की रात आकांक्षा और उदयन के बीच जमकर बहस हुई थी। आकांक्षा के सोने के बाद वह रातभर उसकी हत्या की प्लानिंग करता रहा। 15 जुलाई की सुबह उसने आकांक्षा की हत्या दी।
अपने आप को IIT दिल्ली से पढ़ा हुआ बताता था
उदयन लोगों से काफी झूठ बोलता था। वह हमेशा इंग्लिश में लोगों से बात करता और अपने आप को आईआईटी दिल्ली से पढ़ा हुआ बताता। लेकिन असलियत में वो रायपुर से 12वीं तक ही पढ़ा था। उसके माता-पिता की नौकरी और मकान से मिले पैसों के कारण वह अपने शौक पूरे करता था। उसे माता-पिता के दिल्ली के एक फ्लैट से 10,000 रुपए, रायपुर के फ्लैट से 7,000 रुपए और साकेत नगर स्थित मकान के भूतल का किराया 5,000 रुपए प्रतिमाह मिलता था। इसके अलावा पिता के संयुक्त खाते में 8.5 लाख रुपए की एफडी का ब्याज भी उसे मिलता था। इसी से वह ऐश मौज किया करता था। उदयन के पिता वीके दास भेल में फोरमैन थे। जबकि उसकी मां विध्यांचल भवन में एनालिस्ट की पोस्ट से रिटायर हुई थीं। मां की पेंशन लगभग 30 हजार रुपए आते थे। उदयन अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कभी पेरिस तो कभी मॉस्को में बताता था। कभी यूएन में नौकरी तो कभी यूएस में पीएचडी करने के लिए जाना बताता था। आज वह उम्र कैद की सजा भुगत रहा है।