हाइलाइट्स
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मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की बात नहीं आई सामने
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मामले में अब न्यायालय में पुलिस लगाएगी खात्मा
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ब्लैकमेलिंग के एंगल को भी टटोल रही है पुलिस
Bhopal Rape Case Update: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मिसरोद थाने के अंतर्गत एक प्राइवेट स्कूल के हॉस्टल में दूसरी कक्षा की 8 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद पूरा मामला उलट गया है।
मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म या छेड़छाड़ जैसी किसी घटना की पुष्टी नहीं हुई है। इसके बाद अब पुलिस मामले की खात्मे की तैयारी में है।
हालांकि बच्ची की मां के रहे पुराने आपराधिक रिकॉर्ड के चलते पुलिस अब ब्लैकमेलिंग के एंगल को भी टटोल रही है।
सीडीआर रिपोर्ट निकालने की भी बात आ रही सामने
सूत्रों के मुताबिक ब्लैकमेलिंग के एंगल को टटोलने के लिए पुलिस ने सब इंस्पेक्टर प्रकाश राजपूत से भी पूछताछ की है। साथ ही कॉल डिटेल रिपोर्ट यानी सीडीआर भी खंगाला जा रहा है।
पुलिस एसआई प्रकाश राजपूत और महिला के कनेक्शन को खंगाल रही है कि आखिर इनकी पहचान कैसे हुई। क्योंकि ये न तो सहकर्मी हैं और न ही पड़ोसी। फिर इनकी एक दूसरे से पहचान कैसे हुई।
एसआई की भूमिका पर शुरु से सवाल
एसआई प्रकाश राजपूत रिश्वत मामले में लंबे समय तक सस्पेंड रहा और कुछ समय पहले ही थाने में पदस्थ हुआ था। प्राइवेट स्कूल में बच्ची का एडमिशन कराने के लिए महिला के साथ प्रकाश राजपूत ही गया था।
फिर महिला पर एफआईआर दर्ज नहीं कराने का दबाव बनाने का आरोप भी प्रकाश पर लगा। पुलिस इस एंगल को भी टटोल रही है कि कहीं किसी साजिश के तहत तो यह सब नहीं हुआ।
महिला के पूर्व के केस में भी कोई न कोई मित्र पुलिसकर्मी शामिल
महिला का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। खास बात ये है कि इन केसों में भी इस केस की ही तरह कोई न कोई मित्र पुलिसकर्मी जरुर शामिल हुआ है।
केस 1: ब्लैकमेलिंग का रैकेट, इंस्पेक्टर हुआ बर्खास्त
चार पांच साल पहले भोपाल में सेक्स रैकेट के साथ एक बड़े ब्लैकमेलिंग के रैकेट का भांडाफोड़ हुआ था। इस मामले से भी इसी महिला का नाम जुड़ा था। अमीर घरों के लड़कों को पहले सेक्स रैकेट अपने जाल में फसाता था। उसके बाद पुलिस को बुलाकर छापेमार कार्रवाई में आपत्तिजनक हालत में मिलने पर अमीर घरों के लड़कों को ब्लैकमेल कर लाखों रुपये ऐंठे जाते थे। छापा मारने वाली पुलिस में तत्कालीन अयोध्या नगर के इंस्पेक्टर हरीश यादव शामिल थे। जो इस मामले में बर्खास्त हो चुके हैं। इस पूरे रैकेट में भी यही महिला शामिल थी।
केस 2: मित्र पुलिसकर्मी की सर्विस रिवॉल्वर लेकर फरार
यह मामला भी तकरीबन 2019 का बताया जाता है। सब इंस्पेक्टर बीपी सिंह की इसी महिला से दोस्ती थी। एक बार यही महिला एसआई बीपी सिंह की क्रेटा और सर्विस रिवाल्वर लेकर फरार हो गई थी। थाने में मामला दर्ज हुआ। इसी महिला की गिरफ्तारी भी हुई। साथ ही इस केस में बीपी सिंह भी सेवा से बर्खास्त हो गए थे। हालांकि बाद में इन्हें बहाल कर दिया गया।
पति पर दर्ज कराया रेप का केस
जानकारी के अनुसार पुलिस ने बच्ची के पिता से भी बात की। इसमें एक बड़ा खुलासा हुआ। महिला अपने पति पर रेप का केस दर्ज करा चुकी है।
Bhopal Hostel Case: हॉस्टल में बच्ची से दुष्कर्म मामले में पीड़िता की मां अपने पति पर ही कर चुकी है चुना भट्टी थाने में बलात्कार की FIR दर्ज@DrMohanYadav51#cmmohanyadav #bhopalnews #Bhopal #bhopalhostelcase #rapecase #bhopalcrimecase #mpnews pic.twitter.com/8L4Uf4xuf2
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) May 3, 2024
चूनाभट्टी थाने में रेप का केस दर्ज है। पति ने अपनी पत्नि से डरने की बात स्वीकारते हुए कहा कि वह इस मामले में भोपाल नहीं आएगा। बच्ची का पिता फिलहाल सूरत में काम करता है।
पुलिस किसी भी वक्त कर सकती है खुलासा
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस मामले को लेकर जल्द ही बड़ा खुलासा कर सकती है। इसे लेकर प्रेसवार्ता की तैयारी चल रही है। किसी भी समय बड़ा खुलासा हो सकता है।
बंसल न्यूज डिजिटल पर बातचीत में भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने इस बात की पुष्टी की है।
महिला का आपराधिक रिकॉर्ड शुरु से खड़े कर रहा था सवाल
बता दें कि महिला का आपराधिक रिकॉर्ड शुरु से ही इस पूरे मामले में सवाल खड़े कर रहा था। वहीं स्कूल के डायरेक्टर ने भी ब्लैकमेलिंग की ओर इशारा किया था।
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अब इस मामले में आगे क्या?
मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टी नहीं होने पर पुलिस अब कोर्ट में खात्मा लगाएगी। लेकिन इससे पहले वह इस पूरे मामले में साजिश के एंगल को भी टटोल रही है।
ताकि कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सके। हालांकि पीड़िता की ओर से इसे चैलेंज किया जा सकता है।
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सबसे बड़ा सवाल: बच्ची का क्या होगा?
इस मामले में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। क्योंकि अब इस पूरे प्रकरण को कानूनी दांवपेंच से होकर गुजरना होगा। जहां आरोप प्रत्यारोप का दौर चलेगा।
अंतिम निर्णय और फैसला कोर्ट को ही करना है। हालांकि इस केस से हटकर सिर्फ कानून की बात करें तो बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं।
बाल कानून विशेष विभांशु जोशी कहते हैं कि यदि माता-पिता बच्चे का वैधानिक दुरुपयोग करते हैं तो बाल कल्याण समिति को स्वत: संज्ञान लेती है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 कहता है कि बच्चे के सर्वोत्तम हित में फैसला लिया जाना चाहिए।