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परिवार हमारे समाज की नींव: इसे मंदिर जैसा होना चाहिए, दुश्मनी की छत नहीं

Bhopal ASI Wife Murder: पुलिसकर्मी द्वारा अपनी पत्नी और साली की हत्या जैसी घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि परिवार के भीतर बढ़ता तनाव और असंतोष कैसे घातक हो सकता है, ऐसा डॉ, सत्यकांत त्रिवेेदी ने बताया।

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Shashank Kumar
Bhopal ASI Wife Murder

Bhopal ASI Wife Murder: परिवार हमारे समाज की नींव है, जहां प्रेम, विश्वास और सहानुभूति की दीवारें खड़ी होती हैं। लेकिन जब परिवार के भीतर संघर्ष, तनाव और संवादहीनता जगह लेती है, तो यह कभी-कभी अपराध का रूप ले लेता है।

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हाल ही में भोपाल में एक पुलिसकर्मी द्वारा अपनी पत्नी और साली की हत्या जैसी घटनाएं (Bhopal ASI Wife Murder) इस बात का प्रमाण हैं कि परिवार के भीतर बढ़ता तनाव और असंतोष कैसे घातक हो सकता है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि परिवार, जिसे एक मंदिर के रूप में देखा जाता है, वह अपराधों का अड्डा क्यों बनता जा रहा है?

संवाद की कमी सबसे बड़ा कारण

परिवार के सदस्यों के बीच संवाद की कमी सबसे बड़ा कारण है। अपनी भावनाओं और समस्याओं को न व्यक्त कर पाना अक्सर गलतफहमियों और गुस्से का रूप ले लेता है। रिश्तों में असुरक्षा, ईर्ष्या और तुलना पारिवारिक माहौल को विषाक्त बना देती है।

अक्सर मानसिक तनाव, डिप्रेशन और गुस्से जैसे मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो अंततः हिंसा का कारण बन सकते हैं। पारिवारिक संपत्ति और अधिकार को लेकर झगड़े, चाहे वह बड़े हों या छोटे, गहरी दरारें पैदा कर देते हैं।

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धैर्य बनाए रखना और संवेदनशीलता बेहद जरूरी

इस समस्या से निपटने के लिए परिवार के भीतर खुलकर बातचीत को प्राथमिकता देना जरूरी है। एक-दूसरे को सुनने और समझने की आदत डालनी चाहिए। रिश्तों में सहानुभूति और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान परिवार को मजबूत बनाता है।

मानसिक तनाव के संकेतों को न करें नजरअंदाज 

किसी भी सदस्य में मानसिक तनाव के संकेत दिखें, तो उसे नजरअंदाज न करें। जरूरत पड़े तो मनोचिकित्सक की मदद लें। साथ में समय बिताने और पारिवारिक गतिविधियों से रिश्ते मजबूत होते हैं। कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना और संवेदनशीलता दिखाना भी बेहद जरूरी है।

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परिवार को अपराध का अड्डा बनने से बचाने के लिए आपसी संवाद, सहानुभूति और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी है। परिवार को एक मंदिर बनाए रखना हमारे व्यवहार पर निर्भर करता है। जहां प्रेम और संवाद होगा, वहां अपराध की जगह नहीं होगी।

लेखक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी (साइकाइट्रिस्ट एंड साइकोलॉजिकल एनालिस्ट)महत्वपूर्ण समसामायिक विषयों पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार प्रकट करते हैं।

 

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