आपने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘पा’ तो देखी होगी। फिल्म में प्रोजेरिया (Progeria) नामक एक गंभीर बीमारी के बारे में बताया गया है। प्रोजेरिया (Progeria) नामक बीमारी एक ऐसी बीमारी है जो दुनिया भर में करोड़ो लोगों में से कुछ ही लोगों में पाई जाती है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रोजेरिया (Progeria) बीमारी से ग्रस्त एक बच्ची मिली है। बच्ची का नाम गुंजन शाक्य (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) है। गुंजन में प्रोजेरिया (Progeria) बीमारी की पहचान भोपाल में डॉक्टर जीशान हानीफ ने की थी।
खबरों के अनुसार भोपाल के मिलिट्री गेट मजदूर नगर में रहने वाली गुंजन (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) पहली कक्षा की छात्रा है। गुंजन बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहती है। गुंजन के लिए एक दिन का डॉक्टर भी बनाया गया था। जब से डॉक्टर जीशान हानीफ ने गुंजन (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) की बीमारी की पहचान की है तब से ही वह उसका इलाज कर रहे है। जब गुंजन को प्रोजेरिया बीमारी (Progeria) होने की बात मीडिया के माध्यम से प्रोजेरिया रिसर्च फाउंडेशन अमेरिका (Progeria Research Foundation America) को लगी तो, उन्होंने गुंजन शाक्या (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) की बीमारी का इलाज करने का बीड़ा उठाया। बीते मंगलवार को गुंजन का सैंपल अमेरिका भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद गुंजन को अमेरिका के एक अस्पताल में कराया जाएगा।
आपको बता दें कि गुंजन (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) 8 साल की है वह कक्षा पहली में पढ़ती है लेकिन वह आम बच्चों की अपेक्षा 2 साल की बच्ची जैसी दिखाई देती है। गुंजन (Bhopal Gunjan shakya Paa Gir) के परिजनों को उम्मीद है कि अमेरिका में इलाज के बाद उनकी बच्ची पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।
क्या है प्रोजोरिया बीमारी
प्रोजेरिया को हम हचिंसन गिलफर्ड सिंड्रोम कहते हैं। आमतौर पर इस बीमारी में शरीर बहुत जल्दी वृद्धावस्था में पहुंच जाता है और जल्दी ही मृत्यु हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की औसत उम्र 13 साल और ज्यादा से ज्यादा 20 साल होती है। जन्म लेने पर ये बच्चे आम बच्चो जैसे ही दिखते हैं, लेकिन समय बीतने पर वृद्धावस्था के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पहले वर्ष से ही बच्चे की बढ़ने की क्षमता कम होगी और धीरे-धीरे बाल भी गिरने लगेंगे। दुनिया में अबतक करीब प्रोजेरिया के 74 मामले सामने आ चुके है। अनुमान लगाया जाता है कि हर साल जन्म लेने वाले 40 लाख शिशुओं में से एक बच्चे को ये बीमारी होती है।