भोपाल। Bhopal News : कोरोना काल में लोगों ने जमकर कमाई की। ऐसे में भोपाल की एक निजि स्कूल private School को भी ये कमाई महंगी पड़ गई। इस दौरान टयूशन फीस के अलावा अन्य फीस की वसूली एक निजी स्कूल को भारी पड़ गई। अभिभावकों द्वारा लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट के बाद स्कूल को अभिभावकों की फीस वापस करनी पड़ी।
शिक्षा विभाग ने दिया था आदेश —
दरअसल कोविड के समय कई लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई। इस समय स्कूलों में पढ़ाई भी आनलाइन चली। इस दौरान सरकार ने निर्देश दिए थे कि स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी प्रकार का अन्य शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके बावजूद शहर के निजी स्कूल द्वारा पूरी फीस वसूली गई। जिसे लेकर माय पैरेंट्स एसोसिएशन ने करीब 21 महीने पहले कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें बताया गया कि हाईकोर्ट के शिक्षण शुल्क ही लेने के आदेश के बाद भी सागर पब्लिक स्कूल ने अन्य कई प्रकार के शुल्क भी लिया। माय पैरेंट्स एसोसिएशन ने कोर्ट की अवमानना की याचिका लगाई और करीब 21 महीने की लड़ाई के बाद अभिभावकों की जीत हुई। कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब में स्कूल ने 118 बच्चों की बढ़ी हुई 20 लाख 62 हजार 430 रूपए की फीस वापस करने की बात कही बल्कि इस पर माफी भी मांगी है।
20 हजार में से केवल 118 बच्चों की फीस वापिस —
आपको बता दें इस निजी स्कूल की राजधानी के साकेत नगर, रोहित नगर, कटारा हिल्स, रातीबड़ और गांधीनगर अयोध्या बायपास में ब्रांचेस चल रही हैं। इन सभी ब्रांचों में करीब 20 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन इस याचिका में अभी तक स्कूल ने सिर्फ उन 118 बच्चों की फीस वापस की है। वो भी इसमें वे अभिभावक शामिल हैं जो माय पेरेंट्स एसोसिएशन में रजिस्टर्ड अभिभावक हैं। अभी 19 हजार से ज्यादा बच्चों की फीस इसमें शामिल नहीं है।
अन्य अभिभावक ऐसे कर सकते हैं शिकायत —
जिन अभिभावकों को उनके बच्चों की फीस वापस की गई है उसमें वे अभिभावक शामिल हैं जो माय पैरेंट्स एसोसिएशन के सदस्य हैं। आपको बता दें अगर आपने भी अपने बच्चों की ट्यूसन फीस के अलावा एक्सट्रा फीस जमा की है तो आप भी फीस वापसी के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए स्कूल के अन्य अभिभावक इस आदेश का हवाला देकर कोरोना काल में लिए गए संबंधित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी या लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त से कर सकते हैं। तब भी सुनवाई न हो तो वे न्यायालय में भी याचिका लगा सकते हैं। माय पैरेंट्स एसोसिएशन की ओर से वकील शैलेष बावा ने कहा कि न्यायालय का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।