Bhopal Indore Metro Updates: भोपाल और इंदौर में एक साथ शुरू हुए मेट्रो निर्माण कार्यों के बीच इंदौर में अगले महीने सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर पब्लिक पैसेंजर रन शुरू हो सकता है। इंदौर में करीब 6 किमी लंबे इस रूट पर पांच मेट्रो स्टेशन बनाए गए हैं।
वहीं, भोपाल में प्रायोरिटी कॉरिडोर 6.22 किमी लंबा है, लेकिन यहां पब्लिक पैसेंजर रन शुरू करने में अभी पांच महीने से अधिक का समय लगेगा। इसकी मुख्य वजह सिविल निर्माण कार्य में हुई देरी है।
भोपाल में निर्माण कार्य में देरी का कारण
भोपाल में मेट्रो निर्माण कार्य में देरी के पीछे रेलवे लाइन के ऊपर ब्रिज बनाने और प्रायोरिटी कॉरिडोर को एम्स तक बढ़ाने का निर्णय है। मेट्रो अधिकारियों के अनुसार, पहले सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच 5 स्टेशनों पर पब्लिक पैसेंजर रन की तैयारी थी। हालांकि, बाद में रूट को एम्स तक बढ़ाने और रेलवे लाइन के ऊपर ब्रिज बनाने के कारण निर्माण कार्य में देरी हुई।
इंदौर में कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी
(सीएमआरएस) की टीम निरीक्षण कार्य पूरा कर चुकी है। सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर सिविल वर्क, इलेक्ट्रिक वर्क, लोड टेस्ट और ट्रायल रन जैसे काम भी पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा, रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम ने भी सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर ट्रैक का परीक्षण कर लिया है।
मेट्रो रेल कंपनी के एमडी एस. कृष्ण चैतन्य के अनुसार, इंदौर में केवल कमिश्नर सीएमआरएस की एनओसी बाकी है। उनके एनओसी देने के बाद मार्च के आखिरी हफ्ते में सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर पब्लिक पैसेंजर रन शुरू किया जा सकता है।
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भोपाल में पांच महीने लगेंगे
भोपाल में मेट्रो निर्माण कार्य अभी आखिरी चरण में है। 6.22 किमी लंबे प्रायोरिटी कॉरिडोर का सिविल वर्क लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन सुभाष नगर डिपो में अभी 20% से अधिक काम बाकी है। सुभाष नगर से रानी कमलापति (आरकेएमपी) स्टेशन के बीच ट्रायल रन पहले ही किया जा चुका है, लेकिन आरकेएमपी से एम्स स्टेशन के बीच ट्रैक का काम पूरा करने में 17 महीने लग गए।
मेट्रो प्रबंधन के अनुसार, 17 महीनों में सबसे अधिक समय गणेश मंदिर के सामने आरओबी से जुड़ी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने में लगा। इसमें करीब 9 महीने लगे, जिसमें रेल मंडल से अनुमति लेना और रेल लाइन के ऊपर स्टील ब्रिज बनाना शामिल है।
अगले महीने आ सकता है आरडीएसओ
मल्टीपल टेस्टिंग के बाद मेट्रो कंपनी अगले महीने तक पूरे प्रायोरिटी ट्रैक का परीक्षण करवाने के लिए आरडीएसओ को बुला सकती है। यह संगठन लखनऊ से ट्रेन के माध्यम से आता है और अपने तकनीकी उपकरणों के साथ ट्रैक का परीक्षण करता है।
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