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MP Saurabh Sharma Case: मध्य प्रदेश के भोपाल में राज्य के इतिहास की सबसे बड़ी जब्ती सामने आई है। गुरुवार-शुक्रवार की रात में पुलिस और आयकर विभाग की संयुक्त कार्रवाई में एक कार से 54 किलो सोना, 10 करोड़ रुपये नकद, और परिवहन विभाग के काले धन से जुड़े साक्ष्य मिले हैं। इस जब्ती ने पूरे राज्य के परिवहन विभाग को जांच के घेरे में ला दिया है। इस मामले में अब ED ने FIR दर्ज कर ली है।
डायरी में 100 करोड़ की सालाना उगाही का खुलासा
कार में मिली डायरी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसमें राज्यभर के 52 आरटीओ और परिवहन विभाग के अधिकारियों के नाम, संपर्क नंबर, और लेन-देन की रकम दर्ज है। डायरी में इस साल दिसंबर तक का लेन-देन भी दर्ज है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व परिवहन कर्मी सौरभ शर्मा सालाना 100 करोड़ रुपये के लेन-देन में शामिल था।
कैसे होता था काले धन का खेल
सौरभ शर्मा, जो परिवहन विभाग में आरक्षक रह चुका है, पर आरोप है कि वह राज्यभर के आरटीओ कार्यालयों से नकद में वसूली कर यह राशि वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचाता था। इस पूरे लेन-देन में सौरभ का खुद का मोटा हिस्सा था।
इस काली कमाई से सौरभ ने सोना और चांदी खरीदी, जिससे कैस का भंडार कम हो सके। उसके पास कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के हिस्से भी सुरक्षित रखे जाते थे। हालांकि केंद्रीय जांच एजेंसियां जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (FIU) अब इस मामले की बारीकी से जांच (Bhopal Income Tax Raid) कर रही हैं।
घटना का सिलसिला और छापेमारी
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इस बड़े छापेमारी (Bhopal Income Tax Raid) से एक दिन पहले 18 दिसंबर को सौरभ की सोने वाली कार अरेरा कॉलोनी में देखी गई थी। इसके बाद 19 दिसंबर को सौरभ की कार को एक खाली प्लॉट में छिपा दिया गया, जिसमें 5-6 हथियारबंद लोग तैनात थे। इन्होंने कार के आगे लगी आरटीओ की प्लेट हटाई और उसे मिट्टी में दबा दिया। इसके बाद कार ढंककर चले गए।
इसके बाद मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई है, क्योंकि गुरुवार शाम 4 बजे लावारिस कार की सूचना मिल गई थी। आधे घंटे बाद दो पुलिसकर्मी पहुंचे। इसके बाद पुलिसकर्मी आते-जाते रहे, पर रात 11 बजे तक कार्रवाई नहीं की गई। फिर रात 11:30 बजे आयकर टीम मौके पर पहुंची। तब भी वहां 7-8 पुलिसकर्मी थे, जो धीरे-धीरे निकल गए। मौके पर एक हेड कांस्टेबल ही बचा। कार्रवाई पर बहस चली तो पुलिस अफसर ने कार्रवाई नहीं करने की बात लिखित में दी।
सौरभ शर्मा एक आरक्षक, लेकिन संपत्ति करोड़ों की
परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा ने मात्र सात साल के करियर से इतनी अकूत संपत्ति जुटा ली, जिसे देखकर सभी हैरान हैं। एक सिपाही के घर से 232 किलो चांदी (कीमत करीब 2 करोड़ रुपये) और 1.72 करोड़ कैश मिले। फार्म हाउस के अंदर कार से बरामद 54 किलो सोना (कीमत करीब 32 करोड़ रुपये) और 10 करोड़ कैश का लिंक भी उसी से जुड़ रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सौरभ ने अकेले दम पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया?
क्या अकेले सौरभ जिम्मेदार है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी काली कमाई सौरभ अकेले नहीं कर सकता। इस मामले में नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी भी उजागर हो सकती है। कनेक्शन और रसूख का ही प्रमाण हैं कि सौरभ लोकायुक्त की कार्रवाई से पहले फरार हो गया और अब दुबई में है। जाहिर है, उसे कार्रवाई की भनक पहले से थी।
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जांच और आगे की कार्रवाई
इस घटना के बाद से केंद्रीय एजेंसियों की जांच तेज हो गई है। ईडी और आयकर विभाग (Bhopal Income Tax Raid) ने राज्यभर में परिवहन विभाग से जुड़े लेन-देन की जांच शुरू कर दी है। सौरभ की डायरी में नेताओं की भागीदारी भी सामने आई है। इसमें जिन नेताओं और अधिकारियों के नाम दर्ज हैं, उनकी जांच शुरू होगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश केवल सौरभ तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अगर सरकार अपनी छवि सुधारना चाहती है, तो इस काले खेल में शामिल सभी नेताओं और अफसरों को बेनकाब करना होगा। यह जब्ती न केवल मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि भ्रष्टाचार के नेटवर्क को उजागर करने का एक अवसर भी है।
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