रिपोर्ट- संजय श्रोत्रिय
GIS Summit Bhopal: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हो रही ग्लोबल इन्वेटर्स सबमिट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंदेरी की विश्व प्रसिद्ध साड़ी की तारीफ की है और निवेशकों से आव्हान किया है कि वह चंदेरी साड़ी उद्योग में निवेश करें,जिससे इसके व्यापार में विश्वस्तरीय वृद्धि हो सके।
प्रधानमंत्री की प्रशंसा एवं निवेशकों से किए गए आव्हान के बाद एक बार फिर से चंदेरी साड़ी चर्चाओं में है। सोमवार 25 जनवरी दोपहर जब इस सबमिट में प्रधानमंत्री बोल रहे थे तो चंदेरी के लोग एकटक होकर सुन रहे थे, जैसे ही उन्होंने वस्त्र उद्योग की बात करते हुए चंदेरी साड़ी का जिक्र किया और निवेशकों से निवेश की मांग रखी तो चंदेरी सहित अशोकनगर जिले में खुशी की लहर दौड़ गई।
करीब 4000 परिवार बनाते हैं चंदेरी साड़ियां
चंदेरी साड़ी को बनाने से लेकर बेचने से जुड़े हजारों परिवारों के लिए यह सुनहरा पल था। उनको उम्मीद है कि अब चंदेरी साड़ी उद्योग को न केवल बड़े निवेशक मिलेंगे बल्कि इसकी प्रसिद्धि में और भी उछाल आएगा। बताया गया है कि चंदेरी साड़ी के केवल चंदेरी में ही 4885 करघे लगे हुए हैं।
जिनपर करीब डेढ़ हजार बुनकर काम करते हैं। चंदेरी साड़ी बनाने का काम करीब 4000 परिवारों में किया जाता है। चंदेरी में साड़ी की 30 बड़ी दुकानें हैं, जिनकी शाखाएं देश के कई महानगरों में भी हैं। इस साड़ी का सालाना व्यापार करीब 150 करोड़ रुपए का है।
700 साल पुरानी है चंदेरी साड़ी की कला
बताया गया है कि चंदेरी साड़ी की कला 13-14वीं सदी की है। इस साड़ी को कई सदियों तक राजघरानों की पहली पसंद माना जाता रहा। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस साड़ी को काफी पसंद करती थीं।
सिंधिया राजघराने से आजादी के पहले और आजादी के बाद भी इस साड़ी को हमेशा से तरजीह दी। फिल्म अभिनेत्रियों की बात करें तो करीना कपूर और अनुष्का शर्मा जैसी प्रसिद्ध अभिनेत्रियों को चंदेरी की साड़ी पसंद है।
देश ही नहीं दुनिया भर में हैं मुरीद
चंदेरी की साड़ियां मध्य प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखती है, कभी अस्तित्व बनाए रखने के लिए जूझते चंदेरी के बुनकर अब हाईटेक हो गए हैं और वक्त के साथ ऊंची उड़ान भर रहे हैं। यहां घर-घर में करघा लगा है।
इन करघों पर बुनकर परिवार पीढ़ियों से ताना-बाना बुनते आ रहे हैं। आज चंदेरी में केवल साड़ियां ही नहीं, बल्कि ड्रेस मटेरियल, तैयार ड्रेसेज, स्टाल, चुन्नी भी मिलती हैं। इसके साथ ही कुशन, सोफा कवर, पर्दे जैसे कई आइटम घरों की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं।
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कम समय में तैयार हो जाते हैं परफेक्ट डिजाइन
300-400 साल से इस पेशे से जुड़े परिवार के मुशीर अहमद मोटामल कहते हैं कि तकनीक ने चंदेरी उद्योग को बहुत सहारा दिया है। अब कंप्यूटर से डिजाइनिंग होने लगी है। इसका सबसे बड़ा फायदा यही हुआ कि अब तुरंत डिजाइन तैयार कर लिया जाता है और वह डिजाइन हमेशा के लिए आपके पास रहता है।
आप जब चाहे उसमें बदलाव कर सकते हैं, उसे छोटा या बड़ा करके और भी बेहतर और नया लुक दे सकते हैं। जबकि पहले डिजाइन तैयार करने वाले गिनती के 2-4 ही लोग थे। इनके पास नंबर लगाना पड़ता था तब डिजाइन बन पाता था। वो भी कभी-कभी परफेक्ट नहीं होता था।
जैक्वार्ड मशीनों से हाईटेक हुए बुनकर
बुनकर अशोक लालमणि कहते हैं कि पहले जहां हाथ से चंदेरी की साड़ियां तैयार होती थीं, तब उनके डिजाइन बदलने के लिए बार-बार पट्टे बदलने पड़ते थे। एक-एक धागे को हाथ से उठाना पड़ता था। लेकिन अब बिना पट्टे बदले, बिना धागे उठाए ही साड़ियों के डिजाइन बदले जा सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक जैक्वार्ड मशीनों से ये काम आसान हो गया है। इससे 10 दिन में बनने वाली साड़ी अब 7 दिन में बनकर तैयार हो जाती है। वर्तमान में 10 व्यापारियों के यहां ये जैक्वार्ड मशीनें लगी हैं। इसकी मदद से बुनकर नई डिजाइनर साड़ी बनाने लगे हैं, हालांकि पूरी साड़ी आज भी बुनकर हाथ से ही तैयार करते है।
बुनकर पार्क ने दी विश्वस्तरीय पहचान
मध्य प्रदेश शासन ने बुनकरों को एक ही छत के नीचे तमाम तरह की सुविधाएं देने के उद्देश्य से चंदेरी में हैंडलूम पार्क का निर्माण करवाया. था। 2017 में 42.80 करोड़ रुपए की लागत से तैयार ये हैंडलूम पार्क 4.19 हैक्टेयर एरिया में बना है। इसमें 24 हॉल या ब्लॉक हैं जिनमें, 240 करघे लगवाए गए हैं।
यानी यहां हर ब्लॉक में 10 हथकरघे लगे हैं। इनका उद्देश्य बेरोजगार बुनकरों को रोजगार मुहैया कराना है। वर्तमान में यहां एक ब्लॉक में 10 बुनकर काम कर रहे हैं। हैंडलूम पार्क में बुनकरों के साथ ही साड़ियां या कपडे़ तैयार करने से लेकर हर छोटा बड़ा काम बुनकर समितियां/उद्यमी, एनजीओ संभाल रहे हैं।
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