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Bhopal News: भोपाल में इस जगह पर मोबाइल से दूर रहेंगी लड़कियां, करेंगी आत्म चिंतन, जानें क्या है वजह

MP News: हर महीने आयोजित होने वाला विपासना शिविर मई के महीने में भोपाल में बालिकाओं के लिए आयोजित किया गया है.

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Kalpana Madhu
Bhopal News: भोपाल में इस जगह पर मोबाइल से दूर रहेंगी लड़कियां, करेंगी आत्म चिंतन, जानें क्या है वजह

MP News: हर महीने आयोजित होने वाला विपासना शिविर मई के महीने में भोपाल में बालिकाओं के लिए आयोजित किया गया है. जहां पर देश के कई हिस्सों से बालिकाओं ने शिविर में हिस्सा लिया है. यह शिविर केवल 15 से 19 साल तक की लड़कियों के लिए आयोजित किया गया है. इस बार शिविर में 53 बालिकाओं ने हिस्सा लिया है.

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बता दें कि अलग-अलग राज्यों जैसे की गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से कई बालिकाओं ने शिविर में हिस्सा लिया है. विपासना केंद्र का कोर्स पूरी तरह निशुल्क होता है, जहां पर भोजन के साथ रहने की सुविधा भी मुफ्त में दी जाती है. यह सालों पुरानी ध्यान करने की एक नायाब प्रक्रिया है.

इतने दिनों का होता है शिविर

बता दें कि विपासना केंद्र में हर महीने शिविर का आयोजन किया जाता है. बालिकाओं के लिए शिविर की शुरुआत 22 मई से की गई है. जिसमें 53 बालिकाओं ने हिस्सा लिया है.

इस शिविर में बालिकाओं को मानसिक तनाव, मन एकाग्रता, आत्म निरीक्षण करने की प्रक्रिया सिखाई जाती है.

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इन सात दिन में बच्चियों को मोबाइल फोन और अन्य साधनों से दूर रखा जाता है. यह शिविर पूरी तरह निशुल्क होती है. शिविर के दौरान बच्चों को मौन व्रत धारण करवाया जाता है. साथ ही अन्य योग आसन भी सिखाए जाते हैं.

इन सात दिन बालिकाओं को फोन और अन्य गैजेट से दूर रखा जायेगा. ताकि वो आत्म चिंतन कर सके.

क्या होता है विपासना केंद्र

विपासना केंद्र में कम से कम दस दिनों का आवासी शिविर होता है.इस शिविर में रहने वाले सभी लोग एक ही तरह के कपड़े पहनते हैं और एक ही तरह का भोजन करते हैं. शिविर के दौरान, शिविरार्थी विपश्यना ध्यान का अभ्यास करते हैं.

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शिविर की शुरुआत में, शिविरार्थियों को ध्यान के अभ्यास के बारे में जानकारी दी जाती है.उन्हें बताया जाता है कि विपश्यना ध्यान का उद्देश्य है अपने शरीर और मन की गहराई से समझना.

ध्यान के अभ्यास से, शिविरार्थी अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों को महसूस करना सीखते हैं.वे अपने मन में उठने वाले विचारों और भावनाओं को भी ध्यान से देखना सीखते हैं.

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