Bhopal Gas Tragedy: साल 1984 में 2-3 तारीख भोपालवासियों के लिए काल बनकर आई थी, जो कभी ना भुलाने वाली घटना है। आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज है, जिससे याद कर हर किसी की आंखें नम हो जाती है। जिसमें सिर्फ दुख और दर्द नजर आता है।
भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी
भोपाल गैस त्रासदी की घटना एक भूचाल की तरह सब कुछ नष्ट करके चली गई। इस त्रासदी में हजारों लोगों की मौत हो गई। 1984 में 2 दिसंबर की रात बहुत डरावनी और दूसरे दिन 3 दिसंबर की सुबह चीख-पुखारों वाली थीं।
पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी की आज (3 दिसंबर 2024) 40वीं बरसी है।
आखिरी क्या हुआ था उस रात
भोपाल गैस कांड की दुर्घटना को आज तक भुलाया नहीं जाता है, क्योंकि इस त्रासदी का परिणाम आज भी लोग झेल रहे हैं। दरअसल, साल 1984 की 2-3 दिसंबर की रात को बड़ी अनहोनी हो गई थी।
कीटनाशक बनाने वाली जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइट का रिसाव हुआ, जिससे पूरे शहर में गैस तेजी से फैलने लगी। सुबह तक राजधानी का अधिकांश हिस्सा गैस की चपेट में आ गया। आसमान में धुंध छा गई, जिससे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
इस कंपनी में बनता था कीटनाशक
भारत में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी है, जिसे 1969 में यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन द्वारा स्थापित किया गया। यूनियन कार्बाइड का कारखाना भोपाल के छोला रोड पर स्थित है। इसके खुलने के बाद वर्ष 1979 में शहर में प्रोडक्शन प्लांट शुरू हुआ। इसमें मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) कीटनाशक बनाया जाता था।
कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा?
- 2 दिसंबर को रात के 8 बजे यूनियन कार्बाइड कारखाने में सुपरवाइजर और मजदूर अपना काम कर रहे थे।
- 9 बजे छह कर्मचारी भूमिगत टैंक के पास पाइनलाइन की सफाई का काम करने गए।
- 10 बजे टैक में रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हुई। इसके बाद टैंकर का तापमान 200 डिग्री पहुंचा और गैस बनने लगी।
- रात 10.30 बजे टैंक से गैस पाइप में पहुंचने लगी। इस दौरान वाल्व ठीक से बंद नहीं होने के कारण टॉवर से गैस का रिसाव होने लगा।
- प्लांट पर मौजूद कर्मचारियों को घबराहट होने लगी। वाल्व बंद करने की कोशिश की गई, लेकिन अचानक सायरन की आवाज आई।
- आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को घुटन, खांसी, आंखों में जलन, पेट फूलना और उल्टियां होने लगी। इस जहरीली गैस ने हजारों लोगों का जीवन एक झटके में समाप्त कर दिया।
- यूनियन कार्बाइड कारखाने के मालिक वॉरेन एंडरसन इस हादसे के बाद रातों-रात अमेरिका भाग गया। वो कभी भारत लौटकर नहीं आया।
- तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने एंडरसन को गिरफ्तार कराया, लेकिन यूएस सरकार की दबाव में आकर सरकार ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया। हालांकि शर्त थी कि जब भी कानून उसे बुलाएगा तो भारत आना पड़ेगा।
- वॉरेन एंडरसन के खिलाफ दो बार वारंट जारी हुए, लेकिन वो भारत नहीं लौटा। इतनी बड़ी त्रासदी के लिए बिना सजा पाए 29 सितंबर 2014 को एंडरसन की मौत हो गई।
भोपाल गैस कांड से नहीं लिया सबक
- सबसे खतरनाक बात यह है कि भोपाल गैस कांड से कोई सबक नहीं लिया गया है। मई 2020 से जून 2021 के बीच औद्योगिक हादसों में 231 मजूदरों की मौत हुई है।
आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम के एलजी प्लांट से जहरीली गैस के रिसाव से एक दर्जन मौत से लेकर थर्मल पावर प्लांट विस्फोट में 20 लोगों की जान चले जाने के हादसे शामिल हैं। - भोपाल गैस हादसे में गर्भवती स्त्रियों में से 24.2% गर्भपात का शिकार हो गई थीं। 60.9% जन्मे बच्चे ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाए। मौत के जाल से बचकर आए बच्चों में 14.3 फीसदी शारीरिक रूप से विकृत थे।
- इतना ही नहीं हादसे के समय बच्चों पर गैस का घातक असर हुआ। वे उम्र बढ़ने के साथ सांस की तकलीफ से परेशान हुए। आज भी उनकी परेशानी जारी है।
- मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, अटल अयूब नगर, न्यू आरिफ नगर, गरीब नगर सहित आठ बस्तियों में बोरवेल के पानी का टीडीएस लेवल तय मानकों से खराब है।
- 22 अप्रैल 2024 को इन क्षेत्रों सैंपल लिए गए थे। जांच में पानी में टीडीएस, हार्डनेस और रंग तय मानकों से अधिक पाया गया।
- एम्स भोपाल के नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. एमके अटलानी के अनुसार, उच्च टीडीएस और हार्डनेस वाला पानी पीने से किडनी की पथरी होने का खतरा है।
बस्ती |
टीडीएस |
रंग |
हार्डनेस |
अटल अयूब नगर | 1098 | 20 | 440 |
न्यू आरिफ नगर | 724 | 10 | 332 |
गरीब नगर | 820 | 20 | 408 |
ब्लूमून कॉलोनी | 1120 | 20 | 360 |
शिवनगर | 946 | 10 | 344 |
कैंचीछोला कॉलोनी | 998 | 20 | 548 |
शक्ति नगर | 924 | 20 | 352 |
डीआईजी कॉलोनी | 688 | 20 | 384 |
पीजीबीटी कॉलेज रोड | 688 | 20 | 384 |