हाइलाइट्स
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भोपाल AIIMS बना रहा देश का पहला डिवाइस।
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डिवाइस को हाथ में पहनकर सोने से बीमारी का चलेगा पता।
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डिवाइस से अब खुद नाप सकेंगे अपने खर्राटे।
MP AIIMS News: भोपाल AIIMS एक ऐसा डिवाइस बनाने जा रहा है, जिसे अपने हाथ में पहनकर सोने से बीमारी का पता चलेगा। यह डिवाइस देश का पहला डिवाइस होगा। नींद से जागने के बाद थकान महसूस होना, काम करते समय नींद आना, रात को सोते समय खर्राटे लेना। ये सभी स्लीप एपनिया बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इन बीमारियों की जांच इस डिवाइस से की जा सकेगी।
ये ऐसी बीमारी होती है, जिसके बारे में मरीज को पता ही नहीं चलता कि वो कब इस बीमारी की चपेट में आ चुका है। जब इसका पता चलता है, तब तक मरीज अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता को प्रभावित कर चुका होता है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
जैसे कि नाम से ही जाहिर होता है, कि ‘स्लीप एपनिया’ नींद से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी का पता स्लीपिंग पैटर्न से ही लगाया जा सकता है। लेकन बड़ी बात ये, कि किसी व्यक्ति का स्लीपिंग पैटर्न कैसा है? इसका रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे पता लगाया जाए?
इसके लिए भोपाल AIIMS एक ऐसा डिवाइस तैयार कर रहा है, जिसको एक स्मार्ट वॉच की तरह हाथ में पहना जा सकेगा। यह डिवाइस होम पॉली सोनोग्राफी ‘होप’ नाम से बनाया जा रहा है। यह डिवाइस किसी भी व्यक्ति के स्लीपिंग पैटर्न को बताएगा। इससे क्वालिटी नींद का भी पता चल पाएगा।
इस डिवाइस को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, अभी बाजार में मिलने वाले डिवाइस से ये कितना अलग होगा, कब तक बनकर तैयार हो जाएगा और इसकी कीमत क्या होगी आइए आपको बताते हैं।
क्यों पड़ी इस डिवाइस की जरूरत
दिल्ली AIIMS के पल्मोनरी डिपार्टमेंट ने पिछले साल स्लीप एपनिया पर एक स्टडी की है। जिसके हिसाब से देश में 11 प्रतिशत लोग OSA से पीड़ित हैं। इसमें से 4.7 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो नॉर्मल गंभीर के साथ ज्यादा गंभीर रूप से पीड़ित हैं। इस बीमारी का खतरा महिलाओं 5% के मुकाबले पुरुषों 13% को ज्यादा है। जिनमें 15 से 64 साल के काम काजी वर्ग की महिलाएं शामिल हैं। रिसर्च के मुताबिक आने वाले समय में ये इस बीमारी से देश की बड़ी आबादी पीड़ित हो सकती है। इसके पहले लोगों को समय रहते जागरूक करना बहुत जरूरी है।
MP में 32 % लोग इस बीमारी से पीड़ित
भोपाल का AIIMS भी एमपी में इस बीमारी को लेकर रिसर्च कर चुका है। 1080 मरीजों पर की गई रिसर्च से पता चला कि स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों में से 66% लोग ऐसे हैं, जिनको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है।
इसके अलावा 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग इससे ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं। इस बीमारी की वजह से मरीज आम व्यक्ति के मुकाबले 2 घंटे कम या ज्यादा नींद ले रहे हैं।
5 से 10 साल के 10 % बच्चे भी सोते समय खर्राटे लेने की समस्या से जूझ रहे हैं। जब ऐसी समस्या होती है, तो बच्चे को रात में बार-बार पेशाब को लिए जागना पड़ता है। पढ़ाई में मन नहीं लगता। इससे बच्चा हाइपर एक्टिव हो जाता है।
वहीं, 18 से 40 साल तक के 20% युवा ऐसे हैं, जो स्लीप एपनिया की चपेट में हैं। इस बीमारी के लक्षण ज्यादा या कम नींद आना दोनों होते हैं।
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काम कैसे करेगा ‘होप’ डिवाइस?
‘होप’ डिवाइस एक वॉच की तरह होगा। जिसे हाथ में पहनकर सोया जा सकता है। क्योंकि सोते समय व्यक्ति को यह पता नहीं चलता कि वो खर्राटे ले रहा है, या फिर बार-बार उसकी नींद टूट रही है। साथ ही ये भी पता नहीं चलता कि वो गहरी नींद में है या नहीं।
ये डिवाइस व्यक्ति के सोने वाले इस पैटर्न को रिकॉर्ड करेगा। ये दिल की धड़कन, बॉडी मूवमेंट के साथ-सथ इसकी भी जांच करेगा कि आपके दिमाग तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच पा रही है, या नहीं।
कब तक बनेगा ये डिवाइस और इसकी कीमत क्या होगी?
डिवाइस का 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। 2026 तक ये डिवाइस बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी कीमत शुरुआत में एक स्मार्ट वॉच की कीमत से थोड़ी ज्यादा महंगी होगी। लेकिन जो डिवाइस विदेशी होते हैं, उन डिवाइस से तो कम होगी।