Bhopal Rape Case: 1 मई को भोपाल में एक बड़े प्राइवेट स्कूल में दूसरी क्लास में पढ़ने वाली 8 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म (Bhopal Rape Case) का मामला सामने आया था।
8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने SIT का जांच के आदेश दे दिए हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले में सबसे बड़ा राजदार माने जा रहे सब इंस्पेक्टर प्रकाश राजपूत फरार चल रहा है। जबकि इस मामले में स्कूल प्रशासन से लेकर पुलिस महकमे तक सबकी भूमिका पर कई सवाल खड़े हुए हैं।
चलिए आपको बताते हैं कि इस मामले पर बच्ची की मां, पुलिस प्रशासन और स्कूल प्रबंधन का क्या कहना है।
क्या है मामला
1 मई को भोपाल के मिसरोद थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक नामी स्कूल के हॉस्टल में दूसरी क्लास में पढ़ने वाली 8 साल की बच्ची के साथ (Bhopal Rape Case) दुष्कर्म का मामला सामने आया था।
ये खबर सामने आने के बाद एमपी के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने SIT टीम गठित कर जांच के आदेश दे दिए, जबकि मां का आरोप था कि मिसरोद थाना पुलिस ने उनपर मामला दर्ज नहीं करने पर दबाव बनाया था।
स्कूल प्रबंधन सवालोंं के घेरे में
बच्ची की मां जब 28 अप्रैल को बच्ची से फोन पर बात करने के बाद 29 अप्रैल को हॉस्टल पहुंची, उस समय उन्हें बताया गया कि बाकी के बच्चे उनके पैरेंट्स के साथ जा चुके हैं। जबकि बच्ची की मां को छुट्टी के लिए कोई जानकारी नहीं दी गई।
वहीं बच्ची ने जिन 2 वॉर्डन (Bhopal Rape Case) के बारे में उन्हें बताया था, स्कूल प्रबंधन उनके नाम तक नहीं जानता है। वहीं एक सवाल यह भी उठ रहा है कि पुरानी वॉर्डन का नौकरी छोड़ने का क्या कारण था।
दोनों वॉर्डन का पुलिस वेरिफिकेशन (Bhopal Rape Case) करवाया गया था या नहीं। जबकि स्कूल संचालिका से पूछा गया कि स्कूल में टोटल कितने बच्चे हैं, तो इस पर भी उनका सही जवाब सामने नहीं आया।
सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि बच्ची के एडमिशन के समय पूरे दस्तावेज नहीं होने के बाद भी, एडमिशन किस आधार पर दिया गया। स्कूल प्रबंधन ने दस्तावेज की पूरे करने के बाद एडमिशन क्यों नहीं किया।
स्कूल प्रबंधन को एडमिशन देने की इतनी क्या जल्दी थी। यह सब सवाल स्कूल की भूमिका पर कई प्रश्न खड़े कर रहे हैं।
ये मिला जवाब: दोनों वॉर्डन का नाम पूछने पर स्कूल प्रबंधन ने कहा कि उन दोनों को 15 दिन पहले ही भर्ती किया गया था। साथ ही उन्होंने कहा कि उनसे पहले जो वॉर्डन थी वह नौकरी छोड़ कर चली गई थी, जिसके बाद इन दोनों को भर्ती किया गया था।
वहीं जब पूछा गया कि स्कूल हॉस्टल (Bhopal Rape Case) में कितने बच्चे हैं, तो उन्होंने सटीक जानकारी नहीं दी, जिसपर पुलिस प्रशासन और बाल आयोग की टीम इस रवैये से काफी नाराज दिखाई दी।
साथ ही स्कूल प्रबंधन ने यह भी कहा कि बच्ची की मां ने एडिमशन के समय पूरे दस्तावेज नहीं दिए थे।
SI प्रकाश राजपूत की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में एसआई प्रकाश राजपूत की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। दरअसल एसआई राजपूत ही महिला के साथ बच्ची का स्कूल में एडमिशन कराने गया था।
वहीं बच्ची की मां ने कहा था जब मैं जेपी हॉस्पिटल (Bhopal Rape Case) पहुंची तो वहां पर एसआई प्रकाश मुझ से मिलने आया था।
उसने शिकायत नहीं करने ता दबाव डाला। उसने यह भी कहा कि मुझे यहां पर मोदी साहब (प्रियंका मोदी- डायरेक्टर) ने भेजा है। उसने कहा था कि मैं इसके एवज में तुम्हें बड़ी रमक दिला दूंगा, बस तुम इसकी शिकायत मत कराओ।
ये मिला जवाब: मामला दर्ज होने के बाद से ही एसआई प्रकाश राजपूत फरार चल रहे हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। इसलिए मामले में एसआई प्रकाश राजपूत का पक्ष अब तक सामने नहीं आया है।
पीड़िता की मां पर भी आरोप
एफआईआर में हुई देरी की वजह की पड़ताल पर पीड़िता की मां पर भी सवाल खड़े हो गए। स्कूल प्रबंधन ने भी महिला पर आरोप लगाए हैं।
दरअसल महिला पर पहले से ही क्रिमिनल चार्ज लगने होने की बात सामने आ रही है। साथ ही भोपाल में ही रहने के बावजूद अपनी छोटी बच्ची को हॉस्टल में रखने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
इसके अलावा जिस एसआई पर महिला एफआईआर दर्ज नहीं करने का दबाव बनाने का आरोप लगा रही है। वही एसआई महिला के साथ बच्ची का स्कूल में एडमिशन कराने गया हुआ था।
ये मिला जवाब: जब बच्ची की मां से पूछा गया कि आप एसआई प्रकाश राजपूत के साथ बच्ची का एडमिशन करवाने क्यों गई थीं, इस पर उन्होंने बताया कि मैं उनको पहले से जानती थी, लेकिन मेरी बेटी के साथ कोई दरिंदगी से मैं समझौता कैसे कर सकती हूं।
बच्ची के पिता को लेकर जब मां से पूछा गया तब उन्होंने बताया कि यह मेरा पारिवारिक मामला है। मैं अपनी बेटी से अलग रह रही हूं , मगर मैं अपनी बेटी की परवरिश खुद कर रही हूं।
वहीं मां से पूछा गया कि आप भोपाल की रहने वाली हैं, तो बच्ची को हॉस्टल में क्यों रखा? इस पर मां ने कहा कि मेरी बीडीएस की पढ़ाई पूरी हो गई है, मैंने सोचा था कि मैं बेटी को हॉस्टल में रखकर अपनी नौकरी पर ज्यादा अच्छी तरह से ध्यान दे पाते।
पुलिस पर भी उठ रहे सवाल
पुलिस कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। ये बात सामने आ रही है कि एसआई प्रकाश राजपूत ने महिला पर एफआईआर दर्ज नहीं करने का दबाव बनाया था। बावजूद उसके सोमवार को महिला के थाने पहुंचने की बात सामने आई है।
अब तक किसी भी माध्यम से पुलिस ने सोमवार को महिला के थाने में आने की बात का खंडन नहीं किया है। सवाल ये है कि यदि महिला सोमवार को थाने आई थी तो उसी समय मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया।
ये मिला जवाब: भोपाल जोन 2 की डीसीपी श्रद्धा तिवारी का कहना है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पीड़िता की मां के क्रिमिनल बैकग्राउंड को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने में देरी की गई।
जबकि पीड़िता की मां ने खुद बताया था कि उसका आपरेशन हुआ है, इसलिए वो एक दिन बाद एफआईआर दर्ज कराने आएगी।
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