हाइलाइट्स
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भिंड-दतिया लोकसभा सीट पर 35 साल से बीजेपी काबिज
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भिंड लोकसभा सीट पर 7 मई को होना है चुनाव
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भिंड में किसी पार्टी ने नहीं किया विकास, हालात बदतर
Bhind Lok Sabha Seat: देश में 18वीं लोकसभा चुनाव का महासंग्राम चल रहा है।
दो चरणों का चुनाव हो चुका है। मध्यप्रदेश में 29 सीटों में से अब तक 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है।
अब तीसरे चरण में 9 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें प्रदेश चंबल- बुंदेलखंड की भिंड-दतिया लोकसभा सीट भी शामिल है।
यहां आज इसी भिंड-दतिया लोकसभा सीट (Bhind Lok Sabha Seat) का एनालिसिस कर रहे हैं।
भिंड लोकसभा सीट पर 35 साल से बीजेपी का कब्जा
भिंड लोकसभा सीट (Bhind Lok Sabha Seat) का मिजाज हमेशा अलग रहा है। हालांकि पिछले 35 साल से यहां बीजेपी काबिज है।
इसे बीजेपी का गढ़ माना जाने लगा है, लेकिन इस बार हवा बहुत गर्म चल रही है। चार दिन से ही यहां लगना शुरू हुआ है कि देश का कोई बड़ा चुनाव हो रहा है।
जनता में उत्साह कम है। विकास की दौड़ में अभी भी भिंड पिछड़ा है।
कांग्रेस के 70 साल में और बीजेपी के 10 साल में ऐसा कोई काम नहीं हुआ है कि जिससे यहां की स्वाभिमानी जनता को खास राहत मिली हो।
युवाओं का लगातार पलायन जारी
महंगाई, बेरोजगारी और जनता से जुड़ी समस्याओं के निपटारे के लिए भिंड लोकसभा में कोई मापदंड नहीं हैं।
युवा परेशान होकर पलायन कर रहे हैं, जो बचे हैं वे किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।
बीजेपी की संध्या राय का मुकाबला कांग्रेस के बरैया से
भिंड सीट (Bhind Lok Sabha Seat) पर इस बार मौजूदा बीजेपी सांसद संध्या राय और कांग्रेस के भांडेर से विधायक फूल सिंह बरैया में मुख्य मुकाबला है।
हालांकि, देवाशीष जरारिया ने बसपा से मैदान में ताल ठोकी है।
पिछले चुनाव ( 2019) में देवाशीष कांग्रेस के टिकट पर चुनाव (Bhind Lok Sabha Seat) लड़े थे। उन्हें हार मिली थी।
बीजेपी प्रत्याशी संध्या राय की ताकत
- बीजेपी प्रत्याशी संध्या राय की सबसे बड़ी ताकत मोदी और पार्टी है। वे मोदी के नाम पर ही वोट मांग रही हैं।
- इसके अलावा राम मंदिर और देश में हो रहे विकास की बात कर रही हैं। भविष्य में भिंड को भी देश में हो रहे विकास का लाभ मिलेगा।
- ग्वालियर-भिंड- इटावा रेल लाइन को बीजेपी सरकार की देन बताकर वोट बटोरने की कवायद की जा रही है।
- संध्या राय को बीजेपी का परंपरागत वोट मिलना तय माना जा रहा है।
- इससे अलावा बसपा प्रत्याशी देवाशीष की उम्मीदवारी भी बीजेपी को फायदा दिलाएगी। माना जा रहा है देवाशीष, कांग्रेस के वोटों में ही सेंध लगाएंगे।
बीजेपी उम्मीदवार संध्या राय की चुनौती
- जनता से सीधा संपर्क कम होना, बीजेपी की संध्या के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
- पिछले 5 साल में भिंड का विकास ना होना भी संध्या के लिए चुनौती है। इसके साथ ही अटेर रोड पर ओवर ब्रिज की मांग पूरी नहीं होने से आमजन नाराज है। लोगों को दिन में कई बार घंटों रेलवे फाटक पर खड़ा रहना पड़ता है। यानी रोजाना जाम की स्थिति भिंडवासियों के लिए दिनचर्या का हिस्सा बन गई है।
- भिंड- ग्वालियर सड़क मार्ग को सिक्स लेन बनाने की कई साल से मांग चल रही है। यहां भी ट्रैफिक बढ़ने से परेशान कम नहीं रहती है।
- भिंडवासियों, विशेषकर युवाओं को मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में काम नहीं मिलना भी चंबल के इस जिले के लोगों को करकस की तरह चुभता है।
- भिंड- उरई- महोवा रेल प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ा है।
- इटावा बैरियर पर भारी वाहनों का संचालन पिछले साल अक्टूबर से बंद पड़ा है। जिसने लोगों की 50 साल पुरानी यादें ताजा कर दी हैं, जब चंबल नदी पर पुल नहीं हुआ करता था। लोग अपना सामान सिर पर रख नदी पार करते थे और फिर इटावा के लिए दूसरी बस पकड़कर गंतव्य के लिए रवाना होते थे। ऐसे ही हालात वर्तमान में हैं।
- इसके इलावा संध्या राय के परिवार के लोगों की गतिविधियां से भी यहां लोग नाराज बताए जा रहे हैं। जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।
कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया की ताकत
- फूल सिंह बरैया एक जागरुक नेता है। बसपा से कांग्रेस में आए हैं। जिससे उनका बसपा में अभी भी दखल है या यह कहें कि उनको बसपा के परंपरागत वोट हासिल करने में सफलता मिल सकती है।
- बरैया भांडेर विधानसभा से कांग्रेस के विधायक हैं। जिसका लाभ उन्हें यहां जरूर मिलेगा।
- देश में उठ रहे कोरोना वैक्सीन और जेडीएस के सांसद प्रज्ज्वल रेवन्ना के रेप केस का मामला, यदि कांग्रेस जनता तक पहुंचा सकी तो कुछ जागरुक वोटर्स कांग्रेस प्रत्याशी को संबल दे सकते हैं।
- वोटिंग कम होना कांग्रेस को फायदा दिला सकता है। सामान्य वोटर तेज गर्मी में घर से नहीं निकलेगा। ऐसे में कांग्रेस के परंपरागत और गरीबों के वोट कांग्रेस को मिल सकते हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया की चुनौती
- कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया के लिए मोदी लहर सबसे बड़ी चुनौती है। जिससे पार पाना कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मुश्किल हो रहा है।
- चंबल और खास तौर पर भिंड के नेता सिकुड़ कर बैठ गए हैं। जिससे कांग्रेस में उत्साह कम दिखाई पड़ रहा है।
- देवाशीष जरारिया का टिकट कटने से कई कांग्रेस नेता नाराज चल रहे हैं। जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
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भिंड में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में कांटे का रहेगा
भिंड के वरिष्ठ पत्रकार मिजाजीलाल जैन का मानना है कि विकास की भिंड (Bhind Lok Sabha Seat) में बहुत गुंजाइश है।
यहां किसी भी पार्टी ने विकास नहीं किया है। महंगाई, बेरोजगारी यहां चरम पर है। विकास की सिर्फ बातें हो रही हैं।
जहां तक वर्तमान चुनाव की बात है तो यह बीजेपी (Bhind Lok Sabha Seat) का गढ़ है। यहां करीब 35 साल से बीजेपी के सांसद रहे हैं।
इस बार मुकाबला टक्कर का लग रहा है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार गणेश भारद्वाज का कहना है कि हवा बीजेपी चल रही है। यदि वोटिंग प्रतिशत कम रहता है तो कांटे का मुकाबला हो सकता है।
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आंकड़ों में बीजेपी-कांग्रेस बराबरी पर
भिंड में आठ विधानसभा आती हैं। जिसमें से चार पर बीजेपी और इतने पर ही कांग्रेस काबिज हैं।
लोकसभा के लिए कब, कौन चुना गया