नई दिल्ली। कड़ाके की ठंड में सफेद रंग की टी-शर्ट पहने राहुल गांधी सोमवार सुबह जब कई प्रमुख नेताओं की समाधियों पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे तो उनके इस कदम से ज्यादा सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई कि आखिर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को सर्दी क्यों नहीं लगती। कांग्रेस समर्थक ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का हवाला देते हुए कहा कि इस यात्रा रूपी ‘तपस्या’ पर निकलने और शानदार फिटनेस के चलते दिल्ली की कड़ाके की सर्दी भी राहुल गांधी पर बेअसर हो गई है।मंजीत नाम के एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने कहा, ‘ जो तपस्या करते हैं, उनको सर्दी-गर्मी का अहसास नहीं होता … तपस्वियों को सिर्फ़ उनका तप ही याद रहता है…राहुल गांधी भी अभी अपनी तपस्या कर रहे हैं … तप का तेज अलग होता है।’’
वैसे, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष टी-शर्ट के जरिये कहीं न कहीं आम लोगों से जुड़़े होने का राजनीतिक संदेश दे रहे हैं। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के सह-निदेशक संजय कुमार ने कहा, ‘‘सर्दी में राहुल गांधी के टी-शर्ट पहनने में मैं यह राजनीतिक संदेश देख पा रहा हूं कि वह आम लोगों से खुद को जुड़ा हुआ दिखा रहे हैं।
यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह गरीबों और आम लोगों की तरह कपड़े पहनते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी पूरी यात्रा कहीं न कहीं राहुल गांधी के ‘इमेज मेकओवर’ में सहायक नजर आ रही है। उनका सर्दी में सिर्फ टी-शर्ट और पैंट पहनना भी इसी प्रयास का हिस्सा नजर आता है।’’ इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया, ‘‘6 डिग्री (सेल्सियस) में कोई सिर्फ़ टी-शर्ट में कैसे रह सकता है?इस कदर का आत्म नियंत्रण, आत्मबल तपस्वियों का ही होता है।’’
सर्दी में राहुल गांधी के इस टी-शर्ट वाले अवतार बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘नेताओं ने हमेशा से समाज में जिस वेशभूषा का चलन था, उसी को धारण किया। आज के समय के लोग खासकर युवा सामान्यत: कुर्ता-पायजामा या धोती-कुर्ता धारण नहीं कर रहे हैं। राहुल का टी-शर्ट पहनना कहीं न कहीं आज आम युवा से खुद को जोड़ने का प्रयास है।’’ गत सात सितंबर को कन्याकुमारी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले राहुल गांधी ने अब तक 108 दिनों की यात्रा में सिर्फ पैंट और टी-शर्ट पहनी है।