नई दिल्ली। लाखों Aspirants IAS बनने की तैयार करते है। लेकिन उनमे से कुछ ही सफल होते है। अगर कोई IAS एग्जाम पास कर ले और वो IAS न बन पाए तो उसकी किस्मत के बारे में क्या कहा जाए। यह वाकया हुआ राजशेखर रेड्डी के साथ हुआ जिन्होंने 2014 में सिविल सेवा पास कर ली थी। रेड्डी ने मेंस एग्जाम भी पास कर लिया था उसके बाद उन्हें इंटरव्यू में भी सफलता मिली गई थी। सबसे बड़ी बात ये कि उनका नाम फ़ाइनल लिस्ट में भी आ गया था। लेकिन जब मेडिकल टेस्ट हुआ उसमे उन्हें अनफिट करार दे दिया गया जिसके चलते उनका अप्वाइंटमेंट लेटर नहीं दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने उनका अधूरा ख्वाब पूरा कर दिया है अब आठ साल बाद उनकी नियुक्ती का आदेश दिया है.
नाम लिस्ट से हटा दिया था
मीडिया खबरों की माने तो राजशेखर रेड्डी ने 2014 में ही सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिल गई थी जब उनको सफलता मिली थी वो उनका पांचवा और आखरी अटेंप्ट था जिसमे उन्होंने सफलता हासिल की थी। लेकिन जब उनका मेडिकल टेस्ट हुआ तो उसमे हाई बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के चलते उनका नाम लिस्ट से हटा दिया था। BMI से पता चलता है की शरीर का वजन आपकी हाईट यानी लंबाई के मुताबिक ठीक है या नहीं जब राजशेखर का टेस्ट हुआ तो उनका BMI 32 था। जबकि सिविल सेवा परीक्षा के नियम के अनुसार BMI 30 से कम होनी चाहिए। लेकिन उनका BMI 30 से अधिक था इसलिए उन्हें अनफिट की कैटेगरी में डाल दिया था।
यह है नियम
सिविल सेवा परीक्षा के नियम अनुसार ऐसे प्रतिभागी जिनका जिनकी BMI 30 से ज्यादा होती है उन्हें 6 महीनों के अंदर फिर से अपना फिटनेस सर्टिफिकेट देना होता है। लेकिन रेड्डी तय समय के अंदर फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दे पाए। राजशेखर 9 मार्च 2016 को अपना फिटनेस सर्टिफिकेट दिया था। जिसे बाद में ख़ारिज कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट दिया यह फैसला
जब उनका नाम लिस्ट से हटा दिया तो राजशेखर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यह उनका अंतिम प्रयास है उन्हें फिर से मेडिकल टेस्ट देने की अनुमति दी जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आर्किटल 142 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया। जिसके बाद उनका IAS बनने का अधूरा सपना पूरा हो सका। हालाकिं उन्हें 2014 से सलरी नहीं दी जाएगी। उनकी ज्योनिंग के बाद से ही उन्हें सेलरी मिलेगी।