Nautapa 2024: आज शनिवार 25 मई से नौतपा शुरू हो गए हैं। ये तो सभी जानते हैं कि नौतपा में सूरज की तपिश बढ़ जाती है। इस दौरान आसमान से बरसती आग लोगों को परेशान कर देती है। पर क्या आप जानते हैं कि हर साल 25 मई से ही नौतपा की शुरुआत क्यों होती है। इस दौरान ऐसा क्या होता है कि आसमान से ज्यादा आग बरसती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य ने शनिवार यानि आज 25 मई अपना नक्षत्र परिवर्तन कर लिया है। इसके बाद 15 दिन तक ये इसी नक्षत्र (Nakshtra) में रहेंगे।
वृष राशि में सबसे उग्र हो जाते हैं सूर्य
सूर्य की चाल हर महीने बदलती है। बीते महीने सूर्य अपनी राशि में थे। जो इस महीने 14 मई को चंद्रमा की राशि वृष में प्रवेश कर गए हैं। ज्योतिषाचार्य की मानें रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र है। जब सूर्य चंद्रमा की राशि में प्रवेश करता है तो इस सूर्य का तेज बढ़ जाता है।
नौतपा में क्या करना चाहिए
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो सूर्य एक नक्षत्र में 15 दिन तक रहते हैं। इस दौरान जहां तक संभव हो ठंडी वस्तुओं का दान करना चाहिए। इसमें मटका, ठंडे पानी की बॉटल, ठंडे पेय पदार्थ, कॉटन के कपड़े आदि दान किए जा सकते हैं।
नौतपा कब से कब तक
हिन्दू पंचांग के अनुसार नौतपा 25 मई 2024 शनिवार यानि आज से शुरू हो गए हैं जो 2 जून 2024 रविवार तक चलेंगे। लेकिन सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन 15 दिन के बाद ही होगा। यानी सूर्य 8 जून को नक्षत्र परिवर्तन करेंगे।
मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य गोचर से क्या होता है
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहता है तो वह अपनी प्रचंड गर्मी पड़ती है लेकिन जब सूर्य मृगशीतला नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। इस दौरान 15 दिनों में मौसम बदलने लगता है। यानी मौसम में थोड़ी शीतलता आने लगती है।
सूर्य की चाल हर महीने बदलती है
आपको बता दें सूर्य हर एक महीने में राशि परिवर्तन करता है। लेकिन जब नक्षत्र बदलता है तो उसका गोचर 15 दिन का होता है।
सूर्य का अगला नक्षत्र परिवर्तन कौन सा होगा
सूर्य रोहिणी नक्षत्र (Rohini nakshatra) में गोचर करेंगे। इसके बाद वे मृगशीतला में गोचर करेंगे। इसके फिर 15 दिन बाद सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे।
सूर्य के किस नक्षत्र में होने से बारिश होती है
बारिश के दस नक्षत्र होते हैं। जिसकी शुरुआत आद्रा नक्षत्र के साथ होती है। इस साल सूर्य 22 जून को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जो 6 जुलाई तक रहेंगे। इस बार आद्रा नक्षत्र में स्त्री-पुरुष योग बन रहा है। जो बारिश के लिए अच्छा माना जाता है।
स्वाती नक्षत्र की बूंद से पपीहा क्यों होता है तृप्त
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद बारिश के लिए 10 नक्षत्र होते हैं। इसमें सबसे आखिरी नक्षत्र स्वाती नक्षत्र (Swati Nakshatra) होता है। जिस लेकर कहा जाता है कि इस नक्षत्र में पपीहा (Papiha) पानी पीकर तृप्त होता है। इसलिए इस नक्षत्र के बाद से बारिश की विदाई हो जाती है।
ज्योतिष में नौतपा की परिभाषा
ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र (adhra nakshatra) तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो ये स्थिति नौतपा कहलाती है। ऐसा माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में जब सूर्य होता है इस दौरान अगर बारिश होती है, तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना कहा जाता है। बुंदेलखंडी में इसे तपों का चूना भी कहते हैं।
रोहिणी नक्षत्र का सूर्य पर असर
रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा ही है। जब सूर्य चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो सूर्य चंद्रमा के इस नक्षत्र को भी अपने प्रभाव में ले लेता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्रमा शीतलता का। इस दौरान रोहिणी नक्षत्र का तापमान भी बढ़ने लगता है। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है तो इस दौरान तापमान बढ़ने से धरती पर आंधी, तूफान आने की आशंका भी बढ़ जाती है।
नौतपा में सबसे ज्यादा आग क्यों बरसती है
ये तो सभी जानते हैं कि नौतपा (Nautapa 2024 Fact) में सबसे ज्यादा गर्मी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है। यदि नहीं तो आपको बता दें इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है।
दरअसल मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी सबसे कम हो जाती है और इससे धूप और तेज हो जाती है। इस दौरान सूर्य की तीखी किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ने से तापमान सबसे ज्यादा होता है।
इसी दौरान मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। जो समुद्री लहरों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इससे ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं, चूंकि समुद्र को उच्च दबाव वाला क्षेत्र माना जाता है, इसलिए हवाओं का रुख से अच्छी बारिश का अंदाजा लगाया जाता है।
25 मई से ही नौतपा क्यों शुरू होते हैं
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार जो नक्षत्रों में सूर्य की चाल होती है वो 15 दिन की होती है। यही कारण है 15 दिन की चाल के हिसाब से सूर्य हर साल 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में आता है। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र होता है। इसमें आने पर सूर्य का तेज और अधिक बढ़ जाता है।
ये होते हैं बारिश के नक्षत्र
आद्रा नक्षत्र
22 जून से 6 जुलाई तक – स्त्री-पुरुष योग
पुनर्वसु नक्षत्र
6 जुलाई से 20 जुलाई तक — स्त्री-स्त्री योग
पुष्य नक्षत्र
20 जुलाई से 5 अगस्त — स्त्री-पुरुष योग
अश्लेषा नक्षत्र
5 अगस्त से 20 अगस्त
मघा नक्षत्र
20 अगस्त से 5 सितंबर
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र
20 अगस्त से 5 सितंबर
उत्तरा नक्षत्र
5 सितंबर से 20 सितंबर
हस्त नक्षत्र
इस नक्षत्र में सूर्य के आने पर बारिश की विदाई हो जाती है।