Bharat Bandh on 21 August: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया गया है। भारत बंद का असर छत्तीसगढ़ के बस्तर में देखने को मिल रहा है।
बस्तर में सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक 12 घंटे का बंद रहने का आह्वान किया गया। बुधवार को बस्तर के सभी व्यवसायिक संस्थान, परिवहन सेवाएं, स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे।
इस दिन जगदलपुर शहर में फैसले के विरोध में रैली निकालकर आक्रोश व्यक्त किया जाएगा।
रायपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नहीं दिया बंद का समर्थन
प्रदेश में चैंबर प्रदेश अयक्ष अमर पारवानी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस भारत बंद को लेकर जानकारी हमें नहीं मिली है। बिना पूर्व सूचना के अचानक बंद को समर्थन देने से चैंबर ने इनकार कर दिया।
BSP ने बंद का किया समर्थन
दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने बड़े स्तर पर इस बंद का समर्थन किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थन में ट्वीट किए हैं। बसपा पहली बार भारत बंद के समर्थन में सड़क पर दिखाई देगी।
भारत बंद के समर्थन में बसपा सुप्रीमो मायावती ने लगातार कई पोस्ट किए हैं। हाल ही में किए पोस्ट में उन्होंने लिखा कि- ‘बीएसपी का भारत बंद को समर्थन, क्योंकि भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के आरक्षण विरोधी षडयंत्र एवं इसे निष्प्रभावी बनाकर अन्ततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण 1 अगस्त 2024 को SC/ST के उपवर्गीकरण व इनमें क्रीमीलेयर सम्बंधी मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध इनमें रोष व आक्रोश।’
देखें मायावती के सभी पोस्ट:
1. बीएसपी का भारत बंद को समर्थन, क्योंकि भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के आरक्षण विरोधी षडयंत्र एवं इसे निष्प्रभावी बनाकर अन्ततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण 1 अगस्त 2024 को SC/ST के उपवर्गीकरण व इनमें क्रीमीलेयर सम्बंधी मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध इनमें रोष व आक्रोश।
— Mayawati (@Mayawati) August 21, 2024
‘बीजेपी और कांग्रेस कर रहीं खिलवाड़’
3. एससी-एसटी के साथ ही ओबीसी समाज को भी आरक्षण का मिला संवैधानिक हक इन वर्गों के सच्चे मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनवरत संघर्ष का परिणाम है, जिसकी अनिवार्यता व संवेदनशीलता को भाजपा, कांग्रेस व अन्य पार्टियाँ समझकर इसके साथ भी कोई खिलवाड़ न करें।
— Mayawati (@Mayawati) August 21, 2024
2. साथ ही, दिनांक 1 अगस्त 2024 केे मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध SC-ST के पूर्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने हेतु केन्द्र संविधान संशोधन की कार्यवाही करे, जिसको लेकर कल इन वर्गों द्वारा ’भारत बंद’ का आहवान, जिनसे इसे बिना कोई हिंसा के अर्थात् शान्तिपूर्ण करने की अपील।
— Mayawati (@Mayawati) August 20, 2024
1.देश में रोजगार का घोर अभाव ही नहीं बल्कि अमीर व गरीबों के बीच बढ़ती खाई अर्थात देश में पूंजी के असामान्य वितरण से आर्थिक गैर-बराबरी के रोग के गंभीर होने से जन व देशहित प्रभावित, जो अति चिन्तनीय। देश में विकास दर के दावे के हिसाब से यहाँ उतनी नौकरी क्यों नहीं? इसके लिए दोषी कौन?
— Mayawati (@Mayawati) August 20, 2024
3. लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले यूपी में 6.5 लाख प्लस सरकारी नौकरी का दावा क्या ऊँट के मुंह में ज़ीरा नहीं? इसी प्रकार केन्द्र में भी स्थाई नौकरियों का बुरा हाल है जहाँ पद खाली पड़े हैं। इससे SC, ST, OBC आरक्षण का कोटा भी प्रभावित है। अपार बेरोजगारी के मद्देनजर सही समाधान जरूरी।
— Mayawati (@Mayawati) August 20, 2024
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है ?
सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था कि सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दी जरूरी हिदायत
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से ये फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें 2 शर्त लागू होंगी।
1. SC के अंदर किसी एक जाति को 100 प्रतिशत कोटा नहीं दे सकतीं
2. SC में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।
किसने किया बंद का आह्वान ?
दलित संगठनों के बुलाए भारत बंद का बहुजन समाज पार्टी, RJD, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद और भारत आदिवासी पार्टी मोहन लाल रोत ने समर्थन किया है। कुछ कांग्रेसी नेता भी इसके समर्थन में हैं।
सुप्रीम कोर्ट से क्या है मांग ?
भारत बंद का आह्वान करने वाले संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से मांग है कि वो कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे।