हाइलाइट्स
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बस्तर में पुरुषों से ज्यादा महिला वोटर
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2014 तक बीजेपी का रहा कब्जा
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2019 में 39 हजार वोटों से जीती कांग्रेस
Bastar Lok Sabha Seat: लोकसभा (Lok Sabha Elections 2024) के लिए पहले चरण का चुनाव कल यानी शुक्रवार को होना है. छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी. छत्तीसगढ़ पहले चरण के रण के लिए पूरी तरह तैयार है.
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19 अप्रैल का दिन बस्तर की जंग में उतरे 11 महारथियों के लिए फैसले का दिन होगा. फैसला जिसके हाथ में होगा वो है, बस्तर की जनता. लेकिन मतदान और उसके परिणाम से पहले ही कांग्रेस और बीजेपी खुद को विजेता घोषित करने में जुटे हैं.
तो आखिर क्या है, बीजेपी-कांग्रेस के दावों के पीछे का आधार और कौन जीतेगा बस्तर की बाजी?
महज कुछ घंटे और फिर प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद होने वाली है. महिला प्रधान बस्तर में जल, जंगल और जमीन तो बड़े मुद्दे हैं ही, नक्सलवाद भी यहां की बड़ी समस्या है.इसके अलावा धर्मांतरण भी मुख्य मुद्दा है.
2019 में कांग्रेस 39 हजार वोटों से जीती थी चुनाव
बता दें कि बस्तर सीट (Bastar Lok Sabha Seat) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यहां पुरुषों से ज्यादा महिला वोटर हैं. बस्तर सीट पर 2014 तक बीजेपी का कब्जा रहा है. तो वहीं 2019 में कांग्रेस 39 हजार वोटों से चुनाव जीत गई थी.
वर्तमान में पीसीसी चीफ दीपक बैज यहां से सांसद हैं. बस्तर लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें से 5 सीटों पर बीजेपी, तो वहीं 3 सीटों पर कांग्रेस काबिज है.
अपनी खोई जमीन वापस ले पाएगी बीजेपी?
1998 से 2014 तक बीजेपी का गढ़ बनी बस्तर (Bastar Lok Sabha Seat) पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया था. लेकिन अब देश में मोदी की चर्चा है. नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंंत्री हैं, जिन्हें गांधी परिवार के बाद बस्तर की जनता जानती है.
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पीएम मोदी ने बस्तर में अपनी चुनावी सभा में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि यहां के युवाओं को जिन्होंने धोखा दिया है, उनकी तेजी से जांच चल रही है. मोदी गरीब का बेटा है सिर ऊंची रखकर चलता है.
जहां एक तरफ बस्तर (Bastar Lok Sabha Seat) में खोई जमीन वापस पाने के लिए बीजेपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है. तो वहीं कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बस्तर दौरे के दौरान जातिगत जनगणना कराने का वादा किया. उन्होंने कहा कि जैसे ही हमारी सरकार बनेगी हम जातिगत जनगणना कर देंगे.
कवासी लखमा और महेश कश्यप में टक्कर
वहीं कांग्रेस ने पीसीसी चीफ दीपक बैज का टिकट काटकर, कोंटा से 6 बार के विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को मैदान में उतारा है. तो बीजेपी ने फिर एक बार कश्यप समाज से आने वाले महेश कश्यप पर भरोसा जताया.
जिसके बाद दोनों दल जीत को लेकर आश्वस हैं. बस्तर को लेकर अब भी सियासत गरमाई हुई है.
कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में होगा मतदान: शुक्ला
प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव ने बस्तर (Bastar Lok Sabha Seat) की खुशहाली के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से जीताने की अपील की है. तो वहीं कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस की तैयारी पूरी हो चुकी है. कल होने वाला मतदान (Lok Sabha Elections 2024) कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा के पक्ष में होगा.
बस्तर की लड़ाई दिलचस्प है. कल मतदाता कवासी लखमा और महेश कश्यप के भाग्य का फैसला कर देंगे. महज कुछ घंटे और फिर प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद होने वाली है. अब 4 जून को देखना होगा कि बस्तर की बाजी कौन जीतेगा?
साल 1996 तक निर्दलीय उम्मीदवार जीतते रहे
बस्तर (बस्तर लोकसभा सीट) से मौजूद सांसद पीसीसी चीफ दीपक बैज हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद दीपक बैज ने यहां (Bastar Lok Sabha Seat) से जीत दर्ज की थी. हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव में दीपक बैज चित्रकोट से चुनाव हार गए थे. यह सीट पहली बार साल 1952 में अस्तित्व में आई थी.
1952 लोकसभा चुनाव से लेकर साल 1996 तक इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतते रहे, लेकिन यहां के लोगों ने 1996 में निर्दलीय प्रत्याशी को चुना. वहीं साल 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा. यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है.
बस्तर सीट पर अन्य 9 और उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे
बस्तर में बहुजन समाज पार्टी के आयतू राम मंडावी, हमरराज पार्टी के नरेंद्र बुरका, राष्ट्रीय जनसभा पार्टी के कवल सिंह बघेल, सीपीआई के फूलसिंग कचलाम, सर्व आदि दल के शिवराम नाग, गोड़वाना गणतंत्र पार्टी के टीकम नागवंशी, आजाद जनता पार्टी के जगदीश प्रसाद नाग, स्वंतत्र दल के प्रकाश कुमार गोटा और निर्दलीय से सुंदर बघेल भी चुनाव लड़ रहे हैं.