हाइलाइट्स
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बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान खत्म
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70 हजार से अधिक जवानों की तैनाती में हुआ मतदान
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माओवादियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में कम हुआ मतदान
रिपोर्ट- रजत बाजपेयी
Bastar Lok Sabha Seat: 19 अप्रैल को देश की 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई. छत्तीसगढ़ में पहले चरण के लिए केवल बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान हुआ. शाम 5 बजे तक लोकसभा सीट पर 63.41 प्रतिशत मतदान हुआ है. वहीं बस्तर की 6 साटों पर दोपहर 3 बजे तक मतदान खत्म हो गया था. बीजापुर के उसूर थाना क्षेत्र में हुए ब्लास्ट में CRPF के कॉन्स्टेबल देवेंद्र कुमार शहीद हो गए. वे सुरक्षा कैंप गलगम से एरिया डोमिनेशन के लिए निकले थे.
मतदान केंद्रों में 2 तरह की तस्वीर दिखी
5 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 की तुलना में इस बार वोटिंग प्रतिशत कम रहा. हालांकि 5 बजे के बाद भी कुछ बूथों (Bastar Lok Sabha Seat) पर मतदान जारी रहा. ऐसे में मतदान का प्रतिशत बढ़ भी सकता है. बहरहाल मैदानी विधानसभाओं को छोड़ दिया जाए तो नक्सल प्रभावित 6 जिले के अधिकतर मतदान केंद्रों में 2 तरह की तस्वीर दिखाई दी. शहरी और कस्बाई इलाकों में अच्छी- खासी भीड़ लोगों की दिखाई दी, जबकि माओवादियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में मतदान सुबह से ही धीमा रहा. कई केंद्रों में तो एक भी वोट नहीं पड़े.
शाम 5 बजे तक विधानसभावार मतदान प्रतिशत
कोंडागांव 72.01
कोंटा में 51.19
चित्रकोट में 73.49
जगदलपुर में 65.04
दंतेवाड़ा में 67.02
नारायणपुर में 65.28
बस्तर में 72.81
बीजापुर में 41.62
बस्तर लोकसभा 2019 में 66.04% प्रतिशत हुई थी वोटिंग
दंतेवाड़ा में 56.67
कोंडागांव में 78.33
नारायणपुर में 67.74
बस्तर में 81.31
जगदलपुर में 77.10
चित्रकोट 77.19
दंतेवाड़ा में 56.67
बीजापुर में 42.20
कोंटा में 47.23
मतदाता किसकी गारंटी पर करेंगे भरोसा ?
कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा को अंदरूनी क्षेत्र (Bastar Lok Sabha Seat) में ठीक-ठाक वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी के प्रत्याशी महेश कश्यप शहरी और कस्बाई इलाकों में वोटरों की पसंद के रूप में उभरे. लखमा राहुल की 5 गारंटी पर तो महेश मोदी के चेहरे और गारंटी पर चुनाव लड़ते दिखे. आदिवासी बहुल बस्तर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता किस चेहरे और किसकी गारंटी पर भरोसा करेंगे, यह तो 4 जून को पता चलेगा, मगर 2019 के चुनाव की बनिस्बत इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं, जिसे लोकतंत्र के लिए बेहतर संकेत माना जा सकता है.
प्रति 21 मतदाता पर एक हथियारबंद जवान
बस्तर लोकसभा क्षेत्र (Bastar Lok Sabha Seat) में 70 हजार से अधिक जवानों की तैनाती निर्विघ्न मतदान संपन्न करवाने के लिए की गई थी, जबकि मतदाताओं की संख्या 14 लाख 70 हजार के करीब थी. ऐसे में प्रति 21 मतदाता पर एक हथियारबंद जवान तैनात था. यही वजह थी कि माओवादी पूरे इलाके में किसी गंभीर अप्रिय वारदात को अंजाम नहीं दे सके.
2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी पुलिस की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था ने घटनाओं पर रोक लगाई थी. इस बार फिर से जवानों के शौर्य ने नक्सलियों को अपने मंसूबों को जेब में रखने पर मजबूर कर दिया. हालांकि अब भी लोकसभा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा माओवादियों के प्रभाव वाला माना जाता है, जहां वोटिंग परसेंटेज काफी कम रहा.
मतदाताओं पर बयानों का कैसा हुआ असर ?
लोकसभा चुनाव (Bastar Lok Sabha Seat) के लिए जब से कैंपेनिंग शुरू हुई थी, तब से नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच जमकर जुबानी जमा खर्च होता सुनाई दिया. एक-दूसरे को मारने-मरवाने तक की धमकी बयानों के जरिए दी गई. इसके इतर लोकसभा क्षेत्र में साढ़े चार दशक पुरानी और गंभीर समस्या नक्सलवाद पर कांग्रेस प्रत्याशी ने शुरुआत से लेकर अंत तक एक शब्द नहीं कहा.
जबकि बीजेपी के लोग काफी मुखर होकर माओवाद पर बोलते सुनाई दिए. 2 बड़ी घटनाएं भी बीजापुर और कांकेर जिले में सामने आई. राज्य के गृहमंत्री ने तो एक बार फिर से नक्सलियों को खुली चुनौती दे दी. अब इन बयानों का मतदाताओं पर कैसा असर होगा, यह देखने वाली बात होगी.
विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरीके से कांग्रेस नेताओं ने आस्था और पार्टी बदली, वह भी एक बड़ा मुद्दा माना जा रहा है. छोटे कार्यकर्ता से लेकर महापौर और पूर्व विधायक तक ने कांग्रेस से हाथ छुड़ाते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. हर दिन ऐसी खबरें सुर्खियां बनती रही. इसका भी मतदाताओं के मन पर असर पढ़ना स्वाभाविक माना जा सकता है.
संभव है यह सोच मतदाताओं के मन में विकसित हुई हो कि बीजेपी बेहतर विकल्प है, इसलिए आज हुए मतदान का फायदा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को मिलना संभावित दिखाई दे रहा है.
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