Journalist Mukesh Chandrakar: बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर के बारे में जो आशंका जताई जा रही थी, वही हुआ। उनका शव एक सेप्टिक टैंक में पाया गया है। उनका मोबाइल जहां आखिरी बार ट्रैक किया गया था, वहीं पर यह शव बरामद हुआ। मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी की रात को अचानक अपने घर के बाहर से लापता हो गए थे।
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पुलिस को मिले थे अहम सुराग
बस्तर जंक्शन के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की तलाशी के दौरान आज पुलिस को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले थे। इसके बाद, पुलिस ने बीजापुर के एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक की खुदाई कराई, जहां मुकेश चंद्राकर का शव मिला।
प्रारंभिक जांच से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर ठेकेदार से उनका विवाद था, जिसके कारण मुकेश चंद्राकर लापता हुए थे और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। बस्तर पुलिस इस मामले में जल्द ही विस्तार से जानकारी दे सकती है।
एडिश्नल एसपी के नेतृत्व में बनाई गई थी टीम
बीजापुर पुलिस ने मुकेश चंद्राकर की खोज के लिए एडिश्नल एसपी के नेतृत्व में एक टीम बनाई थी, जिसमें कई पुलिस अधिकारी शामिल थे और उन्हें अलग-अलग जगहों पर भेजा गया था। इसके साथ ही पुलिस ने आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन भी चलाया था। पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर भी जांच कर रही थी।
पुलिस ने आखिरी लोकेशन के आधार पर आसपास के क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया, जिसके बाद एक सेप्टिक टैंक में शव मिला। पुलिस ने शव की पहचान मुकेश चंद्राकर के रूप में की है और अब इस मामले में आगे की जांच जारी है।
भाई ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई
जानकारी के अनुसार, बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी की रात अचानक लापता हो गए। वे रात आठ बजे तक अपने घर में थे और सीसीटीवी फुटेज में भी रात 8 बजे तक उनकी उपस्थिति देखी गई, लेकिन उसके बाद से उनका कोई पता नहीं चल रहा था। इस बारे में उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
मुकेश चंद्राकर कौन थे?
मुकेश चंद्राकर, जो बस्तर और नक्सलवाद से जुड़े मामलों की रिपोर्टिंग करते थे, ‘बस्तर जंक्शन’ नामक यूट्यूब चैनल के मालिक थे। वह अक्सर नक्सलियों के साथ उनकी बैठकों और जन अदालतों की रिपोर्टिंग करते हुए वीडियोज यूट्यूब पर अपलोड करते थे। उनका यह चैनल बहुत ही लोकप्रिय था।
मुकेश चंद्राकर का दावा था कि वह इस चैनल के माध्यम से बस्तर और बस्तरवासियों की सच्चाई को लोगों के सामने लाते थे। इसके अलावा, मुकेश चंद्राकर की एक और महत्वपूर्ण भूमिका तब उजागर हुई थी, जब उन्होंने नक्सलियों के कब्जे से एक जवान को मुक्त कराया था।