जगदलपुर। Bastar Dussehra 2023: बस्तर दशहरा पर्व की महत्वपूर्ण रस्म जोगी बिठाई विधि-विधान के साथ सिरहासार भवन में बनाई गई। इस दौरान मौके सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।
इस रस्म के दौरान 9 दिनों तक जोगी एक गड्ढे में निराहार सिरहासार भवन के बीचों बीच एक चौकोर गड्ढे में लकड़ी के तख्ते के सहारे, थोड़ी सी काली चाय के भरोसे बैठा रहता है।
यह परिवार निभाता है रस्म
जोगी हल्बा परिवार का सदस्य होता है और इसी परिवार के व्यक्ति को जोगी बनकर बैठने का अधिकार है। उसके सामने एक कलश होता है, जिसमें लगातार दीप प्रज्ज्वलित रहता है। गांव के लोग भारी संख्या में जोगी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए पहुंचते हैं।
ये है पौराणिक कहानी
दशहरा पर्व की शुरुआत से ही जोगी बिठाई की रस्म चली आ रही है। इस संबंध में इतिहासकार बताते हैं कि राजा को धर्म कार्यों के अलावा राजकाज के काम भी करने पड़ते थे।
ऐसे में दशहरा के सफलतापूर्वक संपन्न होने और राज्य में सुख-शांति की कामना समर्पित भाव से ध्यानमग्न होकर करने के लिए राजा के प्रतीक स्वरूप जोगी बनाकर एक व्यक्ति को बिठाए जाने की सोच के चलते यह रस्म प्रारंभ की गई थी।
राजा के सैनिक थे हल्या जाति के युवक
हल्या जाति के युवक राजा के सैनिक हुआ करते थे। इनकी भागीदारी इस महापर्व में देने के उद्देश्य से इसी जाति के लोगों को इस प्रथा की बागडोर सौंपी गई।
जोगी बैठाने के पीछे तत्कालीन राजकीय सोच यह भी थी कि संकट की घड़ी में यानि हमले की स्थिति में राजा हथियार थामकर युद्ध करने जा सकेंगे।
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