Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items: भारत ने चीन, जापान, श्रीलंका, बांग्लादेश और तुर्की से आने वाली खाद्य वस्तुओं पर फिलहाल बैन लगा दिया है। बताते ये भारतीय खाद्य मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में अपने फूड इंपोर्ट रिजेक्शन अलर्ट्स (FIRA) पोर्टल पर इन देशों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं।
खाद्य सुरक्षा और मानक (आयात) विनियमन, 2017 का विनियमन 11(7) खाद्य प्राधिकरण को खाद्य चेतावनी अधिसूचना जारी करने का अधिकार देता है। यहां जानते हैं इन देशों आने वाली खाने की वस्तुओं को भारत ने क्यों खारिज कर दिया है, इसे डिटेल में समझते हैं-
140 देशों के 6,000 फूड प्रोडक्ट्स इंपोर्ट करता है भारत
भारत 140 से अधिक देशों से खाद्य वस्तुएं इंपोर्ट (Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items) करता है। भारत इन देशों से 6,000 से ज्यादा चीजें मंगाता है। 2022 में भारत के टॉप फूड प्रोडक्ट इंपोर्ट वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया, ब्राजील और थाईलैंड शामिल थे। इनमें श्रीलंका, चीन, जापान, तुर्की और बांग्लादेश भी शामिल रहे हैं।
श्रीलंका की सुपारी और दालचीनी रिजेक्ट
FIRA पोर्टल (Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items) के अनुसार, FSSAI ने 24 मई को बेंगलुरु में श्रीलंका से दालचीनी के फूल की कली (सूखी) को रिजेक्ट कर दिया था। वजह- इस प्रोडक्ट की पहले से मंजूरी नहीं ली गई थी। इससे पहले 22 अप्रैल को कई खामियों की वजह से तूतीकोरिन बंदरगाह पर श्रीलंकाई सुपारी की खेप को खारिज कर दिया गया था। यहां से आए फफूंद और कीड़े लगे मेवे दागदार, फटे और टूटे थे।
बांग्लादेश के मेवों में लगा फंफूद, भारत ने लौटाया
इसी साल 20 फरवरी 2024 को भारत ने तूतीकोरिन बंदरगाह पर बांग्लादेश से आए सूखे मेवों की खेप को भी रिजक्ट कर दिया था। इन मेवों में फंफूद और कीड़े लगे हुए थे। इनमें नमी की मात्रा भी सीमा से अधिक पाई गई थी। बहरहाल, आजकल भारत के बांग्लादेश से संबंध खराब चल रहे हैं।
जापान की टीबैग भी रिजेक्ट
FSSAI (Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items) ने 25 जून को बेंगलुरु में जापान से हेल्थ सप्लीमेंट्स और न्यूट्रास्यूटिकल्स की कैटेगरी में शामिल टीबैग को रिजेक्ट कर दिया था। दरअसल, यह टीबैग ‘रूइबोस’ नाम के पौधे से तैयार होता है, जो भारत में मानदंडों के मुताबिक मान्य नहीं है।
तुर्की के लाल सेबों की मियाद औरों के मुकाबले कम
इसी तरह FSSAI ने तुर्की से आए ताजे लाल सेबों को 31 जुलाई को कोलकाता बंदरगाह पर ही खारिज कर दिया था। वजह यह बताई गई कि ये सेब ज्यादा दिन तक टिकते नहीं हैं। मानकों के मुताबिक, इन सेबों की शेल्फ लाइफ कम से कम 60 फीसदी होनी चाहिए थी। यानी ये 3 महीने के पहले ये खराब नहीं होने चाहिए।
चीन की ग्रीन एप्पल बीयर में अल्कोहल ज्यादा
FSSAI ने 31 मई को मुंबई के जवाहरलाल नेहरू न्हावाशेवा बंदरगाह पर चीन से गैर अल्कोहल बीयर यानी ग्रीन एप्पल को यह कहते हुए अस्वीकार (Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items) कर दिया कि इसका पीएच मान अल्कोहल-मुक्त बीयर के लिए निर्धारित सीमा से कम है। इसी तरह, चीन की समुद्री शैवाल सुशी नोरी को भी भारी धातु और आर्सेनिक की मौजूदगी के कारण मई में दिल्ली में नामंजूर कर दिया गया था। चीन के कुछ खानपान में जहरीली धातु आर्सेनिक की मात्रा अधिक मिली थी।
क्या हैं सुरक्षा मापदंडों में इन बातों का रखा ध्यान
भारत में इंपोर्ट खाद्य पदार्थों को विनियमित करने के लिए FSSAI ने कई पॉइंट्स पर निगरानी केंद्र बनाए हैं, जहां से विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से उन खाद्य पदार्थों के आयात की अनुमति (Ban Türkiye Bangladesh China Japan Food Items) दी जाती है। आमतौर पर सुरक्षा मापदंडों में कीटनाशक, भारी धातु, रंग, स्वाद, गुणवत्ता मानकों में कमी, फैट वगैरह का ध्यान रखा जाता है।
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क्यों हुआ था FSSAI का गठन
FSSAI का गठन खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत किया गया। FSSAI का मकसद खाद्य पदार्थों के लिए साइंटिफिक स्टैंडर्ड तय करने और उपभोग के लिए सुरक्षित पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। FSSAI खानपान के भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करता है।
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