हाइलाइट्स
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बालाघाट सीट पर 26 साल से बीजेपी का कब्जा
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बालाघाट में पवार जाति का है खासा प्रभाव
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बीजेपी ने पहली बार महिला प्रत्याशी को दिया मौका
Lok Sabha Chunav 2024: प्राकृतिक की गोद बाघों के घर, विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क और घने जंगलों का गढ़ है. यहां राजनीतिक प्रयोग भी खास चर्चा में रहे हैं. एमपी का यह संसदीय क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी है.आजादी के बाद से कई दलों के नेताओं को यहां की जनता देख चुकी है.
हालांकि पिछले पांच लोकसभा चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. इसके पहले यहां कई दल जैसे कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया, जनसंघ के प्रत्याशी भी किस्मत आजमा चुके हैं. अब 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में इस सीट पर अब कौन बाजी मारेगा ये 19 अप्रैल को तय होगा.
कांग्रेस ने सम्राट सिंह सरस्वार पर लगाया दाव
बालाघाट सीट पर Lok Sabha Chunav 2024 के लिए कांग्रेस की ओर से इस बार सम्राट सिंह सरस्वार को टिकट दिया गया है. सम्राट इस समय जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. वे पूर्व विधायक अशोक सिंह सरस्वार के बेटे हैं.
सम्राट ने 2023 विधानसभा चुनाव में विधायक की टिकट मांगी थी. लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया. सम्राट कई सालों से ग्रामीण इलाकों में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. लेकिन उनकी धाक शहरी क्षेत्र में कम है. लोकसभा में उन्हें पहली बार टिकट मिला है.
बीजेपी ने पहली बार महिला प्रत्याशी को दिया मौका
भारती पारधी के राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली नेता हैं. उनके दादा ससुर भोलराम पारधी 1962 में बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र से प्रजा समाजवादी पार्टी से सांसद थे. खुद भारती पारधी 2000 से जिला पंचायत सदस्य हैं.
उनके पति खीरसागर पारधी भी जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार किसी महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. भारती का पवार जाति पर खासा प्रभाव है.
दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए ये चुनौती
दोनों पार्टियों के सामने वर्तमान सांसद विधायकों की नाराजगी भी बड़ी चुनौती हैं. बालाघाट से बीजेपी सांसद ढाल सिंह बिसेने भारती पारधी से नाराज हैं. वे Lok Sabha Chunav 2024 में अपनी बेटी के लिए टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन पार्टी ने भारती पर भरोसा जताया. वर्तमान सांसद की नाराजगी भारती के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सरस्वार को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस के ही तीन विधायक विरोध में दिल्ली पहुंच गए थे. इसके साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के सामने बीएसपी के मजबूत प्रत्याशी कंकर मुंजारे बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं. कंकर मुंजारे 2004 में भी बीजेपी प्रत्याशी गौरी शंकर बिसेन को कड़ी टक्कर दे चुके हैं.
26 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा
1998 में बालाघाट सीट जीतने के बाद बीजेपी यहां लगातार चुनाव जीतने में सफल रही है. आपको बता दें कि 1998 से लेकर अब तक बीजेपी ने कुल 6 चुनाव और हर बार एक उपचुनाव जीता है.
इस दौरान 1999 में प्रहलाद पटेल, 2004 में गौरीशंकर बिसेन, 2007 उपचुनाव में चरण प्रताप सिंह, 2009 में केडी देशमुख, 2014 में बोध सिंह भगत और 2019 में ढाल सिंह बिसेन सांसद रहे.
खास बात यह है कि बालाघाट सीट पर बीजेपी ने हर बार अलग-अलग उम्मीदवारों को टिकट दिया और सभी चुनाव जीतने में कामयाब रही.
बालाघाट के जातीय समीकरण
बालाघाट लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 14 हजार 181 मतदाता हैं. जिसमें पुरुष मतदाता 6,54000 और महिला मतदाता 6,59000 हैं. बालाघाट सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
इसी वजह से बीजेपी ने पहली बार महिला प्रत्याशी को मौका दिया है. जातीगत समीकरण की बात करें तो यहां पवार जाती बहुंसंख्यक है. Lok Sabha Chunav 2024 के लिए बीजेपी की ओर से प्रत्याशी भारती पारधी भी पवार जाति से ही आति हैं.
13 लाख में से 4.5 लाख वोटर पवार जाति के हैं. इसके बाद आदिवासी वोटरों की संख्या लगभग 3 लाख और लोधी समाज के वोटरों की संख्या 1.75 लाख वोटर हैं. यहां पर 1952 से अबतक 11 सांसद चुने गए हैं. जिसमें से 7 पवार जाती के रहे हैं.
पीछले 26 साल से बालाघाट पर बीजेपी का कब्जा
बीजेपी बीते 26 साल से बालाघाट सीट पक काबिज है. 1998 में बीजेपी ने पहली बार बालाघाट सीट जीती थी. इसके बाद से यहां कांग्रेस की वापसी नहीं हुई. इस दौरान 6 बार लोकसभा चुनाव हुए. 1999 में प्रहलाद पटेल, 2004 में गौरीशंकर बिसेन, 2007 उपचुनाव में चरण प्रताप सिंह, 2009 में केडी देशमुख, 2014 में बोध सिंह भगत और 2019 में ढाल सिंह बिसेन सांसद बने. बीजेपी ने हर बार नए उम्मीदवारों को मौका दिया है. अब Lok Sabha Chunav 2024 में भी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदला है.
पिछले चुनावों में कौन किस पर पड़ा भारी
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ढाल सिंह बिसेन ने कांग्रेस उम्मीदवार मधु भगत को 242,066 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. 2014 के चुनाव में बीजेपी के बोधसिंह भगत ने कांग्रेस की हिना लिखीराम कावरे को 96,041 वोटों से हराया था.
2009 के चुनाव में बीजेपी के केडी देशमुख ने कांग्रेस उम्मीदवार विश्वेश्वर भगत को 40,819 वोटों के अंतर से हराया था. 2004 में बीजेपी के गौरी शंकर बिसेन ने जनता दल के कंकर मुंजारे को 88,089 वोटों से हराया था.