Bal Gangadhar Tilak Birth Anniversary 2024: 23 जुलाई मंगलवार यानी आज देश के महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की जयंती है। तिलक के जीवन से जुड़े ऐसे कई रोचक किस्से हैं जिन्हें शायद आप नरहीं जानते होंगे।
आज हम इन्हीं में से एक रोचक किस्से के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसमें बाल गंगाधर के एक तिलक ने अंग्रेजों में खलबली मचा दी थी। साथ ही जानेंगे कि कैसे बाल गंगाधर तिलक के पत्रकार बनने की शुरुआत होगी।
बाल गंगाधर ने ऐसे की थी गणेशोत्सव की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि करीब 100 से पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak Birth Anniversary 2024) ने ही गणेशोत्सव की नींव रखी थी। जिसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करना था। जिसमें सभी वर्ग धर्म और संप्रदाय के लोग शामिल हो। हालांकि इस उत्सव को शुरू करने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किलों काफी मुश्किलें आई थीं।
ऐसे हुई थी गणेश उत्सव की शुरुआत
बाल गंगाधर तिलक को लेकर कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें शायद आप नहीं जानते होंगे। जानकारी के अनुसार 1890 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाल गंगाधर तिलक अक्सर चौपाटी पर समुद्र के किनारे बैठते थे। इस दौरान वे इसी सोच में रहते थे, कि आखिर कैसे लोगों को जोड़ा जाए।
इसी के चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता बनाने के लिए धर्म का मार्ग चुना। उन्होंने सोचा कि क्यों न गणेशोत्सव को घरों से निकालकर सार्वजनिक स्थलों पर मनाया जाए। जिसमें जाति का कोई बंधन न होते हुए सभी भेदभाव समाप्त हो जाएं। इसी के बाद से गणेश उत्सव की शुरुआत मानी जाती है।
ऐसे हुई थी पत्रकार बनने की यात्रा
स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) एक कुशल पत्रकार के रूप में भी जाने जाते हैं। शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि 6 साल जेल में रहने के दौरान उन्होंने 400 पन्नों की किताब लिख डाली थी। जिसका नाम ‘गीता रहस्य’था।
बाल गंगाधर का जीवन परिचय
बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak Birth Anniversary 2023) का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक काल में उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता के लिये नये विचार रखे और अनेक प्रयत्न किये।
अंग्रेज उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। उन्हें, “लोकमान्य” का आदरणीय पदवी भी प्राप्त हुई, जिसका अर्थ है “लोगों द्वारा स्वीकृत” (उनके नायक के रूप में)। 3 जुलाई 1908 को फिरंगियों ने बाल गंगाधर तिलक को क्रांतिकारियों के पक्ष में लिखने को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार का नारा
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा साल 1916 में ये नारा दिया था।
बाल गंगाधर तिलक का व्यक्तित्व
वह एक भारतीय राष्ट्रवादी, पत्रकार, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लोकप्रिय नेता थे।केशव गंगाधर तिलक, जिन्हें ‘भारतीय अशांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है। वह उन नेताओं में से एक हैं जो भारत में स्वराज या स्व-शासन के लिए हमेशा खड़े हुए। महात्मा गांधी ने उन्हें ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ भी कहा था
जब क्रांतिकारियों के पक्ष में लेख लिखने पर गिरफ्तार हुए थे बाल गंगाधर तिलक
जब 30 अप्रैल 1908 को खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चंद चाकी ने जज किंग्सफोर्ड को टारगेट करते हुए एक बम विस्फोट किया था, तो दो इस दौरान ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई थी। तब अग्रेंजों ने खुदीराम बोस को गिरफ्तार करके उन पर मुकदमा चलाया था।
इसके बाद बाल गंगाधर तिलक की जिंदगी में एक और बड़ा बदलाव आया था। इस दौरान उन्होंने दोनों क्रांतिकारियों के पक्ष में एक लेख लिखा। जिसे अपने अखबार ‘केसरी’ में प्रकाशित किया गया।
इस आर्टीकल ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए थे। जिसके चलते 3 जुलाई 1908 को अंग्रेजों ने तिलक को गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान इसके लिए उन्हें 6 साल की सजा दी थी। इस गिरफ्तारी के दौरान उन्हें बर्मा के मंडले जेल में रखा गया। यही वो समय था जब उन्होंने 400 पन्नों की किताब ‘गीता रहस्य’ लिखी थी।