Ayodhya Ram Darbar Pran Pratishtha: प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय ने राम दरबार की मूर्तियों के निर्माण में उपयोग किए गए पत्थरों की गुणवत्ता और चयन प्रक्रिया के बारे में मीडिया को जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस पवित्र कार्य के लिए संगमरमर की एक विशेष शिला का चुनाव किया गया था, जो करीब 40 साल पुरानी है। उनका कहना है कि नए पत्थरों में वह मजबूती और चमक नहीं मिलती। उनका दावा है कि यह मूर्ति 1000 सालों तक सुरक्षित रह सकती है, और इसकी खासियत यह है कि जितना इसे धोया जाएगा, इसकी चमक उतनी ही निखरती जाएगी।
वैज्ञानिकों ने भी परखी गुणवत्ता
सत्य नारायण पांडेय के अनुसार, पत्थर के चयन में 6 महीने का समय लगा। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पत्थर की गुणवत्ता को सर्वोत्तम बनाए रखने के निर्देश दिए थे। इस शिला की जांच आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों द्वारा की गई, जहां इसकी ताकत, नमी अवशोषण क्षमता, तापमान सहनशीलता और घर्षण क्षमता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की बारीकी से जांच की गई। सभी मानकों पर खरे उतरने के बाद ट्रस्ट ने निर्माण को मंजूरी दी।
मूर्ति की संरचना और आकार
राम दरबार की मूर्ति का कुल ऊंचाई सात फुट के करीब होगी, जिसमें से सिंहासन की ऊंचाई साढ़े तीन फुट है और सीताराम विग्रह की ऊंचाई साढ़े चार फुट बताई गई है। इसके अलावा, हनुमान और भरत की मूर्तियाँ बैठी मुद्रा में हैं, जिनकी ऊंचाई ढाई फुट, जबकि लक्ष्मण और शत्रुघ्न खड़ी मुद्रा में हैं और उनकी ऊंचाई तीन-तीन फुट है।
अयोध्या में राम दरबार का प्राण प्रतिष्ठा समारोह
5 जून 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल राम दरबार की मूर्ति का अनावरण करेंगे, बल्कि नेत्रोन्मीलन की प्रक्रिया में भी भाग लेंगे। संयोग से यह दिन मुख्यमंत्री का 53वां जन्मदिन भी है, जिसे वे इस बार अयोध्या में मनाएंगे। वे इस कार्यक्रम के मुख्य यजमान भी रहेंगे।
कार्यक्रम का विवरण
मुख्यमंत्री हनुमान गढ़ी में पूजा करेंगे, मणिराम दास छावनी में महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मोत्सव में भाग लेंगे और सरयू महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। साथ ही वे नगर निगम द्वारा आयोजित उपलब्धि समारोह में भी शामिल हो सकते हैं।
मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एटीएस, सीआरपीएफ, पीएसी और सिविल पुलिस के जवान तैनात हैं, साथ ही प्रशासनिक मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किए गए हैं।
संतों और आयोजकों की प्रतिक्रिया
महंत मिथिलेश नंदिनी शरण का कहना है कि एक सन्यासी मुख्यमंत्री ने आध्यात्मिक मूल्यों को जीवंत किया है और अयोध्या को फिर से उर्जावान बना दिया है। अब लोगों को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता।
सरयू महोत्सव के आयोजक शशिकांत दास ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम को टाट से निकालकर भव्य मंदिर में विराजित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे त्रेता युग में वशिष्ठ जी ने राम का राजतिलक किया था, वैसे ही अब योगी महाराज राम का तिलक करेंगे।
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