Image source- @AyeshaAziz0
नई दिल्ली। दंगल मूवी में एक डायलॉग है, हमारी छोरिया छोरो से कम है के। इसका अगर हम हिंदी में अनुवाद करें तो इसका मतलब है। बेटियां अब बेटो से कम नहीं है। हो भी क्यों, आज महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जम्मू कश्मीर की बेटी आयशा अजीज (Ayesha Aziz) ने। आयशा देश की सबसे कम उम्र की महिला पायलट हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
आयशा कश्मीर के साथ देश की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने साल 2011 में मजह 15 साल की उम्र में लाइसेंस हासिल कर लिया था। 2012 में वो सबसे कम उम्र की स्टूडेंट पायलट बनीं। 2013 में वो रूस के सोकोल एयरबेस में मिग-29 (MiG-29) जेट उड़ाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद वो बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से विमानन में स्नातक किया और साल 2017 में उन्होंने कमर्शियल पायलट के लिए लाइसेंस प्राप्त किया।
मुख्यधारा से जुड़ रही हैं महिलाएं
आयशा को सिंगल इंजन का सेसना 152 और 172 एयरक्राफ्ट उड़ाने का बेहतर अनुभव है। उन्हें 200 घंटे की उड़ान पुरा करने के बाद कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस दिया गया था। आयशा का कहना है कि कश्मीर की महिलाओं ने पिछले कुछ सालों में काफी प्रगति की है। वो अब मुख्यधारा से जुड़कर चलना चाहती हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छा किया है। आयशा आगे कहती हैं कि उन्हें हवाई यात्रा करना और लोगों से मिलना अच्छा लगता है। इस वजह से ही वो पायलट बनीं। इसके अलावा उन्हें 9-5 का डेस्क जॉब भी पंसद नहीं था।
सुनीता विलियम्स को मानती हैं आदर्श
आयशा अजीज, अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) को अपना आदर्श मानती हैं और अपनी सफलता का सारा श्रेय माता-पिता को देती हैं। वह कहती हैं कि पायलट बनने के लिए आपको मानसिक रूप से काफी मजबूत होना पड़ता है। अगर मेरे माता-पिता मेरे साथ नहीं होते तो शायद मैं आज सफल नहीं हो पाती। मैं बेहद खुशकिस्मत हूं कि मेरे माता-पिता ने मुझे विपरीत परिस्थितियों में भी मेरा सहयोग किया ।
25 साल की उम्र में महिला पायलट बनना नहीं है आसान
बतादें कि कश्मीर जैसे राज्य से महज 25 साल की उम्र में महिला पायलट बनना इतना आसान नहीं है। जहां महिलाओं के लिए पहले से ही कई पाबंदिया हैं। वहां से आयशा अजीज का आगे बढ़ना कोई चमत्कार से कम नहीं है। इसके लिए उनके माता-पिता और खुद आयशा साधुवाद के पात्र हैं। उनसे कश्मीर की हजारों बेटियों को प्रेरणा मिलेगी और वो भी अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए सोच सकेंगी।