E-Scooters Crash Testing: ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) ने पुणे में अपने प्लांट में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर 3 क्रैश टेस्ट की एक सीरीज पूरी कर ली है।
यह भारत में बढ़ते इलेक्ट्रिक दोपहिया सेगमेंट के लिए संभावित रूप से सुरक्षा मानक स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
E-Scooters Crash Testing: बेफिक्र होकर चलाएं इलेक्ट्रिक बाइक, नहीं लगेगी आग! ARAI ने उठाए सुरक्षा के लिए ठोस कदम#EScooters #ARAI #Scooter #ElectricScooter
पूरी खबर पढ़ें : https://t.co/s0fouN4aIz pic.twitter.com/fx5qEJrhv2
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) May 23, 2024
दावा किया जा रहा है कि यह वैश्विक स्तर पर पहली बार होगा। यह कदम दोपहिया वाहनों के लिए अनिवार्य क्रैश टेस्ट नियम नहीं होने के बावजूद उठाया गया है।
यानी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए क्रैश टेस्ट जरुरी नहीं था फिर भी सेफ्टी के लिए यह कदम उठाया गया है।
ARAI ने दी जानकारी
ARAI ने कहा कि टेस्टिंग स्टैंडर्ड्स इंडस्ट्री बेंचमार्क के विरुद्ध किए गए थे, जिसमें डिटेल्ड क्रैश डेटा को कैप्चर करने के लिए एक्सेलेरोमीटर और हाई-स्पीड कैमरों का उपयोग किया गया था।
टेस्टिंग में एक स्टैंडर्ड हार्ड बैरियर और एक साइड पोल का उपयोग किया गया था।
इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि यह लेटेस्ट डेवलपमेंट भारत में अनिवार्य इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर क्रैश टेस्ट की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है
जो भविष्य में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के लिए सेफ्टी स्टैंडर्ड को बढ़ा सकता है।
बैटरी के शक्त होंगे सेफ्टी स्टैंडर्ड्स
भारत में पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक स्कूटर से जुड़ी कई आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनके जवाब में, भारत सरकार ने कुछ बैटरी सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पेश किए हैं।
OEM को इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में सस्ती और घटिया क्वालिटी वाली बैटरी का उपयोग करने से रोकने के लिए स्टैंडर्ड्स को अनिवार्य रूप से लागू किया गया था।
इससे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की कीमतों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा और इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
पहले, OEM सस्ते दामों पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर का उत्पादन करने के लिए चीन से जेनेरिक बैटरी किट इंपोर्ट करते थे।
बैटरी स्टैंडर्ड्स को इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के लिए रेगुलेशंस की एक लिस्ट को शामिल किया जा सकता है, जो ग्राहकों में बैटरी से चलने वाले टू-व्हीलर को चुनने के लिए अधिक विश्वास पैदा कर सकता है।
फिलहाल भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 5% है। ऐसा माना जा रहा है आने वाले समय में भारत में इसकी भागीदारी बढ़ जाएगी और देश में लाखों की संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन देखने को मिलेंगे।
जरुरी हो सकता है क्रैश टेस्ट
ऑटोमोबाइल से जुड़े लोगों का मानना है कि यह कदम भविष्य में भारत में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन क्रैश टेस्ट को अनिवार्य करने का संकेत है।
यह तेजी से बढ़ते इस सेगमेंट के लिए सुरक्षा मानकों को बढ़ा सकता है। दरअसल, इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने की बढ़ती घटनाओं के बाद सरकार ने नए बैटरी सुरक्षा मानदंड़ बनाने पर जोर दिया।
इससे उन कंपनियों को तगड़ा झटका लगा, तो इनमें सस्ती, खराब बैटरी और अन्य कंपोनेंट का इस्तेमाल करती हैं।