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August Panchak 2023: 30 अगस्त को रक्षाबंधन से शुरू हो रहे हैं पंचक, सितंबर में इस दिन होंगे समाप्त

इस बार पंचकों की शुरूआत 30 सितंबर से हो रही है। जो अगले महीने यानि 3 सितंबर तक चलेगे। साथ ही जानेंगे इस बार कौन से पंचक शुरू हो रहे हैं।

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Preeti Dwivedi
August Panchak 2023: 30 अगस्त को रक्षाबंधन से शुरू हो रहे हैं पंचक, सितंबर में इस दिन होंगे समाप्त

August Panchak 2023: वैसे तो पंचकों में कोई भी शुभ काम की शुरूआत अच्छी नहीं मानी जाती, लेकिन इस दौरान भगवान से जुड़े पूजा पाठ और तीज-त्योहार आएं तो शुभ माने जाते हैं। इस बार पंचकों की शुरूआत 30 सितंबर से हो रही है। जो अगले महीने यानि 3 सितंबर तक चलेगे। साथ ही जानेंगे इस बार कौन से पंचक शुरू हो रहे हैं।

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30 अगस्त को इतने बजे से शुरू होंगे पंचक

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद 30 अगस्त को सुबह 10:25 मिनिट से पंचक शुरू हो जाएंगे। जो पूरे पांच दिन चलेंगे। 3 सितंबर को सुबह 10:25 मिनट पर उसका समापन होगा।

इस बार के पंचक हैं राज पंचक

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार जब पंचक (August Panchak 2023) सोमवार या बुधवार से शुरू होते हैं तो उन्हें राज पंचक कहा जाता है। इस बार पंचक 30 अगस्त बुधवार से शुरू हो रहे हैंं इसलिए ये राज पंचक कहलाएंगे।

पंचक से जुड़े जरूरी नियम

पंचक के समय लकड़ी या फिर लकड़ी से बने सामान को खरीदना या घर पर बनवाना नहीं चाहिए।

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पंचक में चारपाई बुनवाने और घर की छत ढलवाने की भी विशेष रूप से मनाही है।

पंचक के दौरान यदि बहुत जरूरी न हो तो दक्षिण दिशा की यात्रा भूलकर नहीं करवाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण को यम की दिशा माना गया है।

इसी प्रकार पंचक के समय घर की पेंटिंग का कार्य नहीं शुरु करना चाहिए।यदि ये कार्य करवाने हों तो आप पंचांग की मदद से पंचक की जानकारी लेकर आगे–पीछे करवा सकते हैं।

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पंचक के दौरान किसी परिजन की मृत्‍यु हो जाए तो उसका अंतिम संस्‍कार खास विधि से करना चाहिए। उसके साथ 4 मोतिचूर के लड्डू या नारियल रख देना चाहिए। इससे परिवार का संकट टल जाता है।

आखिर क्या होते हैं पंचक

ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों को अत्यंत अशुभ मानते हुए उसमें कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है। ज्योतिष के अनुसार धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती समेत पांच नक्षत्रों की युति अत्यंत ही अशुभ मानी जाती है।

ज्योतिष के अनुसार कुंभ और मीन राशि में चंद्रमा को गोचर पंचक कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचकों में घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार को भी मृत्यु तुल्य कष्ट को भोगना पड़ता है।

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पंचकों में मृत्यु होने पर क्या होता है

रावण की मृत्‍यु भी पंचक काल में हुई थी। मान्‍यता है कि यदि किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु पंचक में हो जाए तो उसके खानदान के 5 सदस्‍यों की या तो मृत्‍यु हो जाती है या उन्‍हें मृत्‍यु जैसा कष्‍ट भुगतना पड़ता है। ज्योतिष पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

कितने प्रकार का होता है पंचक

पंचांग के अनुसार यदि पंचक रविवार को पड़े तो रोग पंचक और सोमवार को पड़े तो राज पंचक कहलाता है। इसी प्रकार यदि पंचक मंगलवार को पड़े तो अग्नि पंचक और शुक्रवार को पड़े तो चोर पंचक कहलाता है। जबकि शनिवार के दिन पड़े वाले पंकच को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को सोमवार और मंगलवार के पंचक को माना जा सकता है।

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