हाइलाइट्स
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जबलपुर हाईकोर्ट ने MPPSC को जारी किया नोटिस
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2022 के परीक्षा भर्ती नियमों में बदलाव को लेकर किया सवाल
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एक सत्र के गेस्ट फैक्लटी को मिल रही थी आयुसीमा में छूट
Assistant Professor Bharti Update: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मप्र लोक सेवा आयोग के द्वारा आयुसीमा के संशोधित नियम को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने आयोग (MPPSC) से नियम की वैधानिकता को लेकर सवाल किया.
दरअसल आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में केवल एक सत्र के अतिथि विद्वानों को आयुसीमा में छूट देने का प्रावधान किया था. इसके साथ ही इन विद्वानों को एक्सपीरियंस के लिए अतिरिक्त अंक दिए जाने का भी नियम था. जिसपर कोर्ट (MP High Court) ने आयोग को नोटिस जारी किया है.
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कोर्ट ने नियम की वैधानिकता पर उठाए सवाल
जबलपुर हाईकोर्ट ने नियम की वैधानिकता को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की डबल बेंच ने आयोग (MPPSC) और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
दरअसल हाईकोर्ट में दमोह के मोहम्मद आरिफ खान ने याचिका लगाई थी. आरिफ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने पक्ष रखा.
ये है पूरा मामला
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि आयोग ने सरकारी यूनिवर्सिटियों में सहायक प्राध्यापक (Assistant Professor) भर्ती के लिए 30 दिसंबर 2022 को विज्ञापन जारी किया था. इसकी परीक्षा 9 जून 2024 से होना है.
नोटिफिकेशन जारी होने के एक दिन पहले यानि 29 दिसंबर को मप्र एजुकेशनल सर्विस रिक्रूटमेंट रूल्स 1990 के नियम आठ में संशोधन किया गया.
जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2019-20 में सरकारी यूनिवर्सिटी के गेस्ट फैकल्टी को आयुसीमा और अनुभव के अंक का लाभ दिया जाना शामिल किया गया. अब इसी नियम पर कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी किया है.
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भर्ती के एक दिन पहले नियम कैसे बदला
अपनी दलील में MPPSC के नियम को लेकर याचिकाकर्ता ने कहा कि यह नियम दूसरे समान रूप से कार्यरत अतिथि विद्वानों के साथ भेदभाव है. वहीं नियम भी भर्ती के नोटिफिकेशन के एक दिन पहले जारी हुआ.
इसके पहले असंशोधित नियम के कभी गेस्ट फैकल्टीज के लिए यह वर्ग नहीं बनाया गया. इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए एमपीपीएससी को निर्देश दिए कि वह याचिकाकर्ता को लिखित परीक्षा में प्रोविजनल अनुमति प्रदान करें.