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Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि में जरूर करें 10 महाविद्या की पूजा का मंत्र, मनोकामनाएं होंगी पूरी

19 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं। आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि में शक्ति की भक्ति में लीन होना चाहते हैं तो जान लेते हैं देवी के 10 पावन स्वरूप यानि 10 महाविद्या की पूजा (10 mahavidya Puja Importance) के मंत्र कौन-कौन से हैं।

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Preeti Dwivedi
Gupta Navratri 2022 : कर लें तैयारी, आने वाली हैं गुप्त नवरात्रि

नई दिल्ली।Ashadh Gupt Navratri 2023: हिंदू कैलेंडर से अनुसार 19 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं। मां दुर्गा हर मनोकामना की पूरी करने वाली होती हैं। ऐसे में यदि आप भी आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि में शक्ति की भक्ति में लीन होना चाहते हैं तो चलिए जान लेते हैं देवी के 10 पावन स्वरूप यानि 10 महाविद्या की पूजा (10 mahavidya Puja Importance) के मंत्र कौन-कौन से हैं।

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कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 Ashadh Gupt Navrati kub se hai

आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून 2023 से होगी। इसी दिन घटस्थापना के बाद नौ दिन तक देवी की आराधना की जाएगी। ​घट स्थापना मुहूर्त सुबह 06:05 से 08:04 तक रहेगा।

गुप्त साधना के लिए हैं खास

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार साल में चार नवरात्रि आती हैं। दो प्रकट नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि। गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना के लिए खास मानी जाती है। इसमें मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। तो चलिए जान लेते हैं 10 महाविद्या​ओं के नाम और उनके 10 मंत्र।

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मां दुर्गा की 10 महाविद्या का मंत्र   10 Mahavidhya ke Mantra

पहली महाविद्या मां काली का मंत्र :

‘क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा।।’

दूसरी महाविद्या मां तारा का मंत्र :

‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।।’

तीसरी महाविद्या मां त्रिपुरसुंदरी का मंत्र :

‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।।’

चौथी महाविद्या मां भुवनेश्वरी का मंत्र :

‘ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:।।’

पांचवीं महाविद्या मां छिन्नमस्ता का मंत्र :

‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।।’

छठवीं महाविद्या मां त्रिपुर भैरवी का मंत्र :

‘ॐ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।।’

सातवीं महाविद्या मां धूमावती का मंत्र :

‘धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।।’

आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी का मंत्र :

‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ॐ स्वाहा।।’

नौवीं महाविद्या मां मातंगी का मंत्र :

‘क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।।’

दसवीं महाविद्या मां कमला का मंत्र :

‘क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा।।’

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गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का महत्व  - 10 mahavidya Puja Importance

पहली महाविद्या:

गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की साधना होती है। इन्हें 10 महाविद्याओं में प्रथम मां काली की साधना करने से साधक को विरोधियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।

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दूसरी महाविद्या:

नवरात्रि के दूसरे दिन दूसरी महाविद्या माता तारा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है किसबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने महाविद्या तारा की उपासना की थी। महाविद्या माता तारा को तांत्रिकों की देवी माना गया है। इस देवी की आराधना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति होती है।

तीसरी महाविद्या:

तीसरे दिन तीसरी महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी की साधना होती है। इन्हें ललिता या राज राजेश्वरी भी कहा जाता है।

चौथी महाविद्या:

चौथे दिन चौथी महाविद्या माता भुवनेश्वरी की साधना होती है। संतान सुख की इच्छा वाले दंपत्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की साधना फलदायी होती है।

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पांचवी महाविद्या:

पांचवी महाविद्या माता छिन्नमस्ता की साधना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन होती है। इनकी साधना अगर शांत मन से की जाए तो माता शांत स्वरूप में होती है और उग्र रूप से की गई साधना से माता के उग्र रूप के दर्शन होते हैं।

छठी महाविद्या:

छठी महाविद्या माता त्रिपुरा भैरवी हैं। इनकी साधना से जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है।

सातवीं महाविद्या:

सातवीं महाविद्या के रूप में गुप्त नवरात्रि में मां धूमावती की साधना की जाती है। इनकी साधना से सभी संकट दूर हो साधना करने वाला महाप्रतापी और सिद्ध पुरुष कहलाता है।

आठवीं महाविद्या:

आठवीं महाविद्या को बगलामुखी कहा गया है। मां बगलामुखी की साधना से भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही वाक सिद्धियां प्राप्त होती है।

नौवीं महाविद्या:

10 महाविद्याओं में मातंगी नौवीं महाविद्या हैं। इनकी साधना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है।

दसवीं महाविद्या:

माता कमला को दसवीं महाविद्या कहा गया है। इनकी साधना से धन, नारी और पुत्र की प्राप्ति होती है।

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