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आसाराम की जमानत का विरोध : रेप पीड़िता के पिता को सताया डर, बोले- जेल में ही हो इलाज

Asaram Bail: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यौन शोषण के आरोपी आसाराम को चिकित्सा आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी है।

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Shashank Kumar
Asaram Bail

Asaram Bail: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यौन शोषण के आरोपी आसाराम को चिकित्सा आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी है। आसाराम जोधपुर जेल में अपने ही आश्रम की बालिका के साथ यौन शोषण के आरोप में सजा काट रहे हैं। वहीं, इस यौन उत्पीड़न मामले की पीड़िता के पिता ने अपील की है कि आसाराम को जमानत न दी जाए।

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पीड़िता के पिता ने जताया विरोध

पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि आसाराम को जेल से बाहर न आने दिया जाए और उसका इलाज जेल में ही किया जाए। उन्होंने कहा कि जेल से निकलने के बाद आसाराम उनके खिलाफ षड्यंत्र कर सकता है और उन्हें हमले का डर है। उन्होंने यह भी कहा कि आसाराम समर्थकों को उनके खिलाफ भड़काएगा और उन पर हमला करवाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को निर्देश दिया है कि वह जमानत के दौरान अपने अनुयायियों से नहीं मिलेंगे और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की बेंच ने यह फैसला सुनाया।

पीड़िता के पिता का बयान

शाहजहांपुर की पीड़िता के पिता ने कहा कि आसाराम को गलत तरीके से जमानत दी गई है। उन्होंने कोर्ट पर वीआईपी ट्रीटमेंट देने का आरोप लगाया और कहा कि अगर आसाराम को जमानत मिली है, तो अन्य कैदियों को भी बाहर इलाज करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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आसाराम के वकील की दलील

आसाराम (Asaram Bail) के वकील देवदत्त कामत ने कोर्ट में तर्क दिया कि दोषसिद्धि केवल अभियोजिका की गवाही पर आधारित थी और अभियोजन पक्ष के मामले में विसंगतियां थीं। हालांकि, कोर्ट ने स्वास्थ्य के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और चिकित्सा आधार पर जमानत दी।

सॉलिसिटर जनरल की आपत्ति

गुजरात की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का विरोध करते हुए आसाराम की दोषसिद्धि की गंभीरता पर जोर दिया। कोर्ट ने आसाराम को जमानत अवधि के दौरान शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया।

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क्या है पूरा मामला?

आसाराम बापू (Asaram Bail) के मामले में उन्हें अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम में अपनी महिला शिष्या के साथ कई बार बलात्कार करने का दोषी पाया गया था। इस मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। उन पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 342 (गलत तरीके से कारावास), 506 (आपराधिक धमकी) और 357 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल) और 354 (महिला की गरिमा को भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

कोर्ट ने खारिज की याचिकाएं 

इसके बाद, आसाराम बापू ने सजा को स्थगित करने के लिए गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी याचिका पिछले साल अगस्त में खारिज कर दी गई थी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च को एक अन्य बलात्कार मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बापू की याचिका खारिज कर दी थी। फिर उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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