Myanmar Protest:अपने अधिकार की मांग कर रहे लोगों पर सेना ने दाग दी गोलियां,114 को उतारा मौत के घाट

यांगून। (एपी) म्यांमार की सेना ने देश की राजधानी नेपीता (Myanmar Protest) में शनिवार को परेड के साथ वार्षिक सशस्त्र बल दिवस का अवकाश मनाया, वहीं पिछले महीने हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को दबाने के तहत देश के अन्य इलाकों में सैनिकों एवं पुलिसकर्मियों की कार्रवाई में कई लोगों की मौत हो गई। ऑनलाइन (Myanmar Protest0 समाचार वेबसाइट ‘म्यांमा नाउ’ ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई में 114 लोग मारे गए। यांगून में मौजूदा समय के मृत्यु के आंकड़े एकत्र कर रहे एक स्वतंत्र शोधकर्ता ने मरने वाले लोगों की संख्या 107 बताई है। ये मृतक करीब दो दर्जन शहरों और कस्बों से थे। इससे पहले, सर्वाधिक प्रदर्शनकारी 14 मार्च को मारे गए गए थे। उस दिन सेना की कार्रवाई में 74 से 90 लोगों की मौत हुई थी।
Myanmar: 114 civilians killed in deadliest day since coup
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— ANI Digital (@ani_digital) March 28, 2021
गोलीबारी में 114 लोगों की मौत
एसोसिएटेड प्रेस स्वतंत्र रूप से मौत के इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है। ‘एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ ने शुक्रवार तक तख्तापलट के बाद हुए दमन में 328 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। इन हत्याओं को लेकर म्यांमा सेना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हो रही है। 12 देशों के रक्षा प्रमुखों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘एक पेशेवर सेना आचरण के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती है और लोगों को नुकसान पहुंचाने के बजाए उनकी रक्षा करती है। हम म्यांमा सशस्त्र बल से अपील करते हैं कि वह हिंसा बंद करे और म्यांमा के लोगों में अपना सम्मान एवं विश्वसनीयता फिर से कायम करने के लिए काम करें, जो कि उसने अपने इन कृत्यों से गंवा दी है।’’ म्यांमा के लिये यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने ट्वीटर पर कहा, “76वां म्यांमा सशस्त्र बल दिवस आतंकवाद और अपमान के दिन के तौर पर याद किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा
बच्चों समेत निहत्थे नागरिकों की हत्या ऐसा कृत्य है, जिसे किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता।”म्यांमा में अमेरिका के राजदूत थॉमस वाजदा ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा बल निहत्थे नागरिकों की हत्या कर रहे हैं, जो कि पेशेवर सेना या पुलिस बल कभी नहीं करता। आन सान सू ची की निर्वाचित सरकार को एक फरवरी को तख्तापलट के जरिये हटाने के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से निपटने के लिये सेना बल का इस्तेमाल कर रही है और ऐसे में म्यांमा में मरने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
विरोध प्रदर्शन का जिक्र नहीं
प्रदर्शनकारियों ने अवकाश को उसके मूल नाम ‘प्रतिरोध दिवस’ के तौर पर मनाया, जो द्वितीय विश्वयुद्ध में जापानी कब्जे के विरोध में बगावत की शुरुआत थी। सरकारी एमआरटीवी ने शुक्रवार रात को एक घोषणा दिखाई थी और विरोध प्रदर्शनों में आगे रहने वाले युवाओं से अनुरोध किया था कि वे प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों से सबक सीखें कि उन्हें सिर में या पीठ पर गोली लगने का कितना खतरा है। इन प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों का सबसे ज्यादा शिकार प्रदर्शन में आगे रहने वाले युवा बने हैं। इस चेतावनी को व्यापक रूप से धमकी के तौर पर लिया जा रहा है, क्योंकि मरने वालों में अधिकतर प्रदर्शनकारियों के सिर में गोली लगी थी जो इस बात का संकेत है कि उन्हें निशाना बनाया गया था।