Useful Parenting Tips: पेरेंटिंग एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें माता-पिता अपने बच्चे की देखभाल, पोषण और मार्गदर्शन करते हैं। इसमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का ध्यान रखना शामिल होता है।
पालन-पोषण का मुख्य उद्देश्य बच्चे को अच्छे संस्कार, शिक्षा, और जीवन के मूल्यों की सीख देना होता है, ताकि वह एक जिम्मेदार और आत्मनिर्भर व्यक्ति बन सके।
पालन-पोषण के दौरान माता-पिता बच्चे की ज़रूरतों, उनकी रुचियों, और उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हैं। यह एक है जिसमें प्यार, अनुशासन, समर्थन, और समझ का मिश्रण होता है। इसके माध्यम से बच्चे में आत्मविश्वास, सम्मान, और सही-गलत की पहचान विकसित होती है।
लेकिन आज के दौर में बच्चे नयी टेक्नोलोजी और माहौल के कारण जिद्दी हो रहें हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह से बच्चों की इस जिद्द को बिना तनाव के कम कर सकते हैं।
बच्चों के साथ डिक्टेटर न बनें- डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी
आज के समय में पेरेंटिंग के तरीके को लेकर हमारी बात बंसल हॉस्पिटल के सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से खास बातचीत हुई. उनके मुताबिक आज कल कई बच्चे अपने माता-पिता के डिक्टेटरशिप वाले व्यवहार के कारण बच्चे विद्रोह करने लगता हैं.
माता-पिता डिक्टेटरशिप वाला व्यवहार न करें. बच्चों के आसपास के वातावरण का ध्यान रखें. बच्चों की स्क्रीन टाइमिंग को कम करें. उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. साथ ही जितना भी समय बिताएं उसे प्रोडक्टिव बनाएं
इसलिए माता पिता को बच्चों के साथ बैलेंस बनाकर रखना चाहिए. इसमें भी माता-पिता को यह ध्यान देना होगा कि बच्चे क्या पढ़ रहें हैं, कैसा लिटरेचर को फॉलो कर रहें हैं और किस प्रकार कि संगत में हैं.
अगर आपके बच्चे आउटडोर एक्टिविटी की जगह इंडोर एक्टिविटी जैसे मोबाइल चलाना, गेम खेलना साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ज्यादा समय बिता रहें हैं तो आप शुरुआत से ही बच्चों की स्क्रीन टाइमिंग को कम करें.
बच्चों के विद्रोह व्यवहार को उनके साथ समय निकाल कर कुछ कम किया जा सकता है. जैसे कि अगर आपको बच्चों के साथ जॉब के कारण कम समय मिल रहा तो उस समय को प्रोडक्टिव बनाएं.
पेरेंट्स को क्या करना चाहिए:
धैर्य बनाए रखें: बच्चे कई बार अपनी बात मनवाने के लिए या अपनी स्वतंत्रता को जताने के लिए जिद कर सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को धैर्य रखना चाहिए और बच्चों के साथ शांति से बातचीत करनी चाहिए।
समय निकालें: बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना जरूरी है। इससे वे आपको बेहतर समझेंगे और आप उनकी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।
संवाद करें: बच्चों से नियमित रूप से बातें करें। उनसे उनके विचारों और भावनाओं के बारे में पूछें और उन्हें समझने की कोशिश करें। इससे बच्चों को महसूस होगा कि आप उनकी बातों को महत्व देते हैं।
उदाहरण बनें: बच्चे अक्सर अपने पेरेंट्स के व्यवहार से सीखते हैं। इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि बच्चे आपकी बात मानें, तो खुद भी उनका आदर्श बनें।
प्रोत्साहन दें: बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। इससे उनके अंदर आपके प्रति सम्मान और विश्वास बढ़ेगा।
नियम तय करें: घर में कुछ नियम और अनुशासन बनाएं, लेकिन यह भी पक्का करें कि बच्चे उन नियमों को समझें और उनका पालन करें। उन्हें अनुशासन का महत्व समझाएं। लेकिन उनके सख्ती न करें।
पेरेंट्स को क्या नहीं करना चाहिए:
बच्चों पर अपनी बात मनवाने के लिए दबाव डालना उल्टा असर कर सकता है। इससे बच्चे विद्रोही हो सकते हैं। बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करने से उनमें हीन भावना पैदा हो सकती है। इससे उनकी आत्म-विश्वास में कमी आ सकती है।
बच्चों की बातों को सुने बिना उन पर फैसले न थोपें। इससे वे खुद को अनसुना महसूस कर सकते हैं। बच्चों की हर गलती पर कड़ी बुराई करने से उनके मन में नकारात्मकता आ सकती है।
इमोशनल ब्लैकमेल न करें: बच्चों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करना उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।