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हाइलाइट्स
RTI आवेदक-अधिकारी के बीच फिक्सिंग का खुलासा
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पकड़ा फिक्सिंग का रैकेट
पेनाल्टी से बचने सूचना भवन के बाहर होती है फिक्सिंग
MP RTI Case: सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार एक हथियार की तरह हैं। इसका उपयोग कर एक आम व्यक्ति भी सरकार के कामकाज पर नजर रख सकता है।
कुछ लोग इसका गलत फायदा भी उठा रहे हैं। RTI में भी फिक्सिंग हो रही है। खुद सूचना आयुक्त ने इस रैकेट को पकड़ा है। सूचना भवन के बाहर ये रैकेट सक्रीय है।
ऐसे चलता है यह रैकेट
पहले RTI आवेदक राज्य सूचना आयोग में आरटीआई की अपील दायर (MP RTI Case) करते हैं।
शिकायत में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लोक सूचना अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की जाती है।
सुनवाई के बाद जैसे ही आयोग जिम्मेदार अधिकारी को नोटिस जारी करता है। आरटीआई आवेदक सूचना भवन के बाहर अधिकारी से समझौता कर लेता है।
पैसों की बात फिक्स होने पर आरटीआई आवेदन आयोग के समक्ष संतुष्टि का एक प्रमाण पत्र पेश कर देता है।
प्रकरण खारिज करवाने अपनाते थे ये तरीका
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प्रकरण (MP RTI Case) में आरटीआई आवेदक आयोग को लिखकर देता है कि उन्हें जानकारी प्राप्त हो गई है और वह किसी भी तरह की कोई कार्रवाई अधिकारी के विरूद्ध नहीं चाहते हैं।
वही अधिकारी भी लिख करके देता है कि आवेदक को अब कोई समस्या नहीं है आवेदक पूरी कार्रवाई से "संतुष्ट" हैं इसीलिए प्रकरण को खारिज किया जाए। इसके बाद आयोग प्रकरण खारिज कर देता है।
ऐसे हुआ रैकेट का खुलासा
श्योपुर के रामभजन रावत ने सूचना आयोग में कई अपीलें दायर (MP RTI Case) कर रखी है। वे अक्सर संतुष्टि का प्रमाण पत्र जारी कर अधिकारी को आयोग की कार्रवाई से बचा कर ले जाते थे।
इस बार दाव उल्टा पड़ गया। रावत ने सूचना आयोग में अपनी दायर अपील की शीघ्र सुनवाई का आवेदन दिया।
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रावत ने आयोग में शिकायत की कि उन्हें जानकारी नहीं मिली है और लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने शीघ्र सुनवाई के आवेदन को स्वीकार करते हुए रावत की पांच अपीलों में सुनवाई समन का नोटिस जारी कर दिए।
सुनवाई के दिन रावत ने एक संतुष्टि का प्रमाण पत्र बनाकर आयोग को दो अपील प्रकरणों को खारिज करने को कहा। ये पंचायत सचिव से जुड़े मामले थे।
अचानक अपीलकर्ता के भाव अधिकारी के प्रति कैसे बदले?
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आयोग के सुनवाई नोटिस जारी (MP RTI Case) होने तक अपीलकर्ता अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
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नोटिस जारी होते ही एकाएक अपीलार्थी के भाव एकाएक लोक सूचना अधिकारी के प्रति बदल गये और उन्होंने कार्रवाई नहीं करने की मांग कर दी।
इससे स्पष्ट है की लोक सूचना अधिकारी और अपीलार्थी के बीच आयोग की कार्यवाही के डर से समझौता हुआ है।
सिंह ने कहा कि आवेदक का मकसद जानकारी प्राप्त करना नहीं था बल्कि जानकारी पाने के अलावा कुछ और था।
सूचना आयुक्त ने संतुष्टि प्रमाण पत्र को किया खारिज
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राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रावत के संतुष्टि के प्रमाण पत्र को खारिज (MP RTI Case) करते हुए कड़ी टिप्पणी की।
सिंह ने आदेश में कहा कि "सूचना आयोग लोक सूचना अधिकारी और अपीलार्थी के बीच हो रही FIXING को मूकदर्शक रह कर नहीं देख सकता है।
अगर ऐसा किया गया तो यह अधिनियम के प्रावधानों पर विपरीत असर डालेगा।
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फिक्सिंग करने वाले अधिकारी पर 25 हजार की पेनाल्टी
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राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने संतुष्टि प्रमाण पत्र मिलने पर भी प्रकरण (MP RTI Case) को खत्म नहीं किया, बल्कि दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उसे जुर्माने का नोटिस थमा दिया है।
आयुक्त ने श्योपुर के हासिलपुर और श्यामपुर पंचायतो के सचिवों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
बड़ा सवाल : आरटीआई आवेदक का क्या होगा?
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राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग करने वाले आरटीआई आवेदकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का एक्ट में फिलहाल कोई प्रोविजन नहीं है।
ज्यादा से ज्यादा आयोग आरटीआई आवेदक का आवेदन निरस्त कर सकता है, लेकिन इस मामले में यदि ऐसा किया जाता तो फिक्सिंग की प्लानिंग सक्सेस हो जाती।
यही कारण है कि प्रकरण को खारिज करने की जगह पंचायत सचिवों पर पेनाल्टी लगाई है।
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