हाइलाइट्स
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देश में बढ़ा सेब का आयात
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थोक में आ रहा सस्ता सेब
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देसी सेब उत्पादकों की बढ़ी टेंशन
Apple Import: देश में सेब का आयात (Apple Import) बढ़ गया है। थोक में अमेरिका ही नहीं अफगानिस्तान और ईरान से भी सस्ता सेब आ रहा है। इससे देसी सेब उत्पादकों की नींद उड़ गई है। वहीं भारतीयों के बीच इंपोर्टेड सामान का क्रेज है। सामान सजने-संवरने का हो या फिर फल या सब्जी। इंडियंस इंपोर्टेड ही खरीदना पसंद करते हैं।
सेब का आयात 33.98 फीसदी बढ़ा
देश में सेब के आयात (Apple Import) में 33.98 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। बाजार में इंपोर्टेड सेब (Imported Apple) ज्यादा मात्रा में मिल रहा है। लोग इंपोर्टेड सेब खरीदना पसंद कर रहे हैं। इससे जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के देसी सेब उत्पादक किसान परेशान हैं।
बाजार में आए 5 लाख टन से भी ज्यादा विदेशी सेब
देश के बाजारों में इंपोर्टेड सेब खूब बिक रहा है। केंद्र सरकार की एजेंसी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के मुताबिक भारत ने 2023-24 में 5.1 लाख टन सेब का आयात किया है। ये 2022-23 में 3.7 लाख टन से ज्यादा है। सेब के आयात में करीब 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इन देशों से भारत आता है सेब
देश में मुख्य रूप से अमेरिका, ईरान, तुर्की, इटली, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड से सेब का आयात होता है। कुछ सालों में आयात बढ़ा है। ईरान से 2023-24 में 1.37 लाख टन सेब आयात किया गया था। ये 2022-23 में आए 80 हजार 346 टन से 71.77 फीसदी ज्यादा है। तुर्की से आयात 9 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 1.17 लाख टन हो गया था। ये आयात 2022-23 में ये 1.07 लाख टन था।
अफगानिस्तान से खूब आ रहा सस्ता सेब
देश में अफगानी सेब खूब आ रहा है। 2400 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2022-23 में भारत ने अफगानिस्तान से 1508 टन सेब आयात किया था। ये 2023-24 में बढ़कर 37 हजार 837 तक पहुंच गया। लोग इसे तालिबानी सेब कह रहे हैं। पोलैंड से सेब का आयात 2023-24 में 33 हजार 409 टन हुआ, जो 2022-23 में 26 हजार 323 टन था। दक्षिण अफ्रीका से 2022-23 में 19 हजार 256 टन से बढ़कर 2023-24 में 27 हजार 738 टन हो गया। वहीं अमेरिका से सेब का आयात 2022-23 में 4 हजार 486 टन से बढ़कर 2023-24 में 20 हजार 540 टन हो गया।
क्यों बढ़ा सेब का आयात
भारत ने पिछले साल जून में सेब पर कस्टम ड्यूटी कम कर दी थी। 75 फीसदी कस्टम ड्यूटी को 50 फीसदी कर दिया गया। इसके बाद से सेब का आयात जमकर बढ़ गया। देसी सेब के उत्पादक कस्टम ड्यूटी को 100 फीसदी करने की डिमांड कर रहे हैं।
देसी सेब उत्पादकों को नुकसान
हिमाचल प्रदेश फल और सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष नरेश चौहान का कहना है कि विदेशी सेब भारतीय सेब की तुलना में सस्ते हैं। इसी से भारतीय सेब की डिमांड कम हो गई है। सस्ते विदेशी सेब की वजह से हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के हजारों बागवानों को नुकसान उठाना पड़ा है।
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कोल्ड स्टोरेज का किराया निकालना भी मुश्किल
नरेश चौहान का कहना है कि बारिश बीतने के बाद सेब तोड़ना शुरू कर दिया जाता है। इन्हें नवंबर-दिसंबर तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। हार्वेस्टिंग सीजन बीत जाने के बाद उसे निकालकर महंगा बेचा जाता है, लेकिन इस समय सस्ता विदेशी सेब मार्केट में पहुंच रहा है। इससे देसी सेब की डिमांड कम हो गई है। देसी सेब उत्पादक कोल्ड स्टोरेज का किराया भी नहीं निकाल पा रहे हैं। इंपोर्टेड सेब अच्छे दिखते हैं, इसलिए लोग कश्मीरी और हिमाचली सेब की बजाय इंपोर्टेड सेब ही खरीदते हैं।