बीते सप्ताह लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ -

बीते सप्ताह लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) विदेशों में हल्के तेलों की मांग बढ़ने के बाद इन तेलों के दाम बढ़ने से सीपीओ के दाम को भी बढ़ा दिया गया जिससे बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव मजबूती दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल का भाव थोक बाजार में आयातित सोयाबीन डीगम के मुकाबले पहले 25 रुपये प्रति किलो अधिक था जो इस समय पांच रुपये किलो नीचे चल रहा है। सोयाबीन डीगम की रिफाइनिंग के बाद मौजूदा आयात शुल्क और जीएसटी दरों इस तेल का थोक भाव लगभग 126 रुपये किलो बैठता है जबकि सरसों दादरी का थोक भाव 120.50 रुपये किलो बैठता है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार दो माह पूर्व बिनौलातेल का भाव सोयाबीन डीगम के लगभग बराबर चल रहा था जबकि अभी बिनौला का भाव लगभग 10 प्रतिशत नीचे हो गया है। उन्होंने कहा कि विदेशों में हल्के तेलों के भाव मजबूत होने से देश में भी तेल तिलहन कीमतों में मजबूती आई है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये जबकि हाल ही में सरकार ने सीपीओ (कच्चा पाम तेल) पर आयात शुल्क में 90 डॉलर प्रति टन की कमी की थ। इसके तुरंत बाद इंडोनेशिया में भाव निर्यात शुल्क और लेवी मिलाकर 155 डॉलर प्रति टन ऊंचा कर दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि शुल्क बढ़ाने से घरेलू तेल प्रतिस्पर्धी बनेंगे और सारी तिलहन उपज अच्छे भाव खप जायेगी। इससे किसानों, उपभोक्ताओं और तेल उद्योग तीनों को फायदा होगा। उनकी राय में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटाना आग में घी डालने जैसा साबित हो सकता है जिससे देश को करोड़ों डॉलर का नुकसान हो सकता है।

विदेशी तेलों के महंगा होने से सरसों की मांग बढ़ी है जो आने वाले दिनों में और बढ़ेगी। देश में जाड़े के मौसम में भी सरसों की मांग बढ़ती है। इसके अलावा मुंबई की एक बड़ी कंपनी के पास निर्यात के लिए आठ से 10 हार टन सरसों पक्की घानी तेल की मांग आई है जिसके लिए उसने दादरी से लगभग 2,000 टन सरसों की खरीद की है। यह कंपनी सरसों तेल से यूरिक एसिड पृथक कर के उसका निर्यात करती है। इस परिस्थिति में सरसों दाना सहित इसके तेल कीमतों में सुधार आया। सरसों दाना के भाव विगत सप्ताहांत के मुकाबले पांच रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 6,080-6,130 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी 50 रुपये सुधरकर 12,050 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव 10-10 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,850-2,000 रुपये और 1,970-2,080 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

उन्होंने कहा कि किसानों के द्वारा सस्ते भाव पर बिकवाली रोकने से मूंगफली दाना सहित इसके तेल कीमतों में सुधार आया। मूंगफली दाना समीक्षाधीन सप्ताहांत में 100 रुपये सुधरकर 5,385-5,450 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ वहीं मूंगफली गुजरात भी 400 रुपये सुधरकर 13,500 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 60 रुपये सुधरकर 2,115-2,175 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशों में सोयाबीन खली (डीओसी) की निर्यात मांग होने से सोयाबीन दाना और लूज सहित इसके सभी तेल कीमतों में सुधार देखने को मिला। सोयाबीन दाना और लूज के भाव 150-150 रुपये का सुधार दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 4,450-4,500 रुपये और 4,325-4,385 रुपये क्विन्टल पर बंद हुए। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 450 रुपये, 450 रुपये और 560 रुपये सुधरकर क्रमश: 11,850 रुपये, 11,550 रुपये और 10,780 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

उन्होंने कहा कि विदेशों में मांग बढ़ने के कारण आये सुधार की वजह से, मांग कम होने के बावजूद सीपीओ के भाव भी लगभग 50 रुपये बढ़ा दिये गये। सरकार ने पाम तेल के आयात शुल्क को लगभग 90 डॉलर घटाया तो दूसरी ओर निर्यातक देशों में दाम लगभग डयोढ़ा बढ़ा दिये गये है। उन्होंने कहा कि सरकार को आयात शुल्क घटाने के बजाय आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये इससे देश के तेल प्रतिस्पर्धी होंगे और सारे तेल की खपत घरेलू बाजार में हो जायेगी।

उन्होंने बताया कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ 240 रुपये सुधरकर 9,350 रुपये, पामोलीन दिल्ली 400 रुपये सुधरकर 10,850 रुपये और पामोलीन कांडला 300 रुपये सुधरकर 9,950 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण बिनौला तेल भी 250 रुपये सुधरकर 10,250 रुपये तथा तिल मिल डिलीवरी 100 रुपये के सुधार के साथ 10,100-15,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

आयातित खाद्य तेलों का कारोबार किलो के हिसाब से किया जाता है। लेकिन उपभोक्ताओं को यही तेल लीटर के भाव बेचा जाता है । एक लीटर में उपभोक्त को 913 ग्राम तेल पड़ता है। सूत्रों ने कहा कि उपभोक्तओं के हित में इस विषय पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिये ।

भाषा राजेश

रमण मनोहर

मनोहर

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