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रायपुर। छत्तीसगढ़ में सोमवार के दिन सदन की कार्यवाही हंगामेदार रही। 6 दिन अवकाश रहने के बाद 13 मार्च को शुरू हुई इस कार्यवाही में कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने डीएमएफ फंड की राशी में बंदरबांट किए जाने का आरोप लगाया। अपनी ही पार्टी के विधायक के इस तरह के सवाल पर मंत्री रविन्द्र चौबे घिर गए। बता दें कि मंत्री रविन्द्र चौबे पर उनकी ही सरकार के विधायक मोहन मरकाम ने डीएमएफ फंड की राशी में बंदरबांट किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस योजना में 7 करोड़ रुपए की राशी का बंदरबांट किया गया है। इस दौरान मोहन मरकाम ने विभागीय अधिकारी के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की। साथ ही विधानसभा कमेटी से भी जांच कराने की मांग की।
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इस दौरान जवाब देते हुए मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि राज्य स्तर के अधिकारी से इस मामले की जांच कराई जाएगी। साथ ही एक माह के अंदर रिपोर्ट आ जाएगी। अगर इस मामले में कोई दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। वहीं इस दौरान भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में 50 प्रतिशत से ज्यादा डीएमएफ की राशि का बंदरबांट किया गया है। इसकी विस्तृत जांच जरूरी है। इधर, विधानसभा के सत्र में विपक्ष ने गोधन न्याय योजना क्रय, विक्रय और भुगतान का मुद्द उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यह प्रश्न लगाया। लेकिन इस दौरान रमन सिंह की अनुपस्थिति में नेता-प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने यह सवाल पूछा। कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने उनके सवालों का जवाब दिया।
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इसके साथ ही सत्र में शून्यकाल के दौरान अजय चन्द्राकर ने राज्यपाल के भाषण से छेड़छाड़ किए जाने का मुद्दा भी उठाय। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदी में बांटी गई कॉपी और अंग्रेजी में पढ़े गए भाषण में काफी अंतर है। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सांसदीय कार्य मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला लाया गया। अजय चंद्राकर ने कहा कि आरक्षण के बारे में अंग्रेजी में एक लाइन और हिंदी में बढा-चढ़ाकर लाइन जोड़ी गई है। शोर शराबे की वजह से सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित भी की गई।