नई दिल्ली। अल्बर्ट आइंस्टीन को कौन नहीं जानता। दुनियाभर में सबसे तेज दिमाग वाले व्यक्ति के रूप में उन्हें जाना जाता है। जब अल्बर्ट आइंस्टीन पैदा हुए थे तो सामान्य बच्चों की तुलना में उनका सिर असामान्य रूप से बड़ा था। तब मेडिकल साइंस इतना डेवलप नहीं था कि इस बड़े सिर का कारण जाना जा सकता। ऐसे में कई लोग असामान्य रूप से बड़े सिर के कारण अल्बर्ट आइंस्टीन को एबनॉर्मल बच्चा समझने लगे थे।
आइंस्टीन बड़ी उम्र तक बोल नहीं पाते थे
आइंस्टीन एक शर्मीले बच्चे थे। बहुत बड़ी उम्र तक वे बोलते भी नहीं थे। ऐसे में उनके माता पिता भी परेशान रहते थे। 4 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार बोलना सीखा था। वो भी आधा-अधूरा। 9 साल की उम्र में उन्होंने पूरी तरह से बोलना शुरू किया था। इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है। कहा जाता है कि डिनर के लिए डायनिंग टेबल पर वे अपनी मां और पिता के साथ बैठे थे। तभी उन्होंने 9 साल की उम्र में अचानक बोला ‘सूप बहुत गर्म है’ उनके माता-पिता इस बात को सुनकर खुश हो गए कि चलो लेट से ही सही लेकिन बेटे ने कुछ बोला।
आइंस्टीन काफी मजाकिया थे
उन्होंने पूछा कि अब तक वे बोलते क्यों नहीं थे, तो आइंस्टीन का जवाब था ‘अब तक तो सब कुछ सही था’ इसलिए नहीं बोला। जब मुझे लगा कि सूप बहुत गर्म है तो मैंने बोला। मालूम हो कि आइंस्टीन खुद भी मजाकिया थे और उनकी कई आदतें भी हंसाने वाली थीं। आइंस्टीन को बाल कटवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। इतना ही नहीं वे मोजे भी नहीं पहनते थे। उनका मानना था कि मोजे में छेद हो जाती है। ऐसे में इसे पहनने की क्या जरूरत है।
स्कूल टाइम में उन्हें बेवकूफ बच्चा माना जाता था
आपको जानकर हैरानी होगी कि आइंस्टीन को स्कूल लाइफ में बेवकूफ बच्चों में गिना जाता था। खासकर आइंस्टीन के टीचर उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते थे, क्योंकि वह गणित और विज्ञान के अलावा हर विषय में फेल हो जाते थे। टीचर हमेशा उन्हें डांट लगाया करते थे, लेकिन उनपर कोई असर नहीं पड़ता था। कहा जाता है कि बचपन में आइंस्टीन गणित में भी कमजोर थे और टीचर ने उन्हें गणित पढ़ाने से मना भी कर दिया था। तब उनकी मां ने उन्हें घर पर पढ़ाना शुरू किया और उनमें गणित के लिए ऐसी रूचि जगी कि वे महान गणितज्ञ ही बन गए।
उनके दिमाग पर 200 वैज्ञानिकों ने किया ता रिसर्च
जब आइंस्टीन का निधन हुआ तो पैतोलोजिस्ट डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे ने उनके परिवार की सहमति के बिना ही उनका दिमाग उनकी खोपड़ी से अलग निकाल लिया था। हॉस्पिटल के लाख मनाने के बावजूद इसे नहीं लौटाया। उन्होंने 20 वर्षों तक इसे ऐसे ही रखा। 20 वर्ष बाद आइंस्टीन के बेटे हैंस अल्बर्ट की अनुमति के बाद उन्होंने उस पर अध्ययन करना शुरू किया। आपको जानकर हैरानी होगी जिस बड़े सिर बाले बच्चे को कभी एबनॉर्मल बच्चा समझा जाता था, उनके मृत्यु के बाद उसी दिमाग को डॉ. थॉमस ने 200 टुकड़े में अलग-अलग कर वैज्ञानिकों को भेजा था।
इस कारण से असाधारण सोचते थे आइंस्टीन
उन्हें इसके लिए हॉस्पिटल से निकाल भी दिया गया था, लेकिन इस अध्ययन में पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइंस्टीन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी। इसी कारण से आइंस्टीन का दिमाग बहुत असाधारण सोचता था।