हाइलाइट्स
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एम्स भोपाल की नई पहल
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शुरू होगा कैंसर सर्वाइवर क्लीनिक
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IIT इंदौर से AI टूल डेवलप करने का करार
AIIMS Cancer Survivor Clinic: भोपाल एम्स प्रशासन ने कैंसर पीड़ित मरीजों की मदद के लिए कैंसर सर्वाइवर क्लीनिक शुरू करने जा रहा है। इस क्लीनिक में मरीज कैंसर का इलाज होने के बाद आने वाली शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह ले सकेंगे। इसके साथ ही एम्स ने आईआईटी इंदौर की मदद से एक ऐसा एआई टूल डेवलप करने का करार किया है।
मरीजों की समस्या समझने बनेगा AI टूल
एआई टूल की मदद से कैंसर के डॉक्टर मरीजों को इलाज के बाद होने वाली समस्याओं की पहचान और निदान ज्यादा बेहतर और सटीक ढंग से कर पाएंगे। इससे कैंसर सर्वाइवर को क्वालिटी लाइफ जीने में मदद मिलेगी।
इलाज के बाद भी मरीजों की कई चुनौतियां
भोपाल एम्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि एम्स के कैंसर विभाग में इलाज के बाद मरीजों के बेहतर जीवन के लिए कैंसर सर्वाइवर क्लीनिक के एक नए इनोवेशन की शुरूआत की जा रही है। एम्स में गुरूवार, 13 मार्च को इस नई पहल की जानकारी देते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि कैंसर का इलाज ( रेडिएशन, कीमोथेरपी, सर्जरी) खत्म होने बाद मरीज को कई शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मरीजों को समय नहीं दे पाते डॉक्टर
अस्पतालों में कैंसर का इलाज पूरा होने के बाद मरीजों की बड़ी संख्या के कारण संबंधित डॉक्टर उन्हें पर्याप्त समय नहीं दे पाते। जबकि रेडिएशन, कीमोथेरेपी या सर्जरी होने के बाद मरीजों के कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। कई बार ये समस्याएं इलाज के साइड इफेक्ट से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियों से जुड़ी होती हैं, जिसका विपरीत असर उनके जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ता है।
रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए मिली 20 लाख की ग्रांट
कैंसर विभाग के डॉक्टर्स इलाज के बाद मरीजों को होने वाली समस्याओं को डिजिटल टेक्नोलॉजी की मदद से ठीक से समझ सकें और उनका निदान सुझा सकें इसके लिए केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ( DST) ने भोपाल एम्स को कैंसर में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा नवाचार के लिए 20 लाख रुपए की अनुसंधान अनुदान प्रदान किया गया।
रिसर्च में IIT इंदौर का सहयोग
डॉ. अजय सिंह उन्होंने बताया कि इस रिसर्च प्रोजेक्ट का नेतृत्व एम्स के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. सैकत दास प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में करेंगे और प्रो. अमित अग्रवाल सह-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर होंगे। यह शोध परियोजना आईआईटी इंदौर के नवाचार और इनक्यूबेशन केंद्र के सहयोग से की जाएगी। यह पुरस्कार केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर इंदौर के सांसद शंकर लालवानी, डीएसटी के सचिव प्रो. अभय करंदीकर, आईआईटी इंदौर के निदेशक डॉ. सुहास एस. जोशी भी उपस्थित हुए।
मरीजों के लिए बनेगा डिजिटल इंटरफेस
यह रिसर्च प्रोजेक्ट कैंसर के इलाज के बाद मरीजों की जीवन गुणवत्ता के डिजिटल इंटरफेस (एआई आधारित) के विकास पर केंद्रित होगी। भारत में कैंसर एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और इसके रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एम्स भोपाल के कैंसर उपचार केंद्र (सीटीसी) में हर साल 6 हजार से अधिक नए कैंसर रोगियों की जाँच की जाती है, जिनमें से 40-50% सिर और गर्दन के कैंसर, उसके बाद स्तन और स्त्रीरोग संबंधी कैंसर होते हैं। कैंसर उपचार में केवल बीमारी को ठीक करना ही नहीं, बल्कि उपचार और जीवन गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक होता है।
भारत में कैंसर के मामलों में मृत्यु दर ज्यादा
प्रो. डॉ. अजय सिंह ने इस सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत में कैंसर मामलों की मृत्यु-दर अनुपात पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक है। भारतीय कैंसर रोगियों की महामारी विज्ञान और सामाजिक-आर्थिक स्थितियां भिन्न हैं, जिसके लिए एक स्वदेशी जीवन गुणवत्ता मूल्यांकन उपकरण की आवश्यकता है। यह परियोजना इन डिजिटल समाधानों को एकीकृत करने और भारत में कैंसर रोगियों के कल्याण में सुधार लाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।
कैंसर सर्वाइवर को मिलेगा डिजिटल सॉल्यूशन
एम्स भोपाल डिजिटल स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी भूमिका निभाते हुए नवाचारपूर्ण चिकित्सा अनुसंधान के माध्यम से भारत में रोगी देखभाल के परिणामों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। यह परियोजना डिजिटल हेल्थकेयर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और कैंसर मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल समाधान प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होगी।
ऐसे काम करेगा कैंसर सर्वाइवर क्लीनिक
डॉ. सिंह के मुताबिक एआई टूल के जरिए एक ऐसा कंप्यूटर एप्लीकेशन डेवलप किया जाएगा, जिसके सामने मरीज बैठकर अपनी समस्याएं बता सकेगा। मरीज की प्राब्लम कंप्यूटर रीड कर एनालाइज करेगा। इसके बाद वो इस टूल और एआई के जरिए वो 5 पॉइंट बनाएगा जो डॉक्टर के लिए बेहद जरूरी होंगे।
कंप्यूटर बताएगा मरीज की समस्याएं
कंप्यूटर के बताए इन पॉइंट्स के जरिए डॉक्टर मरीज की प्रॉब्लम्स समझेंगे और बेहतर तरीके से उसका इलाज कर सकेंगे। इस टूल के जरिए मरीज अपनी फैमिली प्रॉब्लम, फाइनेंशियल प्रॉब्लम के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी बता सकेंगे। अब इसमें डॉक्टर को ये फायदा होगा की, वो मरीज से कई सवाल पूछने की बजाय सीधा इस डिजिटल टूल के जरिए मरीज की वास्तविक कंडीशन का अंदाजा लगा सकेंगे। मरीज जो भी इस डिजिटल टूल को बताएगा उसका डाटा एम्स के पास मौजूद रहेगा,ताकि भविष्य में भी हम उस मरीज को फॉलो कर सकें।
एक साल में शुरू होगी AI टूल की सुविधा
केंद्र सरकार के डिपॉर्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत हर फील्ड में इनोवेशन के तहत प्रोसेस शुरू की है। आपको बता दें कि ये इनोवेशन देश के किसी भी एम्स में पहली बार भोपाल में हो रहा है। एम्स डायरेक्टर का कहना है कि- सर्वाइकल क्लीनिक का मतलब सिर्फ ट्रीटमेंट नहीं है, बल्कि इसे क्वालिटी ऑफ लाइफ से जोड़ा गया है। भोपाल एम्स ने फिलहाल इस पर काम शुरू कर दिया है। एक साल के अंदर कैंसर मरीजों के लिए ये सुविधा शुरू हो जाएगी।