How to find Adulteration in Sweets: त्योहारों और खास मौकों पर मिठाई का सेवन भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। लेकिन इन दिनों बाजार में डुप्लीकेट और नकली मिठाइयां तेजी से बिक रही हैं, जो न केवल सेहत के लिए खतरनाक हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन भी करती हैं।
ऐसी मिठाइयां घटिया क्वालिटी के मटेरियल से बनाई जाती हैं, जो खाने योग्य नहीं होते। इसलिए, असली और नकली मिठाई की पहचान करना जरूरी हो गया है। आइए जानते हैं, कैसे डुप्लीकेट मिठाइयों की पहचान की जा सकती है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
डुप्लीकेट मिठाई की पहचान के तरीके
बेस्वाद और अजीब रंग: नकली मिठाइयों में इस्तेमाल किए गए घटिया रंगों की वजह से उनका स्वाद अक्सर कड़वा या अप्राकृतिक होता है। असली मिठाइयां ताजगी और सजीव रंग लिए होती हैं, जबकि डुप्लीकेट मिठाइयों का रंग बहुत चमकीला और असमान होता है।
बासी गंध: नकली मिठाईयों से बासी या रासायनिक गंध आ सकती है। यह खराब गुणवत्ता वाली सामग्री और सड़े-गले दूध का इस्तेमाल करने का संकेत है।
मावा या खोया की गुणवत्ता: नकली मिठाइयों में मिलावटी मावा या खोया का उपयोग किया जाता है। असली खोया नरम और हल्का होगा, जबकि नकली खोया थोड़ा कड़क और अजीब रंग का हो सकता है।
अधिक मिठास: डुप्लीकेट मिठाइयों में मिठास अत्यधिक होती है, जो स्वाद में असमानता पैदा करती है। असली मिठाइयों में संतुलित मिठास होती है।
बेचने वालों पर कार्रवाई के तरीके
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI): भारत में खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी FSSAI पर होती है। अगर आपको किसी मिठाई की गुणवत्ता पर शक है, तो आप FSSAI की वेबसाइट https://foscos.fssai.gov.in पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। FSSAI दोषी पाए जाने पर संबंधित दुकानदार या निर्माता पर कार्रवाई करता है।
वस्त्र और औषधि विभाग से संपर्क: मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाले मिलावटी रंगों और अन्य सामग्री के खिलाफ आप https://texmin.nic.in/hi वस्त्र और औषधि विभाग में शिकायत कर सकते हैं। वे गुणवत्ता की जांच करके संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन से शिकायत: नकली मिठाइयों की बिक्री की सूचना आप अपने स्थानीय नगर निगम या खाद्य निरीक्षण अधिकारी को दे सकते हैं। वे कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार होते हैं और दोषी पाए जाने पर दुकानदार के खिलाफ जुर्माना या लाइसेंस रद्द कर सकते हैं।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया: मिलावटखोरी के मामलों को सामने लाने के लिए आप मीडिया की भी सहायता ले सकते हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों तक जानकारी पहुँच सकती है और प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बनता है।
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