Advertisment

वाह रे सिस्टम: 90 फीसदी पेरेंट्स के बुक-कॉपी खरीदने के बाद दिया आदेश, अब कोई और दुकान संचालक भी क्यों रखेगा किताबें!

Private School ki Manmani: 90 फीसदी पेरेंट्स के बुक कॉपी खरीदने के बाद प्रशासन ने आदेश निकाला। अब इसका लाभ पेरेंट्स को नहीं मिलेगा।

author-image
Rahul Sharma
वाह रे सिस्टम: 90 फीसदी पेरेंट्स के बुक-कॉपी खरीदने के बाद दिया आदेश, अब कोई और दुकान संचालक भी क्यों रखेगा किताबें!

   हाइलाइट्स

  • 1 अप्रैल से शुरु हो चुका है नया शैक्षणिक सत्र
  • पेरेंट्स के बुक यूनिफार्म खरीदने के बाद जागा प्रशासन
  • 6 साल में फीस एक्ट के नियमों को लागू नहीं करवा सका प्रशासन
Advertisment

Private School ki Manmani: मध्य प्रदेश में हाल ही में स्टेशनरी और निजी स्कूलों पर हुई कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या प्रशासन वाकई निजी स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) पर रोक लगाना चाहता है या ये सिर्फ दिखावा मात्र थी।

पेरेंट्स जो आरोप लगा रहे हैं, वे तो इसी ओर ईशारा कर रहे हैं। 90 फीसदी पेरेंट्स के बुक कॉपी खरीदने के बाद आदेश निकाला और फिर कार्रवाई की।

Advertisment

ऐसे में अब कोई और दुकान संचालक भी संबंधित स्कूल की किताबें क्यों रखेगा, ये बड़ा सवाल है।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1776459178216767520

   आदेश तो निकाला पर क्रियान्वित कैसे होगा?

स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) रोकने शासन की ओर से आदेश निकाला गया कि कोई भी स्कूल किसी पेरेंट्स को निर्धारित शॉप से यूनिफार्म और किताब खरीदने के लिए नहीं कहेगा।

पर आदेश तब निकाला जब अधिकांश पेरेंट्स पहले ही किताब और यूनिफार्म खरीद चुके हैं। चलो मान लें कि बचे हुए 10 फीसदी पेरेंट्स को इस आदेश से राहत मिल जाएगी, लेकिन ये ख्याल ही किसी ख्याली पुलाव से कम नहीं।

Advertisment

MP-Private-School-ki-Manmani-01

सत्र शुरु हो गए हैं। क्लासेस लग रही हैं। ऐसे में कोई भी स्टेशनरी संचालक अब किसी भी अन्य स्कूल की किताबें रखकर रिस्क नहीं उठाएगा।

संबंधित खबर: निजी स्कूल की मनमानी पर कैसे लगे रोक: फीस एक्ट लागू होने के 33 महीने बाद बना सके नियम, 6 साल बाद भी नहीं बनी जिला कमेटी

   निर्धारित शॉप से ही खरीदनी होगी किताबें

नाम न प्रकाशित की शर्त पर एक स्टेशनरी संचालक ने बताया कि स्कूल की बुक और यूनिफार्म का आर्डर दिसंबर में ही चला जाता है।

Advertisment

जनवरी ऐंड में डिलेवरी के बाद फरवरी से तो इनकी बिक्री शुरु हो जाती है। ऐसे में अब किसी अन्य दुकानदार को चाहकर भी किसी स्कूल की बुक या यूनिफार्म नहीं मिल पाएगी।

publive-image

ऐसे में स्कूलों की मनमानी रोकने (Private School ki Manmani) आदेश चाहे जो भी निकले, पेरेंट्स को तो हर हाल में इस बार निर्धारित शॉप से ही यूनिफार्म और बुक खरीदनी ही होगी। क्योंकि ये मार्केट में इस सत्र तो कहीं और मिलने से रही।

ये भी पढ़ें: IRCTC Special Train: देवभूमि उत्तराखंड के तीर्थों के करने हैं दर्शन, ये ट्रेन इस तारीख को होगी रवाना, इतना रहेगा किराया

   अगले साल नियम समय पर लागू करना भी दूर की कौड़ी 

स्कूलों की मनमानी (Private School ki Manmani) रोकने कई अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस नियम को अगले साल समय से सख्ती से लागू करेंगे।

MP-Private-School-ki-Manmani-kamal-vishwkarma

अधिकारियों के इस दावे पर यकीं करने का मन तो करता है, लेकिन फैक्ट इससे उल्ट है। जिस नियम को एक साल बाद समय से लागू करने की बात हो रही है, वह कोई नया नियम नहीं है।

इसे मध्य प्रदेश में लागू हुए 6 साल हो चुके हैं। पर जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। ऐसे में अगले साल समय से निजी स्कूलों की मनमानी रोकने सख्ती से नियम लागू हो, इसकी संभावना कम ही है।

Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें